Anemia is the biggest enemy of women, learn from Dr. Ritu Garg how to defeat it
महिलाओं का सबसे बड़ा दुश्मन है एनीमिया, नवरात्रि में डॉ. ऋतु गर्ग से जानें इसे कैसे हरा सकते हैं, मामूली जांच से भी पता कर सकते हैं
नवरात्रि श्रद्धा, आस्था, प्रेम और सद्भावना का त्योहार है। इस पर्व पर मां दुर्गा के प्रति आस्था रखने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए लोग नौ दिनों का व्रत रखते हैं। कुछ लोग कई चीजों का त्याग भी करते हैं। शहर की प्रतिष्ठित आस्था पैथोलॉजी कीं निदेशक डॉ. ऋतु गर्ग का मानना है कि हम सभी के अंदर कोई-न-कोई खराब आदत होती है, जैसे कि झूठ बोलना, लापरवाही करना, ज्यादा गुस्सा करना या काम को टालते रहना। परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते—संभालते महिलाओं के अंदर भी कई बार यह आदत बन जाती है कि वे सबसे आखिर में और बचा—कुचा खाना शुरू कर देती हैं। यह एनीमिया की एक बड़ी वजह है। और भी तमाम कारणों से महिलाएं एनीमिया की शिकार होती हैं। आईए जानते हैं इस लेख में डॉ. ऋतु से, जांचों से कितना आसान है इसका पता लगाना और फिर इलाज कराना।
पहले एनीमिया को समझें
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत की महिलाओं में एनीमिया की समस्या बहुत आम है। इसे सरल भाषा में खून की कमी भी कहते हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS)-5 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 15 से 19 साल की 59.1% लड़कियों को खून की कमी है। वहीं 15 से 49 साल की 52.2% प्रेग्नेंट महिलाएं एनीमिया की चपेट में आती हैं।
एनीमिया होने की वजह
हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल्स (कोशिकाएं) होती हैं, जो शरीर के सभी हिस्सों तक खून को पहुंचाती हैं। जब इनकी मात्रा कम होने लगती है तब ऑक्सिजन की भी कमी होने लगती है। ऐसे में नया खून बनने में बाधा आती है। इसी समस्या को एनीमिया कहा जाता है।
एनीमिया होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे शरीर में आयरन, विटामिन B12, फोलेट की कमी। इसके अलावा DNA में गड़बड़ी और बोन मैरो द्वारा नए रेड ब्लड सेल्स न बना पाना भी इसकी वजह हैं।
महिलाएं घर में इन लक्षणों पर गौर करें
थकान, हाथ-पैर ठंडे होना, सांस लेने में परेशानी, त्वचा पीली होना, कमजोरी, चक्कर आना, सिर दर्द, दिल की धड़कन अनियमित होना, हड्डियों, जोड़ों, पेट, सीने में दर्द यह सभी एनीमिया के लक्षण हो सकते हैं। महिलाओं को चाहिए कि वे इन लक्षणों पर गौर करें और डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। लक्षणों को पहचान कर मामूली लैब टेस्ट से ही इसकी पुष्टि कर ली जाती है और उपचार शुरू हो सकता है जो बहुत आसान है।
जांचें
सबसे जरूरी चीज है जांचें, एनीमिया के कारण और लक्षणों के आधार पर डॉक्टर इसका इलाज करते हैं। आम तौर पर एनीमिया के लिए सीबीसी यानि कंपलीट ब्लड काउंट कराया जाता है। लेकिन जिन लोगों में एडवांस एनीमिया होता है, उन्हें कुछ और जांचें भी की जाती हैं।
एनीमिया की जांच इसके टाइप पर निर्भर करती है। जांच के बाद ही एनीमिया के कारणों और इसके टाइप का पता चल पाता है।
आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया- इस तरह का एनीमिया शरीर में आयरन की कमी के कारण होता है। अनहेल्दी डाइट और ब्लीडिंग आदि की वजह से यह एनीमिया हो सकता है।
अप्लास्टिक एनीमिया- जब आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में रेड ब्लड सेल्स यानी लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण नहीं हो पाता है, तो इसकी वजह से अप्लास्टिक एनीमिया का खतरा रहता है।
थैलेसीमिया- यह भी एनीमिया की ही एक प्रकार है, जो आनुवांशिक कारणों से होता है। थैलेसीमिया की समस्या में ब्लड में हीमोग्लोबिन का लेवल बहुत कम होता है।
सिकल सेल एनीमिया- सिकल सेल एनीमिया की समस्या माता-पिता से बच्चों में होने वाली बीमारी है। यह बीमारी एक गंभीर आनुवांशिक बीमारी है, इस स्थिति में रेड ब्लड सेल्स अपनी संरचना को ठीक रखने और ऑक्सीजन कैरी नहीं कर पाते हैं।
विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया- विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया की समस्या शरीर में फोलेट या विटामिन बी 12 की कमी से होती है। विटामिन बी 12 या फोलेट शरीर में रेड ब्लड सेल्स को बनाने में मदद करते हैं।
इन टाइप्स के आधार पर एनीमिया की जांच के लिए निम्नलिखित टेस्ट किये जाते हैं-
- सीबीसी या कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट
- हेमेटोक्रिट और हीमोग्लोबिन के स्तर से आरबीसी का टेस्ट
- किडनी और लिवर फंक्शन टेस्ट
- थायराइड टेस्ट
- विटामिन बी 12 और फोलेट टेस्ट
- आयरन प्रोफाइल टेस्ट
- यूरिन टेस्ट
- कोलोनोस्कोपी
- बोन मैरो टेस्ट
उपचार
एनीमिया का इलाज बहुत आसान है। डॉक्टर कुछ दवाओं के साथ आयरन का सेवन ज्यादा करने, भरपूर मात्रा में विटामिन लेने, फोलिक एसिड वाले पदार्थ और व्यायाम की सलाह देते हैं।