आगरालीक्स…(26 September 2021 Agra News) आगरा के जूता व्यापारी बोले—दिल्ली की कुछ फर्में आगरा की फर्मों के खिलाफ झूठा प्रचार कर रही हैं. 30-35 जूता फैक्ट्रियां बंद. दिल्ली जाएंगे व्यापारी
मानदंड हटाने की मांग लेकर दिल्ली जाएंगे आगरा के जूता व्यापारी
अगले हफ्ते आगरा के घरेलू जूता व्यापारी अपनी समस्या लेकर दिल्ली पहुंचेंगे और सरकार के सामने अपना पक्ष रखेंगे। आज बूट मैन्यूफेक्चरर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने केबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल से मुलाकात कर 30-35 जूता फैक्ट्रियां बंद होने की पीड़ा व्यक्त कर ज्ञापन सौंपा। सरकारी टेंडरों में लगाए जाने वाले बेवजह के मानदण्ड हटाने की मांग की जिससे छोटे जूता उद्यमी भी इसका हिस्सा बनकर व्यापार चला सकें। एसपी सिंह बघेल ने मदद का आश्वासन देते हुए अगले हफ्ते उन्हें दिल्ली में सम्बंधित नेताओं से मुलाकात का समय फिक्स कर दिया है।

केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह से मिले जूता उद्यमी
एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील गुप्ता, सचिव अनिल महाजन की अगुवाई ने लगभग 15 घरेलू जूता उद्यमियों ने आज एसपी सिंह बघेल को ज्ञापन सौंपा। अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि दिल्ली की कुछ फर्मों द्वारा आगरा की फर्मों के खिलाफ झूठा प्रचार कर भ्रम फैलाया जा रहा है। जिससे कारण लगभग तीन वर्षों से आगरा की फर्मों को कुछ मानदण्ड लगाकर सरकारी टेंडरों से शामिल न करने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। लिहाजा लगभग 45 में से 35 फैक्ट्रियां बंद हो गईं हैं। 4-5 हजार मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। जिन फर्मों का टर्न ओवर तीन वर्ष पहले तक 20-25 करोड़ था, आज 2 करोड़ पर पहुंच गया है। ताज नगरी के छोटे जूता उद्यमी तो पूरी तरह से समाप्त हो गए हैं।
कहा कि आगरा की फर्में पहले से ही पहले से ही अपग्रेड हैं और मानदण्ड पर खरी हैं। पिछले 15 वर्षों से आगरा की फर्में सफलता पूर्वक कार्य कर रही हैं। क्राएटेरिया लगाकर सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। उन्होंने ज्ञापन के साथ सरकार द्वारा मिले आर्डर की कॉपियां भी संलग्न की। इस अवसर पर मुख्य रूप से राहुल महाजन, धर्मपाल गुप्ता, रूफ खान, नीना महाजन, पल्लवी, भारती धनवानी, प्रेम सिंह, रामदास, नितिन, हरिओम, रोहित, सोनू, भगवती प्रसाद आदि उपस्थित थे।
एफडीआई ने भी किया है आगरा की फर्मों का सत्यापन
टेंडर में मशीनों से सम्बंधित जो शर्तें लगाई जा रही हैं, उससे प्रोडक्ट की क्वालिटी नहीं सिर्फ क्वांटिटी (संख्या) पर फर्क पड़ता है। आगरा की फर्मों की जांच कर एफडीआई भी इस बात को सत्यापित कर चुकी है। इसका प्रमाण पत्र भी है जूता व्यापारियों के पास। फिर भी बेवजह की शर्तें लगाकर आगरा की कम्पनियों को टेंडर में शामिल होने से बाहर रखा जा रहा है। ऐसे तो आगरा से जूता उद्योग समाप्त हो जाएगा।