Agra News: Workshop on International Conference in Multidisciplinary Research and Practice for Sustainable Development and Innovation held in Agra…#agranews
आगरालीक्स…आगरा को ताजनगरी नहीं शिव की नगरी बोलिए. आगरा से बाह होते हुए मध्य प्रदेश तक शिव मंदिरों की श्रृंखला त्रिशूल का करती है निर्माण. संस्कृति विभाग में तीन दिवसीय कार्यशाला….
आगरा से बाह होते हुए मध्य प्रदेश तक शिव मंदिरों की ऐसी श्रंखला है जो एक त्रिशूल का निर्माण करती है। विश्व में कोई ऐसा शहर नहीं जहां चारों दिशाओं और मध्य में शिव मंदिर हों। यह मंदिर इतने प्राचीन हैं कि इनमें से कुछ मंदिरों का वेद पुराणों में जिक्र है, जबकि भारतीय इतिहास में इन्हें कोई स्थान नहीं मिला। आगरा से लेकर मध्य प्रदेश तक फैले शिव मंदिरों की श्रंखला पर शोध कर रहे इतिहास व संस्कृति विभाग से अध्यक्ष प्रो. बीडी शुक्ला ने यह जानकारी विवि के संस्कृति विभाग में कौशाम्बी फाउंडेशन, नीलम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन व डिपार्टमेंट ऑफ हिस्ट्री एंड कल्चर से संयुक्त संयोजन में आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस इन मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड प्रैक्टिस फार सस्टेनेबल डलवपमेंट एंड इनोवेशन के पुरस्कार वितरण समारोह में दी। कहा कि आगरा ताज नगरी से पहले प्राचीन शिव नगरी है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि आयकर विभाग के निदेशक अमर ज्योत व विशिष्ठ अतिथि संयुक्त सचिव एडीए सोम कमल के साथ चैयरमैन टैक्स एंड लीगल सेल उप्र के दीपक माहेश्वरी, विवि के वाइस चांसलर प्रो. अजय तनेजा, कौशाम्बी फाउन्डेशन के चैयरमैन लक्ष्य चौधरी, भूपेन्द्र सिंह, रोहन उप्पल, सूरज तिवारी ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मुख्य अतिथि अमर ज्योत ने कहा कि समस्याओं के समाधान के लिए हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा। अजय तनेजा शोधार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हमें आरामदायक जीवन और विकास से ऊपर ऊठकर ऐसे शोध करने होंगे पार्यवरण और महारे भविष्य को सुरक्षित रखें। एक समय था जब ताज की सफाई बड़ी चुनौती बनी हुई थी। जिसका समाधान मुल्तानी मिट्टी के रूप में सामने आया, जिसमें मौजूद सिलिकेट्स प्रदूषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं और रसायनों से रहित होने के कारण मार्बल से कोई क्रिया करके उसे नुकसान भी नहीं पहुंचाते।
यह बेहतर शोध का ही नतीजा था। अतिथियों का स्वागत इतिहास व संस्कृति विभाग के अध्यक्ष प्रो. बीडी शुक्ला ने किया। संचालन डॉ. मोशाहरी ने किया। कार्यक्रम में डॉ. नितिन वाही, मोनिका मित्तल, डॉ. प्रियांशी राजपूत, डॉ. तुषार चौधरी, संजय तुमार, नीतू सिंह, अंकित वर्मा, अमित गोला, राहुल कुमार, काजल, लक्ष्मी नारायण, कृष्णा शर्मा, योशिल चौधरी, निशा कुमार आदि का सहयोग रहा।
11 शोधार्थियों को
कौशाम्बी फाउंडेशन के चेयरमैन लक्ष्य चौधरी ने बताया कि कार्यशाला में 120 ऑनलाइन व 80 रिसर्च पेपर ऑफलाइन व 40 पोस्टर प्रस्तुत किए गए। जिनमें 11 शोधार्थियों को बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड से सम्मानित किय गया। जिनमें पवन सिंह, फातिमा बी, ज्योतिश्री, अम्बर दुबे, राहुल सिंह, सूरज गुप्ता, पूजा पोरस, पूर्वा दीक्षित, तलद खान, डॉ. राघवेन्द्र मिश्रा, इं. रमेश वर्मा थे। एक्सीलेंस अचीवमेंट अवार्ड से प्रो. केएस राणा, प्रो. बीडी शुक्ला, डॉ. सतीश कुमार, एड. दीपक माहेश्वरी, डॉ. निखिल अग्निहोत्री, एसएस चौधरी को पुरस्कृत किया गया।
60-65 फीसदी बीमारियों जीवों से मनुष्य में पहुंच रहीं
उदयपुर एमबी वैटेनरी कालेज में असिस्टेंस प्रो. डॉ. राघवेन्द्र सिंह बताया कि वर्तमान में 60-65 फीसदी बीमारियों जीव जन्तुओं से मुष्य में पहुंच रही हैं। जिसकी मुख्य वजह जीव जन्तुओं के मीट के ठीक से पकाए बगैर खाना और दूध को ठीक से उबाले बिना पीना है। कहा कि उत्तर भारत में जानवरों (गाय, भैंस, भेड़, बकरी से) से ब्रूसेलोसिस बीमारी तेजी से फैल रही है। उत्तर बारत के 15 फीसदी जानवर ब्रूसेलोसिस से प्रभावित हैं, जिसमें प्रसव के तिम समय से पहले गर्भपात हो जाता है। यह समस्या मनु,यों में भी बढ़ रही है। भारत सरकार ने इस समस्या को रोकने के लिए 2023 तक का लक्ष्य रखा है, जिस पर कई काम किए जा रहे हैं। ब्रीसेलोसिस बैक्टीरियल बीमारी है जो अधिक दूध के उत्पादन के लिए विदेसी जानवरों के सीमन के जरिए बारत पहुंची। इससे जानवरों में भी प्रसव के तिम समय पर गर्भपात व नपुंसकता की संमस्या बढ़ रही है।