Agra News: Controversy regarding water coming from Bihariji’s temple…#agranews
आगरालीक्स…वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर के गर्भगृह से आ रहा जल चरणामृत या एसी का पानी. इस पर विवाद होने लगा है. जानिए क्या है पूरा मामला…
वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में हर रोज हजारों की संख्या में भक्त अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए आते हैं. सुबह से लेकर रात तक भक्तों की भीड़ यहां लगी रहती है. लेकिन पिछले दिनों से यहां का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें बांकेबिहारी मंदिर के गर्भगृह से हथनी की आकृति से पानी गिर रहा है. यह पानी गर्भगृह से आ रहा है तो ऐसे में परिक्रमा लगाने वाले श्रद्धालु इसे चरणामृत समझकर पी रहे हैं. लेकिन विवाद तब खड़ा हुआ जब यह बात सामने आई कि यह पानी चरणमृत नहीं बल्कि एसी का पानी है. इसको लेकर सोशल मीडिया पर इस समय वाद—विवाद भी चल रहा है.
जानिए क्या कहते हैं सेवायत
इस वीडियो के वायरल होने के बाद अब सेवायतो ंने भी अपने बात रखी है. मंदिर प्रबंध कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष रजत गोस्वामी का कहना है कि जो भी इस जल को मात्र एसी का जल बताकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं, उन्हें ठाकुरजी के भाव सेवा का ज्ञान तक नहीं है. ठाकुरजी जिस मंदिर में विराजते हैं और जहां विश्राम करते हैं, उस गर्भगृह को दिन में दो से तीन बाद शुद्ध जल से धोया जाता है. इसके अलावा ठाकुरजी का अभिषेक भी गर्भगृह में होता है.
ठाकुर जी के अभिषेक का जल ही भक्तों को चरणामृत ही माना जाता है. यही जल परिक्रमा मार्ग में गर्भगृह के बाहर बनी पत्थर की हथिनी तक पहुंचता है. इसमें से जो पानी निकल रहा है वह भी चरणामृत का रूप है. यहां से निकलने वाले इस जल का भाव ये है कि मंदिर के आसपास श्रद्धालु ही नहीं कोई भी जीव, जंतु जो सीधे रूप से ठाकुरजी का चरणामृत नहीं पा सकता, उसे इसके जरिए ठाकुरजी का चरणामृत पाने का सौभाग्य मिल सके. यहां से निकलने वाला जल शुद्ध ही होता है. उन्होंने कहा कि ठाकुरजी को स्नान करवाने का या फिर एसी से निकलने वाला जल भी इसी में मिलकर हथिनी से निकल रहा है तो यह शुद्ध रूप से ठाकुरजी का चरणामृत ही है. जिस तरह हम गंगाजल लाकर पूजा के लिए थोड़ा गंगाजल घर के जल में मिला देते हैं तो उसे गंगाजल का ही स्वरूप मानते हैं, तो सी से निकलने वाला पानी भी गर्भगृह के पानी में मिल जाता है, वह भी तो गर्भगृह का ही जल है और शुद्ध चरणामृत है.
उन्होंने ये भी बताया कि गर्भगृह में दो एसी लगे हैं. ये एसी करीब 20 साल पहले लगाए गए थे लेकिन मंदिर 1864 का बना हुआ है. चरणामृत तो तभी से गर्भगृह के पीछे बनी हथिनी से निकल रहा है. यदि ये पानी केवल एसी का होता तो एीस लगने के पहले क्यों यहां से निकलता.