आगरा की महिलाओं को जननांगों की एक बडी समस्या है
आगरालीक्स… आगरा की महिलाओं को जननांगों की एक बडी समस्या है। गर्भाशय में टीबी यानि ट्यूबरक्लोसिस महिलाओं में तेजी से बढ रहा है। टीबी रोग के जीवाणु जब प्रजनन मार्ग में पहुंच जाते हैं, तब इसे जेनाइटल टीबी या पेल्विक टीबी कहा जाता है। यह स्थिति महिलाओं में संतान पैदा करने में मुश्किल पैदा कर सकती है। यह जानकारी विशेषज्ञ चिकित्सकों ने आगरा में इस विषय पर आयोजित एक कार्यशाला में दी।

आगरा आॅब्सटेट्रिकल एंड गायनेकोलाॅजिकल सोसाइटी (एओजीएस) की ओर से मंगलवार को रेनबो हाॅस्पिटल के सभागार में जेनाइटल टीबी पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें फाॅग्सी की प्रेसीडेंट और रेनबो आईवीएफ की निदेशक डा. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि क्यों इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि टीबी बांझपन का बडा कारण है। भारत में 25 से 30 प्रतिशत महिलाएं इससे पीडित हैं। जेनाइटल टीबी के कारण बांझपन न सिर्फ महिलाओं बल्कि पुरूषों में भी देखने मिलता है। लगातार बढ रहे बांझपन के आंकड़े नवदंपतियों के लिए समस्या पैदा करने लगे हैं; शादी के कई वर्ष गुजरने पर भी घर में किलकारी न गूंजने से परेशान होने लगते हैं। डाॅक्टर बदलते रहते हैं और उम्मीद टूटती जाती है। ऐसे दंपति के घरों में किलकारी गूंज सकती है। दवाओं से 70 फीसद तक मामले ठीक हो सकते हैं। जिससे महिला गर्भधारण कर सके। मगर इसे लेकर जागरूकता नहीं है।

डा. दीक्षा गोस्वामी ने बताया कि दो हफते से ज्यादा खांसी आना टीबी का लक्षण हो सकता है। ये संक्रमण बढकर गर्भाशय, प्राइवेट पार्ट, किडनी, रीढ की हड्डी या दिमाग तक भी पहुंच सकता है। डा. शैली गुप्ता ने जेनाइटल टीबी की पहचान और डा. विश्व दीपक ने इसके इलाज पर जानकारी दी। कार्यक्रम में पहले सत्र को डा. निधि गुप्ता, डा. सीमा सिंह, डा. सुधा बंसल ने चेयर किया। वहीं दूसरे और तीसरे सत्र की अध्यक्षता डा. सरोज सिंह, डा. अमित टंडन, डा. वंदना सिंघल, डा. संतोष सिंघल, डा. मधु राजपाल, डा. मनप्रीत शर्मा ने की। इस अवसर पर डॉ आरएन गोयल, डॉ अशोक शर्मा, डॉ मधु राजपाल, डॉ केशव मल्होत्रा, डॉ शैमी बंसल, डॉ नीलम माहेश्वरी, डॉ सरिता दीक्षित आदि मौजूद थे।

देश में बढ़ रही ये समस्या…
डा. निहारिका मल्होत्रा ने बताया कि जेनाइटल टीबी महिलाओं में ट्यूब को 90 प्रतिशत तक ब्लाॅक कर देता है। इसके बाद टीबी के बैक्टीरिया यूट्रस और फिर ओवरी को निशाना बनाते हैं। महिलाओं में जेनाइटल टीबी से एंडोमेट्राइसिस यानि गर्भाशय का संक्रमण और सेल्फनजाइटिस (नलों का संक्रमण) हो जाता है। यह महिला बांझपन का एक बड़ा कारण है। इस तरह के केस में महिलाएं गर्भधारण कर सकें। पुरूषों में जेनाइटल टीबी होने पर एजूस्पर्मिया (अशुक्राणुता) की समस्या हो जाती है, यह पुरूष बांझपन का बड़ा कारण है।
गर्भावस्था में खतरनाक है टीबी…..
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने गर्भावस्था में टीबी पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में टीबी का इलाज न किए जाने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। यह गर्भवती महिला के लिए खतरनाक हो सकता है साथ ही अजन्मे बच्चे को भी किसी बड़ी असमान्यता का शिकार बना सकता है। कई बार गर्भावस्था और टीबी की दवाओं के बीच भी असमंजस होती है। ऐसे में चिकित्सक की राय और अनुभव अहम रोल अदा करते हैं।