Rashifal 23 October 2024: Wednesday will be auspicious for these
Ashadh Gupta Navratri special from June 19: Best time to worship Goddess Bhagwati, know the method of worship
आगरालीक्स…आषाढ़ गुप्त नवरात्र 19 जून से शुरू हो रहे हैं। माता भगवती की आराधना का होता है श्रेष्ठ समय। पूजा विधान कब और कैसे करें पूजा जानिये विस्तार से।
आदिशक्ति की पूजा का है महत्व
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान एवं गुरू रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबि पुराणों में गुप्त नवरात्र की मान्यता है कि नवरात्र में महाशक्ति की पूजा कर श्रीराम ने अपनी खोई हुई शक्ति पाई। इसलिए इस समय आदिशक्ति की आराधना पर विशेष बल दिया गया है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार, दुर्गा सप्तशती में स्वयं भगवती ने इस समय शक्ति-पूजा को महापूजा बताया है
🔥कलश स्थापनाः देवी दुर्गा की स्तुति, सुमधुर घंटियों की आवाज, धूप-बत्तियों की सुगंध – यह नौ दिनों तक चलने वाले साधना पर्व नवरात्र का चित्रण है।
साधना और उपासना
🌟 नवरात्र को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहले भाग में नवरात्र में की जाने वाली देवी की साधना और उपासना को रखा जा सकता है। दूसरे भाग में व्रत और उपवास की प्रक्रिया रखी जा सकती है। ऐसा माना जाता है कि परमानंद की प्राप्ति तभी संभव है, जब दोनों भागों की प्रक्रियाओं का विधिवत पालन किया जाए।
बुराइयों पर नियंत्रण करना जरूरी
नवरात्र के नौ दिनों में स्वयं के बुरे विचार, क्रोध, छल-कपट, ईष्र्या आदि जैसे बुरे गुणों पर नियंत्रण किया जाता है। यदि आप इन नौ दिनों में मानव कल्याण में रत रहते हैं, तो अनुष्ठान का महत्व और अधिक बढ जाता है।
नवरात्र की नौ देवियां की आराधना
🌷 नवरात्र की नौ देवियां,नवरात्र के इन नौ दिनों में देवी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना होती है। सच यही है कि शक्ति या ऊर्जा में यही क्षमता होती है कि वह स्वयं को अवसर के अनुकूल भिन्न-भिन्न रूपों में व्यक्त कर सके. मां जननी है। हम सबकी ही नहीं, बल्कि राम और कृष्ण तक की जननी है वह स्वयं को जिन अलग-अलग रूपों में अभिव्यक्त करती है, उसकी शुरुआत होती है दुर्गा के रूप में. मान्यता है कि मां दुर्गा ने लगातार नौ दिन और नौ रात तक युद्ध करके महिषासुर का वध किया था।
शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना
🍁 नवरात्र में हम शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना करते हैं. इस दौरान कुछ भक्तगण नौ दिनों का उपवास रखते हैं, तो कुछ सिर्फ पहले और अंतिम दिन उपवास रखते हैं। दरअसल, त्यौहारों खासकर नवरात्र में उपवास का विशेष महत्व है, उपवास में उप का अर्थ है निकट और वास का मतलब निवास करना. कुल मिलाकर यह माना जाता है कि उपवास के माध्यम से ईश्वर से निकटता और बढ़ जाती है
🌟 पूजन विधि, पूजा करने से पहले सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहन कर अपने ईष्ट देवता को याद करें और फिर व्रत का ध्यान कर अपनी पूजा आरंभ करें।
🔷सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके | शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते ||
🔶या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थितः! या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थितः!!या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थितः! नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमस्तस्यैः नमो नमः!!