आगरालीक्स…Agra News : आगरा में डिलीवरी के बाद नवजात शिशु को एनआईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है, आखिर कारण क्या है।
एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग, नेशनल नियोनेटोलाजी फोरम (एनएनएफ) और इंडियन एकेडमी आफ पिडियाट्रिक्स (आइएपी) , आगरा द्वारा रविवार होटल लेमन ट्री में आयोजित गोष्ठी में नवजात में होने वाले संक्रमण, उसकी रोकथाम और इलाज पर चर्चा की गई।
आयोजन सचिव डॉ. नीरज यादव के अनुसार, बदली जीवनशैली से छह से आठ महीने पर प्रसव हो रहे हैं, इनका वजन कम होता है और कई तरह के संक्रमण होने का खतरा रहता है।
इसके साथ ही सेप्सिस की समस्या भी बढ़ी है। इससे पांच से 10 प्रतिशत नवजात को एनआइसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है। एनएनएफ के सचिव डॉ.. अमित उपाध्याय और डॉ.. रुचि राय ने जन्म के समय न रोने वाले (बर्थ एक्सफेक्सिया) नवजात के इलाज पर चर्चा की, सांस न लेने से दिमाग को आक्सीजन नहीं मिल पाती है, इससे बच्चा मानसिक रूप से कमजोर हो सकता है। वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. जेएन टंडन ने नवजात में बीमारी को डायग्नोज करने पर चर्चा की। आइएपी आगरा के अध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. निखिल चतुर्वेदी,सचिव डॉ.राहुल पैंगोरिया, डॉ. स्वाति द्विवेदी आदि मौजूद रहे।