Doctors gave many important information on abortion In the workshop of AOGS…#agranews
आगरालीक्स…गर्भपात कितना दर्दनाक होता है, यह एक महिला से बेहतर कौन जान सकता है. एओजीएस की कार्यशाला में डॉक्टर्स ने दी कई अहम जानकारियां…
बच्चा होने की आशाएं और खुशियां एक ही पल में खत्म हो जाना। गर्भपात कितना दर्दनाक होता है, यह एक महिला से बेहतर कौन जान सकता है। कुछ महिलाओं को इस घटना से बार-बार जूझना पडता है। इसलिए समस्या का सटीक कारण पता लगाना और उपचार बेहद जरूरी है। यह कहना है विशेषज्ञों का। आगरा आब्सटेट्रिकल एंड गायनेकोलाॅजिकल सोसायटी आफ इंडिया (एओजीएस) की ओर से गुरूवार को फतेहाबाद रोड स्थित होटल हावर्ड प्लाजा में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें शहर भर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ शामिल हुए।
पहले तकनीकी सत्र में रिकरेंट प्रेग्नेंसी लाॅस विषय पर संबोधित करते हुए डा. मधु राजपाल ने कहा कि जिन महिलाओं का दो या अधिक बार गर्भपात हो चुका होता है उन्हें चिकित्सकीय रूप से रिकरेंट मिसकैरेज कहा जाता है। बच्चे की आनुवांशिक समस्या और क्रोमोसोमल संबंधी समस्याओं के अलावा प्रोजेस्ट्रॉन की कमी एक बहुत बड़ा कारण होता है। इसकी पूर्ति करने के लिए इसकी प्रिपरेशन गर्भवती महिलाओं को दी जाती है, जिसमे कि डिड्रोजेसटीरोन नामक प्रोजेस्टेरोन का काफी अच्छा रोल है जो कि बार बार होने वाले गर्भपात से महिला को निजात दिलवाता है। महिला और उसके परिवार द्वारा गर्भावस्था के पूरे काल में विशेष देखभाल और सावधानी की जरूरत भी होती है।
इसके बाद एक सफल प्रसव और स्वस्थ शिशु का जन्म कराया जा सकता है। दूसरे तकनीकी सत्र में एओजीएस कीं सचिव डा. सविता त्यागी ने मैनेजमेंट आॅफ पीपीएच न्यू पर्सपेक्टिव विषय पर संबोधित करते हुए कहा प्रसव के बाद अत्याधिक रक्तस्राव महिलाओं की मृत्यु का बहुत बड़ा कारण है।
इसके लिए जरूरी है कि बच्चा पैदा होने के तुरंत बाद कुछ इंजेक्शन दे दें तो रक्तस्त्राव को कम किया जा सकता है, इसी क्रम में कार्बिटोसिन नामक एक नए मॉलिक्यूल की खोज हुई है जो पहले दिए जाने वाले इंजेक्शन से ज्यादा लाभकारी है नाॅर्मल डिलीवरी में निकलने वाले ब्लड से अधिक ब्लड निकलता है तो पीपीएच कहा जाता है। जब यह रक्तस्त्राव अत्यधिक होने लगे तो इससे मां की जान को खतरा हो सकता है। इन नए इंजेक्शन से पीपीएच के खतरे को काफी कम किया गया है।
एओजीएस कीं अध्यक्ष डा. आरती मनोज ने कहा कि मेडिकल साइंस बहुत तेजी से प्रगति करता है और समय-समय पर आने वाले इन आधुनिक-तकनीकी बदलावों को समझने के लिए इस तरह की कार्यशालाएं बेहद जरूरी हैं। इससे चिकित्सक आपसी ज्ञान को साझा करते हैं, जो मरीजों के हित में होता है। तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता डा. अभिलाषा प्रकाश और डा. शिखा सिंह ने की। संचालन डा. किया पाराशर जैन और डा. भावना सिंह ने किया। इस दौरान डॉ शिखा सिंह, डॉ अभिलाषा प्रकाश, डॉ भावना सिंह, डॉ रवीना राजपाल, डॉ नीलम रावत, डॉ मनीषा गोयल, डॉ अंजना सिंह, डॉ सीमा सिंह, डॉ नूपुर गुप्ता, डॉ कमल गुप्ता आदि मौजूद थे।