Agra News: Vijay Muhurta will be of 55 minutes on Dussehra
आगरालीक्स (14th October 2021 Agra News)…दशहरे पर 55 मिनट का होगा सबसे शुभ मुहुर्त. जानिए अन्य मुहुर्त भी..
पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि दशमी तिथि 14 अक्टूबर गुरुवार शाम 06:52 बजे से शुरू होगी। समापन 15 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार सायं 06:02 बजे होगा। उन्होंने बताया कि श्रवण नक्षत्र 14 अक्टूबर 2021 की प्रातः 09:34 बजे से 15 अक्टूबर 2021की प्रातः 09:15 मिनट तक रहेगा।
प्रातः 06:25 से दिवाकाल 10:40 तक विजय दशमी दशहरा पर विशेष शुभ मुहूर्त का समय कहा जायेगा। इसी बीच शस्त्र पूजा किताब कॉपियों की पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त दिवाकाल 11:20 से दोपहर 12:15 के बीच छठ पूजा का सर्वोत्तम समय रहेगा। इस समय संकल्प, शुभारंभ, नूतन कार्य, गुरु पूजन, अस्त्र शस्त्र पूजन, शमी पूजन ,वाहन विवाह शादी की खरीदारी भूमि भवन हेतु किसी भी कार्य का शुभारंभ किसी भी विशेष कार्य हेतु अनुष्ठान पूजा पाठ गृह प्रवेश नए कार्य का शुभारंभ हेतु सर्वोत्तम समय कहा जाएगा।
इस समय विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार चर, लाभ, अमृत के तीन विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगे। ये किसी भी कार्य के लिए सर्वोत्तम कहे जाते हैं। इसके बाद एक और शुभ मुहूर्त “विजय मुहूर्त” के नाम से दोपहर 12:10 से दोपहर 01:40 के बीच में है, जो किसी भी शुभ कार्य हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण एवं लाभदायक कहा जाएगा।
सर्व सिद्धि दायक विजय काल- दशहरे के दिन शाम को जब सूरज अस्त होने का समय और आकाश में तारे उदय होने का समय होता है वह है सर्व सिद्धि दायक विजय कहलाता है।
दशहरे के दिन जपा जाने वाला विजयी अचूक कारगर मंत्र -दशहरे की शाम के समय प्रत्येक व्यक्ति को ॐ अपराजितायै नमः का जाप करना चाहिए।
मंत्र की 1,2,5,7 या 9 मालाओं का जाप करना चाहिए इससे किसी भी कार्य में विजय प्राप्त होती है मुकदमा जीत विवाह शादी एवं किसी भी कार्य में व्यक्ति की हार नहीं होती है यह अत्यंत अचूक मंत्र है।
विजय पर्व के रूप में दशहरा
दशहरे का उत्सव शक्ति और शक्ति का समन्वय बताने वाला उत्सव है। नवरात्रि के नौ दिन जगदम्बा की उपासना करके शक्तिशाली बना हुआ मनुष्य विजय प्राप्ति के लिए तत्पर रहता है। इस दृष्टि से दशहरे अर्थात विजय के लिए प्रस्थान का उत्सव का उत्सव आवश्यक भी है
भारतीय संस्कृति सदा से ही वीरता व शौर्य की समर्थक रही है। प्रत्येक व्यक्ति और समाज के रुधिर में वीरता का प्रादुर्भाव हो कारण से ही दशहरे का उत्सव मनाया जाता है। यदि कभी युद्ध अनिवार्य ही हो तब शत्रु के आक्रमण की प्रतीक्षा ना कर उस पर हमला कर उसका पराभव करना ही कुशल राजनीति है। भगवान राम के समय से यह दिन विजय प्रस्थान का प्रतीक निश्चित है। भगवान राम ने रावण से युद्ध हेतु इसी दिन प्रस्थान किया था। मराठा रत्न शिवाजी ने भी औरंगजेब के विरुद्ध इसी दिन प्रस्थान करके हिन्दू धर्म का रक्षण किया था। भारतीय इतिहास में अनेक उदाहरण हैं जब हिन्दू राजा इस दिन विजय-प्रस्थान करते थे
इस पर्व को भगवती के ‘विजया’ नाम पर भी ‘विजयादशमी’ कहते हैं। इस दिन भगवान रामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा रावण का वध कर अयोध्या पहुँचे थे। इसलिए भी इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजय’ नामक मुहूर्त होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं
ऐसा माना गया है कि शत्रु पर विजय पाने के लिए इसी समय प्रस्थान करना चाहिए। इस दिन श्रवण नक्षत्र का योग और भी अधिक शुभ माना गया है। युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी इस काल में राजाओं (महत्त्वपूर्ण पदों पर पदासीन लोग) को सीमा का उल्लंघन करना चाहिए। दुर्योधन ने पांडवों को जुए में पराजित करके बारह वर्ष के वनवास के साथ तेरहवें वर्ष में अज्ञातवास की शर्त दी थी। तेरहवें वर्ष यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुनः बारह वर्ष का वनवास भोगना पड़ता। इसी अज्ञातवास में अर्जुन ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर रखा था तथा स्वयं वृहन्नला वेश में राजा विराट के यहँ नौकरी कर ली थी। जब गोरक्षा के लिए विराट के पुत्र धृष्टद्युम्न ने अर्जुन को अपने साथ लिया, तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपने हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। विजयादशमी के दिन भगवान रामचंद्रजी के लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने भगवान की विजय का उद्घोष किया था।विजयकाल में शमी पूजन इसीलिए होता है।
दशहरे पर करने के कुछ विशेष उपाय
दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन बहुत ही शुभ होता है। माना जाता है कि इस दिन यह पक्षी दिखे तो आने वाला साल खुशहाल होता है। दशहरा के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करें। अगर संभव हो तो इस दिन अपने घर में शमी के पेड़ लगाएं और नियमित दीप दिखाएं। मान्यता है कि दशहरा के दिन कुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्राएं देने के लिए शमी के पत्तों को सोने का बना दिया था। तभी से शमी को सोना देने वाला पेड़ माना जाता है। रावण दहन के बाद बची हुई लकड़ियां मिल जाए तो उसे घर में लाकर कहीं सुरक्षित रख दें। इससे नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश नहीं होता है। दशहरे के दिन लाल रंग के नए कपड़े या रुमाल से मां दुर्गा के चरणों को पोंछ कर इन्हें तिजोरी या अलमारी में रख दें। इससे घर में बरकत बनी रहती है।