आगरालीक्स…आगरा में पांच नये कुष्ठ रोगी मिले. स्वास्थ्य विभाग ने 4330 घरों में जाकर 40 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की. 18 मार्च तक चलेगा अभियान
जनपद में राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत 14 दिवसीय कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलाया जा रहा है। एक मार्च से शुरू हुए अभियान में अब तक 4330 टीमों द्वारा घर-घर जाकर 40 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी हैं। इनमें से 5 मरीजों में कुष्ठ रोग की पुष्टि हुई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि अभियान अब दिनांक 18 मार्च तक चलेगा। सभी जनपदवासियों से अपील है कि यदि आपके त्वचा पर कोई चमकीला दाग या सुन्न दाग धब्बा हो तो टीम को बताएं और अपनी स्क्रीनिंग कराएं। सीएमओ ने बताया कि कुष्ठ रोग का इलाज संभव है, लेकिन समय पर इलाज बहुत जरूरी है। अगर इलाज में देरी होती है तो यह रोग गंभीर रूप ले सकता है और त्वचा, नसों और अंगों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. जितेन्द्र कुमार लवानिया ने बताया कि जनपद के 15 ब्लॉक और शहरी क्षेत्र में अभियान चलाया। गया। अभियान के दौरान विभाग की 4330 टीमों ने घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों की खोज की। अभियान के दौरान जनपद की 51.25 लाख आबादी को कवर किया गया। कुष्ठ रोगी खोजी अभियान में 603 संभावित मरीज मिले जिसमें से 05 नये कुष्ठ मरीजों की पुष्टि हुई। पुष्टि होने के उपरांत सभी का उपचार शुरू कर दिया गया है ।
सुन्न दाग धब्बा हो तो कुष्ठ की जांच अवश्य कराएँ
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. ध्रुव गोपाल ने बताया कि अगर शरीर पर चमड़ी के रंग से हल्का कोई भी सुन्न दाग धब्बा हो तो कुष्ठ की जांच अवश्य करानी चाहिए । हल्के रंग के व्यक्ति की त्वचा में गहरे और लाल रंग के भी धब्बे हो सकते हैं। हाथ या पैरों की अस्थिरता या झुनझुनी, हाथ पैर व पलकों में कमजोरी, नसों में दर्द, चेहरे या कान में सूजन अथवा घाव और हाथ या पैरों में दर्द रहित घाव भी इसके लक्षण हैं । तुरंत जांच और इलाज से मरीज ठीक हो जाता है और सामान्य जीवन जी सकता है। इसके विपरीत देरी पर कुष्ठ दिव्यांगता का रूप ले सकता है।
डॉ. ध्रुव गोपाल ने बताया कि कुष्ठ सुन्न दाग धब्बों की संख्या जब पांच या पांच से कम होती है और कोई नस प्रभावित नहीं होती या केवल एक नस प्रभावित होती है तो मरीज को पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोगी कहते हैं जो छह माह के इलाज में ठीक हो जाता है । अगर सुन्न दाग धब्बों की संख्या छह या छह से अधिक हो और दो या दो से अधिक नसें प्रभावित हों तो ऐसे रोगी को मल्टी बेसिलाई (एमबी) कुष्ठ रोगी कहते हैं और इनका इलाज होने पर साल भर का समय लगता है। कुष्ठ रोगी को छूने और हाथ मिलाने से इस रोग का प्रसार नहीं होता। रोगी से अधिक समय तक अति निकट संपर्क में रहने पर उसके ड्रॉपलेट्स के जरिये ही बीमारी का संक्रमण हो सकता है।