आगरालीक्स…Agra News : आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हादसों की रोकथाम के लिए सड़क सुरक्षा आडिट कराने का आश्वासन, हादसों की सूचना भी की जाए सार्वजनिक। ( Agra News : Demand Agra-Lucknow Express way road safety audit#Agra)
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को देश के सबसे उन्नत हाईवे के रूप में विकसित किया गया था, लेकिन आज यह बढ़ते सड़क हादसों की वजह से ‘डेथ कॉरिडोर’ बनता जा रहा है। पिछले पांच वर्षों से कोई सड़क सुरक्षा ऑडिट नहीं हुआ, जबकि इस दौरान यातायात में तेज़ी से वृद्धि हुई है। सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए। यह भी बहुत गंभीर बात है कि UPEIDA ने वर्षों से सड़क दुर्घटनाओं और मौतों से जुड़ा कोई भी डेटा सार्वजनिक नहीं किया है। इससे समस्या की वास्तविक स्थिति का सही आकलन नहीं हो पा रहा है। बतौर सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता, मैंने कई अहम मुद्दे सुप्रीम कोर्ट तक उठाए हैं, जिनके आधार पर कई महत्वपूर्ण न्यायिक निर्देश जारी किए गए हैं। मैं सरकार से अपील करता हूं कि इस एक्सप्रेसवे को मौत के जाल में तब्दील होने से बचाया जाए और सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
एडवोकेट केसी जैन ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की नई सड़क सुरक्षा ऑडिट की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आखिरी बार यह ऑडिट वर्ष 2019 में केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) द्वारा किया गया था। तब से अब तक वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे सड़क दुर्घटनाएं और मौतें लगातार बढ़ रही हैं। एडवोकेट केसी जैन का कहना है कि प्रमुख सचिव ने आश्वासन दिया कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का एक नया सड़क सुरक्षा ऑडिट कराया जाएगा।
बढ़ते सड़क हादसे और डेटा की कमी
नवंबर 2017 से फरवरी 2019 (16 महीनों) के दौरान, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर कुल 1,517 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 406 लोग घायल हुए और 118 लोगों की मौत हुई।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) ने इस अवधि के बाद होने वाली सड़क दुर्घटनाओं, मौतों और घायलों के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया है। इस डेटा की अनुपलब्धता के कारण, एक्सप्रेसवे पर हो रही दुर्घटनाओं की वास्तविक स्थिति को समझना मुश्किल हो गया है। एडवोकेट केसी जैन ने UPEIDA से मांग की है कि वह पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से दुर्घटनाओं के आंकड़े सार्वजनिक करे।