आगरालीक्स…अक्षय तृतीया मंगलकारी दिवस है। बांकेबिहारी के श्री विग्रह के चरण दर्शन। मां गंगा, अन्नपूर्णा व महर्षि परशुराम का अवतरण समेत कई खूबियां…
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अक्षय तृतीया की पौराणिक जानकारियां
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भारतीय पर्वों में अक्षय तृतीया पर्व का विशेष महत्व है। इस मुहूर्त को बेहद शुभ माना जाता है। आइए जानें इससे जुडी कुछ पुरानी पौराणिक जानकारियां या राज के बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदयरंजन शर्मा।
मंगलकारी शुभ संयोग है इस बार
🌹 इस वर्ष 22 अप्रैल अक्षय तृतीया पर बन रहा है मंगलकारी संयोग इस शुभ संयोग का फायदा हर किसी को मिलेगा वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी अक्षय तृतीया पर्व अपने आप में अनुभुजा (अनपूछा) मुहूर्त है शनिवार को आने व मेष राशि मे चतुरग्रही महासंयोग, साथी वृषभ राशि में स्वग्रही शुक्र उच्च का चंद्रमा स्वग्रही कुंभ राशि में शनि देव होने की वजह से यह अत्यंत मंगलकारी हो गया है।
यह हैं इस दिन की खासियत
🍁 आज ही के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था
🍁 मां अन्नपूर्णा का जन्म की भी मान्यता है
🍁 मां गंगा का अवतरण हुआ था
🍁 द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज के ही दिन बचाया था
🍁 कुबेर को आज के दिन खजाना मिला था
🍁 सतयुग और त्रेतायुग का प्रारब्ध आज के दिन हुआ था
🍁 कृष्ण और सुदामा का मिलन भी अक्षय तृतीया पर हुआ था
🍁 ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण
🍁 प्रसिद्ध तीर्थ बद्री नारायण का कपाट आज के दिन खोले जाते हैं
🍁 वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं अन्यथा सालभर चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं
🍁 महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था
स्वयंसिद्ध मुहूर्त
🌹अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयंसिद्ध मुहूर्त है, कोई भी शुभ कार्य का प्रारंभ किया जा सकता है
सौभाग्य का पर्व माना जाता है
🍁अक्षय तृतीया का पर्व मुख्य रूप से सौभाग्य के लिए जाना जाता है। इस दिन का कमहत्व सुंदर और सफलतम वैवाहिक जीवन के लिए सबसे अधिक माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या दान करने का महत्व है।
दान करने से चार गुना ज्यादा फल
इस दिन जितना भी दान करते हैं उसका चार गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन किए गए कार्य का पुण्य कभी क्षय नहीं होता। यही वजह है कि इस दिन पुण्य प्राप्त करने का महत्व है
पुण्यों का कभी क्षय नहीं होता
💐अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं हो। माना जाता है कि इस दिन जो भी पुण्य अर्जित किए जाते हैं उनका कभी क्षय नहीं होता है। इस दिन आरंभ किए गए कार्य भी शुभ फल प्रदान करते हैं
सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं
🌻यही वजह है कि ज्यादातर शुभ कार्यों का आरंभ इसी दिन होता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन हर तरह के शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं और उनका शुभदायक फल होता है। वैसे तो हर माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया शुभ होती है लेकिन वैशाख माह की तृतीया स्वयंसिद्ध मुहूर्त मानी गई है। इस दिन बिना पंचांग देखे शुभ व मांगलिक कार्य किए जाते हैं
पितरों का तर्पण-पिंडदान भी कर सकते हैं
🌺 विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीदारी जैसे शुभकार्य किए जाते हैं। इस दिन पितरों को किया गया तर्पण और पिंडदान अथवा अपने सामर्थ्य के अनुरूप किसी भी तरह का दान अक्षय फल प्रदान करता है
गंगा स्नान से कष्टों से मुक्ति
🌷इस दिन लोग श्रद्धा से गंगा स्नान भी करते हैं और भगवद् पूजन करते हैं ताकि जीवन के कष्टों से मुक्ति पा सकें। कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से अपने अपराधों की क्षमा मांगने पर भगवान क्षमा करते हैं और अपनली कृपा से निहाल करते हैं। अत: इस दिन अपने भीतर के दुर्गुणों को भगवान के चरणों में अर्पित करके अपने सद्गुणों को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए