
मामले का खुलासा एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए हुआ है। स्टिंग में पोस्टमॉर्टम हाउस का एक कर्मचारी लिवर का सौदा करते हुए दिखता है। इसके अलावा, वीडियो में वह अंग की डिलिवरी करते हुए भी दिखता है। जिला प्रशासन ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
स्टिंग करने वाले शख्स का दावा है कि मेरठ मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारी ने कुछ दिन पहले सड़क दुर्घटना में मारे गए एक पुलिस इंस्पेक्टर का लिवर निकाल कर उसे दिया। कुछ दूसरे कर्मचारी भी इस धंधे में शामिल हैं। उसके मुताबिक, पोस्टमॉर्टम हाउस के कर्मचारी इन अंगों को तांत्रिकों को बेचते हैं और मनमाफिक पैसे लेते हैं। सूत्रों के अनुसार, ज्यादातर लावारिस शवों से अंगों को निकाला जाता है। इसके अलावा, दुर्घटना में मारे गए लोगों की बॉडी से भी ये अंग निकाले जाते हैं। तांत्रिकों के बीच लिवर की डिमांड सबसे अधिक है। इसके बदले वे दो हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक वसूलते हैं। बच्चे के लिवर की कीमत सबसे ज्यादा 15 हजार रुपए है।
अस्पताल के सीएमओ डॉ. रमेश चंद्रा ने इस मामले में जांच कराने की बात कही है। सीएमओ ने बताया कि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों की ड्यूटी है कि जब तक शव दोबारा सील न कर दिए जाएं, वे खुद वहां मौजूद रहें। डॉक्टरों को अब निर्देश दिए गए हैं कि वे शव का पोस्टमॉर्टम करने के बाद पुलिस की मौजूदगी में ही उसे सील करें।
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