आगरालीक्स…फतेहपुरसीकरी संसदीय सीट से कांग्रेस के राजबब्बर के आने से भाजपा के लिए आसान नहीं होगी राह। राज के आज आने की संभावना..
कांग्रेस से राजबब्बर को उतारा जाना तय, आज आएंगे
फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट पर इस बार रोमांचक मुकाबला होने जा रहा है। इंडिया गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है, जहां से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में राजबब्बर को उतारे जाना तय है। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि राजबब्बर भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं और उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और अपने समर्थकों को इसके संकेत देते हुए आज आगरा आने की बात कही।
फतेहपुर सीकरी से पहले भी लड़ चुके हैं चुनाव
फतेहपुरसीकरी सीट से राजबब्बर के लिए नई नहीं है, वह पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं। राजबब्बर अपने 25 साल के राजनीतिक करियर में चुनाव की बिसात पर रणनीति से अपनी चाल रखने की तैयारी में हैं।
25 साल के राजनीतिक करियर में राज हर पैंतरा जानते
फिल्म अभिनेता राजबब्बर ने सन् 1989 में पूर्व पीएम वीपी सिंह के साथ जनता दल के साथ राजनीति में कदम रखा था और वीपी सिंह के आगरा आने पर उनके साथ बढ़-चढ़कर भाग लिया था। राजबब्बर दो आगरा और फिरोजाबाद से दो बार सांसद एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। वह 1994 से 1999 तक राज्यसभा के सदस्य रहे।
आगरा से सपा के टिकट पर की थी जीत हासिल
राजबब्बर ने आगरा लोकसभा सीट से पहला चुनाव सपा के टिकट पर लड़ा था और जीत हासिल की थी। आगरा से वर्ष 2004 में फिर चुनाव मैदान में सपा के ही टिकट से उतरे लेकिन इस बार उन्हें सफलता नहीं मिल सकी थी। वर्ष 2009 में वह कांग्रेस के टिकट पर फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन सफलता तो हाथ नहीं लगी और बहुत कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
फिरोजाबाद में डिंपल यादव को हराकर सबको चौंकाया था
फिरोजाबाद में वर्ष 2009 में सपा के अखिलेश यादव के जीते लेकिन उन्होंने यहां से इस्तीफा दे दिया और इसी वर्ष हुए उपचुनाव में उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल यादव को उतारा, कांग्रेस ने उनके मुकाबले राजबब्बर को उतार दिया, जिन्होंने उपचुनाव में डिंपल यादव को हरा दिया। यहां राजबब्बर को करीब तीन लाख और डिंपल यादव को 2.75 लाख मत मिले थे।
भाजपा के राजकुमार को रालोद का मजबूत सहारा
फतेहपुरसीकरी से भाजपा के मौजूदा सांसद राजकुमार चाहर अपने काम के बलबूते पर दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं लेकिन कांग्रेस से राजबब्बर उतरने से उनकी राह आसान होने वाली नहीं है। हालांकि भाजपा के लिए इस चुनाव में एक और फायदा यह हुआ कि रालोद के साथ गठबंधन हुआ है। इस सीट पर जाटों के संख्या अधिक होने से रालोद का साथ भाजपा को मजबूती प्रदान कर सकता है।
भाजपा संगठन अपने विकास कार्यों, रालोद के साथ मिलने पर भी इस सीट पर जीत के लिए नये समीकरण बनाने पर जुट गया है।