आगरालीक्स…क्या एआई हमारी नौकरियां खा जाएगा ? क्या यह एक ऐसा टूल बन जाएगा जो हमारा शोषण करे, क्या यह दुनिया को नियंत्रित कर लेगा ? आगरा में चर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने क्या कहा पढ़ें इस खबर में
आगरा में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर एक बड़ी चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि (एआई) को भविष्य का सबसे उपयुक्त टूल समझा जा रहा है, ये सही समय है जब इस पर चर्चा होनी चाहिए नहीं तो जब हम इसे सीखना शुरू करेंगे दुनिया सुपर इंटेलीजेंस पर पहुंच जाएगी। जब हम इसे सीखेंगे, इसके बारे में जानेंगे तभी इसकी सही दशा और दिशा तय कर पाएंगे।
पचकुईयां स्थित माथुर वैश्य सभागार में स्वतंत्रता सेनानी व कम्युनिस्ट नेता महादेव नारायण टंडन की 21 वीं पुण्य तिथि के मौके पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के सामाजिक एवं मानवीय पहलू विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता किंग्स कॉलेज लंदन से आईं सौम्या श्रीवास्तव ने बताया कि एआई प्रौद्योकियां तेजी से विकसित हो रही हैं और समाज, अर्थव्यवस्था व संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डाल रही हैं। देखा गया है कि एआई के हमारे जीवन में प्रवेश से लोगों के बीच डर भी पैदा हुआ है। क्या एआई सभी नौकरियां खा जायेगा ? क्या यह शोषण के लिए एक उपकरण बन जाएगा? यह लोगों और समाज को कैसे प्रभावित करेगा? क्या एआई दुनिया को नियंत्रित कर लेगा? इन सभी सवालों से इस प्रौद्योगिकी के बहिष्कार का भाव उत्पन्न होता है।

हमें यह स्वीकारना होगा की हम एआई के विकास को रोक नहीं सकते, इसके पास समाज को सकारात्मक तरीके से लाभ पहुंचाने की क्षमता है – स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा से लेकर परिवहन और कृषि तक यह जीवन को तेजी से और बेहतर बना सकती हैं, लेकिन हमें इसके सामाजिक प्रभाव, मानवीय भावनाओं और जीवन मूल्यों के बारे में सजग रहना होगा। बेहतर होगा की हम साथ मिलकर इस प्रौद्योगिकी के बारे में अधिक से अधिक जानें और इसकी दिशा को इस तरह निर्देशित करें कि यह हमारे अपने समाज की, युवाओं की, किसानों की समस्याओं को सुलझाए।
अध्यक्षता कर रहे टूरिज्म गिल्ड के अध्यक्ष व पयर्टन व्यवसायी राजीव सक्सेना ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मुख्य लक्ष्य मानव मस्तिष्क और क्षमताओं की नकल करना है, ताकि कंप्यूटर ऐसे कार्य कर सकें जिनके लिए आम तौर पर मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है, जैसे भाषण को समझना, छवियों को पहचानना और निर्णय लेना। एक अनुमान के अनुसार पर्यटन में एआई का योगदान 2026 तक लगभग 1.2 बिलियन डॉलर का हो जाएगा जो क्रमश: 10% की दर से बढ़ रहा है। विशेषकर बेहतर दक्षता, उन्नत ग्राहक अनुभव, त्वरित ग्राहक सेवा, सटीक पूर्वानुमान, मूल्यों का समायोजन और धोखाधड़ी से रोकथाम करने के लिये इसका उपयोग। इसमें ट्रिप एडवाइज़र तथा हिल्टन होटल मुख्यतः अग्रणी है। भारत में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग आतिथ्य व्यापार में दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

इससे पूर्व उपस्थित जनों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुए का. डॉ. जेएन टंडन ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव बुद्धि की तकनीकी संतान है, जो सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक पहलुओं के साथ सभी में स्वभाविक चिंता पैदा कर रही है। चमत्कारिक रूप से यह पूरी क्षमता के साथ तभी विकसित हो सकती है जब ‘एआई’ को अर्थव्यवस्था की तर्क संगत योजना के अधीन नियंत्रित करें।
अतिथि वक्ता सौम्या श्रीवास्तव को डॉ. साहिल अरोरा, डॉ. रईसा अरोरा द्वारा स्मृति भेंट दी गई। आभार का. पूरन सिंह ने दिया।दादा सोम ठाकुर, पूर्व मन्त्री उदय भान सिंह, डॉ. रमेश शर्मा, रमाकांत सारस्वत, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. पंकज नागइच, अनिल शर्मा, अरुण सोलंकी, सोम साहू, डॉ. अरविंद भारती, राम नाथ, रमेश पंडित, राजीव सिंघल, अभिनय प्रसाद, डॉ.रजनीश गुप्ता, डॉ. मधुरिमा शर्मा, डॉ. सुधीर धाकरे, डॉ. अनुपम गुप्ता, डॉ. मुनीश्वर गुप्ता, डॉ. डीवी शर्मा, डॉ. अशोक शिरोमणि आदि उपस्थित थे।