आगरालीक्स…(23 September 2021 Agra News) गर्भावस्था में कई बार हाई ब्लड प्रेशर, जेस्टेशनल डायबिटीज, मोटापा हो जाता है. इनसे बचने को एंटी नेटल चैकअप जरूरी हे. जानिए पूरी डिटेल
प्लेसेंटा में खराबी होने से हो जाता है पोस्टपार्टम हेमरेज
गर्भावस्था में कई बार हाई ब्लड प्रेशर, जेस्टेशनल डायबिटीज, मोटापे की वजह से प्लेसेंटा में खराबी आ जाती है। इसकी वजह से बच्चे को पोषण नहीं मिल पाता है। कई बार डिलीवरी के बाद महिलाओं को अत्यधिक रक्तस्त्राव होने लगता है। इसे पोस्टपार्टम हेमरेज (पीपीएच) कहा जाता है। इसकी वजह से कई बार मां की मौत तक हो जाती है। इससे बचने के लिए एंटी नेटल चैकअप बेहद जरूरी है। वहीं अत्याधुनिक दवाएं भी हैं, जिनका इस्तेमाल एक घंटे के भीतर किए जाने से माताओं की मृत्यु को रोका जा सकता है। यह कहना है स्त्री रोग विशेषज्ञों का।
एओजीएस ने आयोजित की महत्वपूर्ण कार्यशाला
आगरा आब्स एंड गायनी सोसायटी (एओजीएस) की ओर से पीपीएच के मैनेजमेंट की अत्याधुनिक तकनीकों विषय पर एक कार्यशाला संजय प्लेस स्थित होटल होली-डे इन में रात आठ बजे से आयोजित की गई। इसमें मुंबई से आए विशेषज्ञ डा. जयदीप टंक ने महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। कहा कि पीपीएच भारत में मातृ मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण है। इसे रोकने के लिए दो बातें जरूरी हैं। एक कि महिला अपनी गर्भावस्था के पूरे नौ महीने विशेषज्ञ की निगरानी और परामर्श में ही गुजारे और दूसरा प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्त्राव के दौरान अत्याधुनिक दवाओं का इस्तेमाल। कार्विटोसिन नाम की दवा के सही इस्तेमाल से मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है, लेकिन इसके इस्तेमाल के लिए गांव, देहात, दूर-दराज में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। ट्रेनेक्जिेमिक एसिड प्रसव के बाद होने वाली ब्लीडिंग को रोकने में बेहद कारगर दवा है, लेकिन यदि इसे तीन घंटे के भीतर लगा दिया जाए। इसके अलावा दवा को एक विशेष तापमान में संरक्षित रखने, इसकी उपलब्धता की जरूरत है, जो दूर-दूराज क्षेत्रों में सुविधाओं की कमी से नहीं हो पाता।
ब्लड प्रेशर हाई होने से रुक जाती है बच्चे की ग्रोथ
एओजीएस की अध्यक्ष डा. आरती मनोज गुप्ता ने बताया कि अधिकतर महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, लेकिन उन्हें पता नहीं होता। इसे प्री इक्लेम्शिया कहते हैं। अगर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित नहीं किया गया तो बच्चे की ग्रोथ रूक जाती है। वहीं डिलीवरी के समय या पहले से ही मरीज को झटके आने लगते हैं। इससे जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा रहता है। इसलिए महिला को हायर सेंटर में इलाज कराना चाहिए। सचिव डा. सविता त्यागी ने कहा कि गर्भावस्था में कई बार प्लेसेंटा यूट्रस से जुड़ी रह जाती है। डिलीवरी के समय अत्यधिक रक्तस्त्राव होने लगता है। यह सबसे गंभीर स्थिति है।
इन्होंने दी जानकारी
पहले सत्र की अध्यक्षता प्रो. बरूण सरकार, डा. नरेंद्र मल्होत्रा, डा. जयदीप मल्होत्रा, डा. अनुपम गुप्ता और डा. सुष्मा गुप्ता ने की। डा. जयदीप और डा. नरेंद्र ने बताया कि वे पीपीएच पर काफी समय से काम करते आ रहे हैं। ट्रेनेक्जिेमिक एसिड एक इंजेक्टेबिल ड्रग हैं, जिसे एक उचित तापमान और लगाने के लिए कुशल स्टाफ की जरूरत होती है। वहीं पीपीएच की वजह से होने वाली माताओं की मृत्यु दर को कम करने के लिए एंटीशाॅक गारमेंट्स भी एक बेहतर विकल्प हैं। दूसरे सत्र में सीजेरियन स्कार प्रेग्नेंसी विषय पर चर्चा हुई। डा. सरोज सिंह ने सीजेरियन प्रसव के बाद पेट पर आने वाले निशानों को कैसे रोका जा सकता है या कम किया जा सकता है पर जानकारी दी। इस सत्र की अध्यक्षता डा. संध्या अग्रवाल और डा. अल्का सारस्वत ने की। संचालन डा. संजना महेश और डा. नीलम रावत ने किया।