आगरालीक्स…आगरा में बाजरा, रागी, हल्दी और पान की कुल्फी के फ्लेवर. दो भाइयों का कमाल. डीईआई से किया कोर्स, नौकरी गई तो शुरू किया अपना स्टार्टअप, 45 लाख का टर्नओवर
कुल्फी के कई फ्लेवर आपने खाएं होंगे, मसलन—चॉकलेट, रबड़ी, बनाना, मैंगो लेकिन आगरा में अब बाजरे से बनी कुल्फी भी मिल रही है…रागी, हल्दी और पानी की कुल्फी के फ्लेवर का स्वाद भी लोग उठा रहे हैं. ये कमाल किया है आगरा के दो भाइयों को जो कि फतेहाबाद के एक गांव के रहने वाले हैं. डीईआई से कोर्स करने वाले दोनों भाइयों ने एक आइसक्रीम कंपनी में जॉब की लेकिन कोरोना में नौकरी छुट गई. ऐसे में दोनों भाइयों ने अपना खुद का स्टार्टअप सेटअप किया और बाजरा, रागी और हल्दी जैसी कुल्फी के फ्लेवर बाजार में उतारे हैं. इन दोनों की मेहनत का नतीजा ये है कि चार साल में इनका टर्नओवर 45 लाख पहुंच गया है.
गांव कुडौल में विवेक और गगन उपाध्याय दो भाई रहते हैं. विवेक ने बताया कि पिता किसान हैं लेकिन हमें अलग करना था. इसलिए डीईआई से फूड प्रोसेसिंग और डेयरी टेक्नोलॉजी में डिग्री ली. इसके बाद बड़े भाई ने भी इसी कोर्स को पूरा कर डिग्री हासिल की. दोनों भाइयों को एक आइसक्रीम कंपनी में जॉब मिल गई लेकिन कोरोना महामारी के कारण दोनों भाइयों की नौकरी चली गई. इस पर दिसंबर 2020 में 15 लाख रुपये निवेश कर इन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू किया. लॉकडाउन के बाद कारोबार भी प्रभावित हुआ लेकिन हिम्मत नहीं हारी. मेहतन के बाद काम थोड़ा पटरी पर आने लगा.
मिलेट्स आइसक्रीम ने दिलाई पहचान
विवेक ने पीएम मोदी के मिलेट मिशन से प्रभावित होकर पहले तो बाजरा, दूध और शहर से आइसक्रीम बनाई. लोगों को इसका टेस्ट पसंद आया तो इसे आगरा में लगे 20232 में मिलेटस मेला में प्रदर्शित किया. यहां यह आइसक्रीम काफी पसंद आई और मेले में आए केंद्रीय मंत्री ने भी कुल्फी की सराहना की. इसके बाद रागी की आइसक्रीम बनाई और फिर हल्दी कुल्फी और पानी कुल्फी भी बनाई जिनकी डिमांड आने लगी.
डीईआई के ओपन डे में लगाई स्टॉल
हाल ही में हुए डीईआई के ओपन डे में दोनों भाइयों ने अपनी भी स्टॉल लगाई. यहां भी इन्हें अच्छा रिस्पांस मिला है. दोनों भाइयों का कहना है कि अब हमारी प्लानिंग मिलेटस की मटका कुल्फी बनाने की है जिसे इस गर्मी में बाजार में उतारेंगे. इस साल कारोबार बढ़ाने और युवाओं को रोजगार देने की भी पूरी प्लानिंग है. इसके लिए टीम बना रहे हैं.अभी बाजरे और रागी की कुल्फी के प्रचार-प्रसार के लिए सिर्फ 10 रुपये की कीमत रखी गई है. 15 लाख रुपये से शुरू किए गए स्टॉर्टअप से 100 से अधिक युवाओं को रोजगार के साथ ही टर्नओवर भी 45 लाख रुपये के पार पहुंच गया है.