आगरालीक्स….आगरा में श्रीमद् भागवत कथा में गूंजी बधाइयां, अजन्मे के जन्म पर भक्तजन झूमे… नंद घर आनंद भयाै जय कन्हैया लाल की…पर
डिफेंस एस्टेट फेस−1 स्थित श्रीराम पार्क में राजेंद्र प्रसाद गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर आनंद की अमृत वर्षा हुयी। नंद घर आनंद भयौ जय कन्हैया लाल की…भजन की धुन पर भक्त जमकर झूमे। नंदोत्सव मनाते हुए उपहार खूब लुटाए गए। रविवार को कथा के चौथे दिन कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने समुद्र मंथन, वामन और राम अवतार कथा सहित श्रीकृष्ण जन्म की कथा कहते हुए नंदोत्सव का प्रसंग भक्तिमय कंठ से सुनाया। मुख्य यजमान सुनील गोयल एव श्वेता गोयल ने भागवत जी की आरती उतारी। दीपक गोयल और तनु गोयल ने नंद बाबा और यशाेदा बनकर कान्हा के जन्म पर बधाइयां लुटायीं। कथा पंडाल में उपस्थित भक्तजनों ने बड़े ही धैर्य के साथ नंदबाबा और यशोदा मैया को बधाइयां दीं और उपहार प्राप्त किये।
इस प्रसंग से पूर्व कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान ज्ञान की महिमा के बारे में श्रद्धालु जनों को बताया कि मनुष्य को गृहस्थ जीवन जीने के लिए भगवान शिव के आदर्शों पर चलना चाहिए। भगवान शिव अपने विवाह के श्रृंगार से समाज को बताना चाहते हैं कि मेरे सिर पर नाग विराजमान है, जिसका तात्पर्य है कि संसार के समस्त प्राणियों के सिर पर कालरूपी नाग बैठा है, जो प्रत्येक दिन उसकी आयु को खा रहा है। भगवान शेर की खाल धारण कर यह बताना चाह रहे हैं कि मनुष्य को संयमित जीवन सिंह की तरह जीना चाहिए, क्योंकि शेर अपने जीवन में एक नारीव्रत धारी है।
लोगों ने कहा है कि विवाह में दूल्हा घोड़े पर बैठता है परन्तु भगवान शिव नन्दी पर बैठे हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि नन्दी धर्म का प्रतीक है और घोड़ा काम का प्रतीक है। भगवान शिव पूरे शरीर पर चिता की राख लपेटे हैं, जिसका तात्पर्य यह है कि दुनिया के सभी प्राणियों को एक दिन चिता में ही जाना है। कथा व्यास ने भगवान श्री राम एवं भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का सुन्दर वर्णन करते हुए कहा है कि जब-जब धरती पर अधर्म का बोलबाला होता है तब-तब भगवान किसी ना किसी रूप में धरती पर अवतरित होकर असुरों का नाश करते हैं, जिससे अधर्म पर धर्म की विजय होती है। भगवान को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को फ्रिज में बने फ्रिजर की तरह होना चाहिए, अर्थात काम, क्रोध, मोह, लालच एवं ईर्ष्या को त्याग कर भक्ति मय मन को प्राप्त करें।
उन्होंने कहा कि “निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपन छल. छिद्र ना भावा।”
त्रेतायुग में जब असुरों की शक्ति बढ़ने लगी, धर्म प्रायः लुप्त हो रहा था, तब मां कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम ने जन्म लिया। द्वापर में मां देवकी की कोख से भगवान श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया। उन्होंने कहा कि भगवान कण-कण में विराजमान हैं, सर्वत्र विद्यमान हैं। प्रेम से पुकारने पर कहीं भी प्रकट हो सकते हैं। भगवान तो निर्मल मन एवं भक्ति देखते हैं, इसीलिए कहा गया है कि हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम से प्रकट होंही मैं जाना”। कथा प्रसंग के पश्चात सुस्वादु प्रसादी का वितरण हुआ। इसके बाद भक्तों ने प्रदीप कृष्ण ठाकुर, वृंदावन धाम के मार्गदर्शन में ब्रज की विशेष रासलीला के मंचन का आनंद लिया। पंकज बंसल ने बताया कि सोमवार को पांचवे दिन श्रीकृष्ण अवतार बाल लीला एवं गोवर्धन पूजा प्रसंग होंगे। कथा में रवि गोयल, आरती गोयल, मनमोहन गोयल, पवन गोयन, भगवान दास बंसल, विष्णु दयाल बंसल, कल्याण प्रसाद मंगल, राजेश मित्तल आदि उपस्थित रहे।