Agra News: Munipungav Shri gave sermon under the shadow of Taj, crowd of devotees arrived…#agranews
आगरालीक्स…ताज के साए में बिखरी मुनिपुंगवश्री की मंगलवाणी. उमड़ा भक्तों का जनसैलाब…देखें फोटोज
आचार्य विद्यासागर जी महाराज के शिष्य निर्यापक मुनिपुंगव श्री सुधा सागर जी महाराज के दिव्य समवशरण पहली बार ताजगंज स्थित ताजमहल के निकट ताजखेमा पर आयोजित हुआ। भक्तों ने सर्वप्रथम मुनिश्री के मंगल सानिध्य में श्रीजी की सभी प्रतिमाओं का अभिषेक एवं वृहद शांतिधारा संपन्न की। ठिठुरती ठंड में जब दिगम्बर के तेज के साथ मुनिपुंगवश्री सुधासागर जी महाराज ने आगरा के ताजखेमा प्रांगण के प्रवेश किया तो मानों खुद ताजमहल भी राग की धुंध में छुपता सा नज़र आया। मुनिपुंगवश्री सुधासागर जी महाराज की गर्जना गूंजी तो ताजमहल भी गुरुवर के वीतरागी स्वरूप को देख धुंधला हो गया। हजारों गुरूभक्तों का सैलाब और ताज के साए में खिरती दिव्य वाणी का ये नज़ारा भव्य समवशरण से कम न था।
मुनिश्री के दिव्य समोशरण का शुभारंभ ताजगंज बालिका मंडल ने भक्ति गीत पर नृत्य कर मंगलाचरण की प्रस्तुति के साथ किया| इस दौरान ताजगंज मंदिर समिति महामंत्री संजय जैन परिवार के सदस्यों ने मुनिपुंगव श्री के चरणों का पाद प्रक्षालन किया। साथ ही प्रथम जिनवाणी दान करने का सौभाग्य साकेत कॉलोनी निवासी एकता गर्ग अग्रवाल,दूसरी योगेश जैन, तीसरी राजाखेड़ा निवासी प्रवीन जैन एवं विभिन्न स्थानों से आए लोगों ने शास्त्र भेंट किए। इस अवसर पर दिव्य समवशरण में आए अतिथियों का ताजगंज मंदिर कमेटी की ओर से स्वागत सम्मान किया गया। इसी उपरांत संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्जवलन किया।
मुनिश्री का जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम शाम 4:00 बजे से 5:30 तक ताजखेमा पर आयोजित हुआ। मीडिया प्रभारी शुभम जैन ने बताया कि 9 दिसम्बर को भी ताजखेमा प्रांगण में ही मुनिपुंगवश्री की दिव्य वाणी बिखरेगी। इस अवसर संजय जैन, संजय बाबू जैन,पारसबाबू जैन, विनय कुमार जैन,विजय कुमार जैन, मधुर जैन,योगेश कुमार जैन,ऋषि जैन, उत्सव जैन,निशांत जैन,मीडिया प्रभारी शुभम जैन,अमित जैन बॉबी निर्मल मोठ्या,हीरालाल बैनाड़ा,विवेक बैनाड़ा ललित जैन,वैभव जैन,आयुष अनिल जैन,अनिल जैन रईस नरेश जैन,मीरा जैन,आशु जैन,ऋतु जैन,अनुराग जैन, जॉली जैन सरोज जैन,अनुष्का जैन, नैंसी जैन समस्त ताजगंज सकल दिगम्बर जैन समाज आगरा के अलावा देशभर के विभिन्न प्रांतों से भी गुरूभक्त बड़ी संख्या में मौजूद रहे।