फाइल फोटो
केंद्रीय मंत्री डॉ राम शंकर कठेरिया के भविष्य को लेकर सुबह से ही आगरा में लोग टीवी चैनल देखते रहे, दोपहर 12. 15 पर पीटीआई के हवाले से ब्रेकिंग चली कि डॉ राम शंकर कठेरिया, निहालचंद, सांवर लाल जाट, मनसुख भाई डी वासा और एमके कुंदरिया को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया है, इन्होंने पीएम मोदी को इस्तीफा सौंप दिया है।
मूल रूप से एटा निवासी केंद्रीय मंत्री डॉ राम शंकर कठेरिया आरएसएस के सिक्रय कार्यकर्ता रहे हैं, कानपुर से पढाई करने के बाद उन्होंने अंबेडकर विवि, आगरा के केएमआई संस्थान में हिंदी के शिक्षक के पद पर ज्वाइन किया। इसके साथ ही भाजपा की राजनीति में सक्रिय रहे, सांसद चुने जाने के बाद डॉ राम शंकर कठेरिया को पीएम मोदी ने नवंबर 2014 में केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री बना दिया, इसके बाद से केंद्रीय मंत्री के साथ विवाद जुडते चले गए और उनके बदलाव व्यवहार से वे पार्टी के कार्यकर्ताओं के निशाने पर भी आने लगे।
दलित और पिछडी जाति के लिए मंत्री बनाया, उन्हें भी किया नाराज
पीएम मोदी ने यूपी से डॉ राम शंकर कठेरिया को दलित और पिछडी जाति के वोट बैंक को मजबूत करने के लिए मानव संसाधन जैसे बडे मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया था। इस मंत्रालय की कैबिनेट मंत्री स्म्रति ईरानी है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी को डॉ कठेरिया से बहुत उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने दलित और पिछडी जाति से भी दूरी बना ली और बडे कारोबारियों के साथ लॉबिंग करने में जुट गए। इससे स्थानीय भाजपा संगठन में भी दरार पड गई, भाजपा की महिला नेत्री डॉ कुंदनिका शर्मा के पार्टी छोडने के बाद भी केंद्रीय मंत्री ने विवादास्पद बयान दिए थे। इसके बाद से संगठन उनसे नाराज था।
केंद्रीय मंत्री से जुडे विवाद
फर्जी मार्कशीट से शिक्षक बनने का आरोप, बसपा से लोकसभा प्रत्याशी कुंवर चंद वकील ने लगाया था, लेकिन बाद में उन्हें क्लीन चिट मिल गई।
केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भी विवि से सैलरी और अन्य भत्ते लेते रहना।
केंद्रीय मंत्री के लिए दिल्ली में आवास और आगरा में भी निजी आवास होने के बाद भी विवि के खंदारी परिसर में शिक्षक आवास में रहना और वहां अवैध निर्माण कर कार्यालय बनाना, इसके लिए एनएसयूआई विरोध कर रहा था।
शहर में चुनिंदा कारोबारियों से नजदीकी, आम जनता से दूरी बनाना।
स्थानीय भाजपा के पदाधिकारियों को तवज्जो न देना
Leave a comment