आगरालीक्स….आगरा—नोएडा यमुना एक्सप्रेस वे पर एक्सीडेंट का मुख्य कारण आया सामने. आरटीआई में खुलासा. हर साल मौत और घायलों की संख्या जानकर चौंक जाएंगे…
आगरा को ग्रेटर नोएडा से जोड़ने वाले 165 किलोमीटर लम्बे यमुना एक्सप्रेसवे पर होने वाले सड़क हादसों का मुख्य कारण वर्ष 2012 से वर्ष 2023 तक वाहन चालक को झपकी आना है। यह बात यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येड़ा) ने सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत दिनांक 26 मार्च 2024 को उपलब्ध करायी गयी सूचना में खुलासा हुआ है। येड़ा द्वारा यह सूचना वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन को उपलब्ध करायी गयी है। सूचना में यह भी उल्लेख है कि यमुना एक्सप्रेसवे पर लगाये गये स्पीड कैमरे केवल वाहनों की ओवर स्पीडिंग की ही निगरानी करते हैं।
उपलब्ध कराई गई सूचना यह यह बात भी निकलकर आई है कि वर्ष 2023 में वर्ष 2022 की अपेक्षा यमुना एक्सप्रेसवे पर 100 सड़क हादसे अधिक हुए हैं। यही नहीं जहां वर्ष 2022 में 311 सड़क हादसे हुए थे जबकि वर्ष 2023 में सड़क हादसों की संख्या 411 थी। वर्ष 2023 में घायलों की संख्या 725 थी जबकि वर्ष 2022 में यह संख्या 621 थी अर्थात् 104 व्यक्ति अधिक घायल हुए लेकिन थोड़ी सी राहत भरी खबर यह भी है कि वर्ष 2023 में 2022 के मुकाबले यमुना एक्सप्रेसवे के सड़क हादसों में कम लोगों की मौत हुयी। वर्ष 2023 में 92 लोगों की तथा वर्ष 2022 में 102 की मौत हुयी। कुल मिलाकर वर्ष 2023 में यमुना एक्सप्रेसवे पर सड़क हादसों में औसतन 4 दिनों में एक व्यक्ति की मौत हो गयी और प्रतिदिन घायल होने वालों की संख्या औसतन 2 थी।
सूचना के प्रकाश में यदि यमुना एक्सप्रेसवे के सड़क हादसों की संख्या की बात करें, तो वर्ष 2012 से वर्ष 2023 तक 7,625 हादसे हुये जिनमें से झपकी लगने के कारण हुये हादसे 3,364 थे और ओवर स्पीडिंग के कारण 1,304 हादसे थे। इस अवधि में सभी हादसों में 1,320 लोगों की मौत हो गयी जिसमें से 522 लोगों की मौत झपकी आने से हुयी और 201 लोगों की मौत ओवर स्पीडिंग के कारण हुयी। इस अवधि में घायलों की संख्या 11,168 थी जिसमें से 4,181 लोग झपकी आने के कारण हुये सड़क हादसों में घायल हो गये और 1,819 लोग ओवर स्पीडिंग के कारण घायल हुये।
सूचना में यह भी बताया कि ओवर स्पीडिंग के लिए वाहनों का ई-चालान होता है और ओवर स्पीडिंग का रियल टाइम डाटा नेशनल इनफोरमेटिक सेन्टर (एनआईसी) को भेजा जाता है। चालान जिला ट्रैफिक पुलिस और आर0टी0ओ द्वारा जारी किये जाते हैं और शराब पीकर चलाने वालों का विवरण उन्ही से प्राप्त किया जा सकता है। वर्ष 2023 में यमुना एक्सप्रेसवे से लगभग 3 करोड़ वाहन निकले और यदि वर्ष 2012 से 2023 तक यमुना एक्सप्रेसवे से निकले वाहनों की संख्या देखी जाये तो वह 23,21,49,852 थी जो बताती है कि यमुना एक्सप्रेसवे कितना महत्वपूर्ण रोड है।
वरिष्ठ अधिवक्ता जैन के द्वारा यह मांग की गयी कि पिछले 12 वर्षों के यमुना एक्सप्रेसवे के सड़क हादसों का मुख्य कारण झपकी आने का जो कारण निकलकर आया है, उसको सड़क सुरक्षा नीति का मुख्य आधार बनाया जाना चाहिए ताकि इस कारण से होने वाले हादसों में कमी आ सके। इसके लिए यह जरूरी है कि देर रात वाहनों के आवागमन को रोका जाये। वाहन स्वामियों और ड्राइवरों के मध्य जागरूकता अभियान चलाया जाये तथा एक साथ ड्राइविंग कितने घंटे की जा सकती है और कितनी-कितनी देर बाद रूकना चाहिए यह भी निर्धारित किया जाना चाहिए।
अधिवक्ता जैन ने यह भी आश्चर्य प्रकट किया कि केन्द्र सरकार के सड़क परिवहन एवं हाईवेज मंत्रालय के द्वारा जो पूरे देश के स्तर पर जो सड़क हादसों का डाटा एकत्र किया जाता है और वार्षिक रूप से उसे प्रकाशित किया जाता है, उस प्रारूप में झपकी आने के कारण हुए सड़क हादसों के कारण का कोई उल्लेख ही नहीं है और न ही कोई डाटा ही एकत्र किया जाता है कि वाहन चलाते समय क्या सड़क हादसा झपकी आने के कारण हुआ। उनके द्वारा केन्द्र सरकार से यह भी अपील की गयी है कि सड़क हादसे के डाटा को एकत्र करने की व्यवस्था में सुधार किया जाये। यदि व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो शीघ्र ही अधिवक्ता जैन सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका प्रस्तुत करेंगे।