Devprabodhini Ekadashi: Achieving happiness by the sight of Lord Khatushyam
आगरालीक्स… देवप्रबोधिनी एकादशी भगवान खाटूश्याम का प्राकट्य दिवस भी है। आगरा में भी इनका मंदिर है। प्रभु के दर्शन से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।
हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा
हारे का सहारा खाटूश्याम हमारा के बारे में ज्योतिषाचार्य हृदय रंजन शर्मा ने बताया की
खाटू श्याम बर्बरीक के रूप है। श्रीकृष्ण ने ही बर्बरीक को खाटूश्यामजी नाम दिया था। भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार खाटू श्यामजी खाटू में विराजित हैं। वीर घटोत्कच और मौरवी को एक पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई, जिसके बाल बब्बर शेर की तरह होने के कारण इनका नाम बर्बरीक रखा गया।
अनेक नाम हैं
बर्बरीक को आज हम खाटू के श्याम, कलयुग के अवतार, श्याम सरकार, तीन बाणधारी, शीश के दानी, खाटू नरेश व अन्य अनगिनत नामों से जानते व मानते हैं।
महान योद्धा थे बर्बरीक
भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध से पहले बर्बरीक को युद्ध से रोककर उसका शीश का दान मांगा था, जिसे उन्होंने सहर्ष प्रदान कर दिया था। श्रीकृष्ण वीर बर्बरीक के महान् बलिदान से काफ़ी प्रसन्न हुये और वरदान दिया कि कलियुग में तुम श्याम नाम से जाने जाओगे, क्योंकि कलियुग में हारे हुये का साथ देने वाला ही श्याम नाम धारण करने में समर्थ है। खाटूनगर तुम्हारा धाम बनेगा और उनका शीश खाटूनगर में स्थापित किया गया।
-बर्बरीक फाल्गुन माह की द्वादशी को उन्होंने अपने शीश का दान दिया। भगवान ने उस शीश को अमृत से सींच कर सबसे ऊँची जगह पर रख दिया, ताकि वह महाभारत युद्ध देख सके।
-खाटू की स्थापना राजा खट्टवांग ने की थी। खट्टवां ने ही बभ्रुवाहन के बर्बरीकद के देवरे में बर्बरीक के सिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी। वहां सफ़ेद संगमरमर का खाटू श्यामजी मंदिर बनावाया गया था। कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में सुशोभित किया गया, जिसे बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। खाटू श्याम जी का मुख्य मंदिर राजस्थान के सीकर ज़िले के गाँव खाटू में बना हुआ है। यहां प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष में बड़े मेले का आयोजन होता है। प्रत्येक एकादशी और रविवार को भी यहां भक्तों की कतारें लगी होती हैं।
आगरा में भी जीवनी मंडी में खाटूश्यामजी का मंदिर है, जहां श्रद्धालु दर्शनों को आते हैं।