आगरालीक्स…किडनी के ट्यूमर को जटिल सर्जरी कर निकाला, वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. लक्ष्मीकांत शर्मा ने की लेप्रोस्कोपिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी
आगरा में उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल में किडनी का एक जटिल ऑपरेशन कर मरीज का जीवन बचाया गया। सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और अस्पताल से घर भेज दिया गया है।
सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. लक्ष्मीकांत शर्मा के मार्गदर्शन में लैपरोस्कोपिक रेडिकल नेफ्रेक्टोमी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। डॉक्टरों की टीम ने बताया कि यह एक जटिल सर्जरी है और आगरा में बहुत कम ही की गई है। अधिकांश मरीजों को दिल्ली, जयपुर समेत बाहर के अस्पतालों में रैफर किया जाता है। आगरा में शाहगंज के रहने वाले 57 वर्षीय राजकिशोर (बदला नाम) की सर्जरी 05 अप्रैल 2024 को उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल में की गई। मरीज ने बताया कि उन्हें पहले कभी कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई लेकिन तीन से चार दिन पहले पेशाब में रूकावट महसूस हो रही थी। किसी परिचित ने डॉ. लक्ष्मीकांत को दिखाने को कहा। इसके बाद जांचें हुईं जिसमें मामले की गंभीरता की जानकारी हुई। किडनी में ट्यूमर था। इस तरह के मामले में आॅपरेशन की जरूरत होती है। डॉ. लक्ष्मीकांत ने इसे लेप्रोस्कोपिक माध्यम से किया। लेप्रोस्कोपिक रेडिकल नेफरेक्टोमी एक न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल तकनीक है जिसे आमतौर पर कैंसरग्रस्त किडनी को हटाने के लिए अनुशंसित किया जाता है। पारंपरिक खुली सर्जरी के विपरीत, जो एक बड़े चीरे के माध्यम से की जाती है, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में एक लेप्रोस्कोप (छड़ी जैसा कैमरा) और छोटे सर्जिकल उपकरणों का एक सेट का उपयोग शामिल होता है। ओपन सर्जरी है लेकिन इसके मुकाबले लैपरोस्कोपिक नेफ्रेक्टोमी एक सुगम विकल्प है और इसके कई फायदे हैं। इससे जहां सर्जरी की जानी है वहां का बेहतर विजन मिलता है जिससे डॉक्टर को आसानी होती है और सटीक सर्जरी की जाती है। इसमें खून की हानि कम होती है। दर्द कम होता है। अस्पताल में कम समय रहना पड़ता है। रिकवरी जल्दी होती है।
सर्जरी के बाद मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ हैं। मंगलवार को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।