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Agra News : Gastro problem & treatment by Gastroenterologist Dr Pankaj Kaushik, Agra #agra

आगरालीक्स…पेट के हर रोग को हमने गैस से परिभाषित करने की परंपरा बना ली है, सेल्फ मेडिसिन भी खूब करते हैं, आगरा के ग्रेस्ट्रोएंट्रोलाजिस्ट डाॅ. पंकज कौशिक से जानें ये गैर अनुभवी और अधूरा ज्ञान क्यों है जोखिम भरा और जानलेवा.

पेट की हर हलचल को हम गैस से एक्सप्लेन करते हैं, पहले खुद अंदाजा लगाते हैं कि गैस है फिर आस-पास के लोगों से भी यही सलाह मिल जाती है। ऐसे में नजदीकी किसी भी मेडिकल स्टोर पहुंच जाते हैं और सेल्फ मेडिसिन करने लगते हैं। ऐसा करना न सिर्फ जोखिम भरा है बल्कि जानलेवा भी है।

खुद की डाॅक्टरी डाल रही मुश्किल में

आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर के डाॅ. पंकज कौशिक से हमने इस विषय पर बातचीत की तो पता लगा कि आगरा में बिगड़ी जीवनशैली और खान-पान की वजह से जिस गति से पेट के रोगी बढ़ रहे हैं उसी गति से खुद की डाॅक्टरी कर मुश्किल में पडे़ लोग भी अस्पतालों में आ रहे हैं। कई बार तो लोगों को यह समझाना भी मुश्किल हो जाता है कि यह तकलीफ गैस से नहीं है। एक गलत अनुमान और बिना विशेषज्ञ की सलाह के दवा लेना खतरे में डाल रहा है।

लक्षणों के बीच अंतर समझें

डाॅ. कौशिक ने बताया कि पेट में भारीपन, खट्टी डकार आना, हल्का दर्द, जलन, पेट फूलना, उल्टी आना, भूख कम लगना इत्यादि लक्षण आम तौर पर पेट में गैस का संतुलन बिगड़ने पर हो सकते हैं लेकिन यह भी जरूरी नहीं कि हमेशा ऐसा हो। कई बार बात गंभीर हो सकती है। मसलन यह लक्षण लगातार बने रहना किसी और बीमारी की ओर इशारा करता है वहीं इन लक्षणों के लगातार बने रहने से भी आप किसी और बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। इसीलिए विशेषज्ञ होते हैं। इस क्षेत्र में सालों की पढ़ाई, शोध और अनुभव उन्हें यह तय करने की समझ देता है कि असल में समस्या क्या है। इसी समझ के आधार पर एक चिकित्सक दवा लिखता है और जरूरी होने पर जांच भी कराता है जिससे बीमारी का मूल कारण पता लगता है।

छोटी भूल बना सकती है बड़ी बीमारी शिकार

जैसे कई बार लोग हार्ट अटैक के आरंभिक दर्द को भी गैस मान लेते हैं। इस वजह से वे सही समय पर डाॅक्टर के पास नहीं पहुंच पाते और यह जानलेवा बन जाता है। कई बार इन लक्षणों को हल्के में लेना आंतों में जख्म या अल्सर बना देता है। पेनक्रियाटाइटिस जैसी गंभीर समस्या का शिकार हो जाते हैं।

पेट में पांच तरह की गैसें, संतुलन बिगड़ने पर होती है परेशानी

पेट में गैस हर इंसान को होती है। जब आप खाली पेट होते हैं तो पेट में करीब 200 से 250 एमएल तक गैस होती है और जब आप भरे पेट हों तो यह 400 से 500 एमएल तक होती है। पेट के अंदर पांच तरह की गैस होती हैं नाइट्रोजन, आॅक्सीजन, कार्बनडाई आॅक्साइड, हाइड्रोजन और मीथेन। कुछ गैस पेट के अंदर कैमिकल रिएक्शन से तो कुछ बड़ी आंत के बैक्टीरिया बनाते हैं। यही संतुलन जब बिगड़ता है तो यह तकलीफ देने लगती है। 10 से 20 बार तक गैस पास होना सामान्य माना जाता है, लेकिन इससे अधिक गैस पास होती है तो यह बीमारी का लक्षण माना जा सकता है। गैस के मूवमेंट में कोई रूकावट आने पर अन्य तरह के लक्षण हो सकते हैं। यह रूकावट दो तरह की होती है। मैकेनिकल ब्लाॅक होने पर या आंतों के पैरालाइज्ड होने पर।

जांचें और बचाव का तरीका

ऐसी स्थिति में जांचें जरूरी हो जाती हैं। बचाव का तरीका यह है कि सबसे पहले आपको अपने खाने पर ध्यान देना है। कुछ खाने की चीजें जैसे फल, सब्जियां, राजमा, चना, छोला, पत्ता गोभी आदि खाने पर गैस ज्यादा बन सकती है। इसके अलावा लेक्टोज कंपाउंड जो दूध में काफी पाया जाता है, इसकी इंटोलरेंस से भी गैस ज्यादा बन सकती है। कई बार पेट के अंदर संक्रमण के कारण भी गैस बनती है।

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