आगरालीक्स …एक्सीडेंट सहित अन्य कारणों से पसली टूटने पर जिंदगी भर असहनीय दर्द नहीं सहना पड़ेगा। आगरा रीजन में टूटी पसलियों की प्लेट डालकर पहली सर्जरी एसएन मेडिकल कालेज में की गई, खर्चा आठ हजार रुपये। सीटीवीएस डॉ. सुशील सिंघल के अनुसार, अक्सर पसली टूटने पर सर्जरी नहीं की जाती है। इससे मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है और दर्द सहना पड़ता है। इन्फेशन का खतरा बढ़ जाता है।
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में 19 नवंबर को एटा के अवागढ़ के रहने वाले 25 साल के अजीत को भर्ती किया गया, अजीत आटो से जा रहे थे सामने से आ रहे आटो से जिस आटो में वे जा रहे थे वह टकरा गया। इससे उनकी दाएं तरफ की पसलियां टूट गईं थी और टूटने के बाद पसलियां फेफड़े में धंस गई। इससे फेफड़े में खून भर गया था जब उन्हें एसएन में भर्ती किया गया तो आक्सीजन का स्तर भी लगातार कम हो रहा था और अहसनीय दर्द था।
चार प्लेट डालकर की सर्जरी
सीटी स्कैन सहित कई तरह की जांच कराई गई। एसएन मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. सुशील सिंघल ने बताया कि मरीज की उम्र 26 साल थी, यही उम्र काम करने की होती है। ऐसे में रिब फिक्सेशन करने की प्लानिंग की गई। एक छोटा से छेद कर चार प्लेट से टूटी हुई नौ पसलियों को फिक्स किया गया। फेफड़े के अंदर भरे खून को निकाला गया। सर्जरी खत्म होते ही मरीज का वेंटीलेटर भी हटा दिया गया, इसके बाद बिना आक्सीजन सपोर्ट के मरीज का आक्सीजन का स्तर 90 से अधिक पहुंच गया और दर्द भी गायब हो गया।
मरीज पूरी तरह से ठीक, आठ हजार का खर्चा
मरीज के ठीक होने पर बुधवार को उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। रिब फिक्सेशन जटिल सर्जरी होती है, आगरा रीजन में इस तरह की सर्जरी नहीं हुई है। दिल्ली के प्राइवेट हॉस्पिटल में इस तरह की सर्जरी का खर्चा 3.50 लाख से चार लाख रुपये तक आता है। एसएन में हुई सर्जरी में मरीज से चार प्लेट मंगाई गईं, एक प्लेट का खर्चा दो हजार रुपये थे। महंगी एंटीबायोटिक सहित अन्य दवाएं मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध थी इसलिए दवाओं पर कोई खर्चा नहीं हुआ।
