आगरालीक्स… आगरा में होली के रंग बिखरने शुरू हो गए हैं। होली की पूजन विधि, पूजन सामग्री शुभ मुहूर्त समेत विविध जानकारी।
होलिका की स्थापना
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान एवं गुरु रत्न भंडार के ज्योतिषाचार्य पं. हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक माघ की पूर्णिमा पर होली का डांडा रोप दिया जाता है । इसके लिए नगर से बाहर वन में जाकर शाखा सहित वृक्ष लाते हैं और उसको गन्धादि से पूज कर पश्चिम दिशा में खड़ा कर देते हैं । इसी को ‘होली’, ‘होलीदंड’, ‘होली का दांडा’, ‘डांडा’ या ‘प्रहलाद’ कहते हैं। लकड़ियां तथा कंडों आदि का ढेर लगाकर होलिका पूजन किया जाता है ।
-यदि आपके घर में होली जलती हो तो घर में और यदि घर के बाहर जलाते हों तो बाहर जाकर होली की पूजा करें ।
पूजन सामग्री
-पूजन के लिए एक थाल में गूलरी की माला, चौमुखा दीपक, जल का लोटा, पिसी हल्दी या रोली, बताशे, नारियल, फूल, गुलाल, गुड़ की ढेली, कच्चे सूत की कुकड़ी, आठ पूरी, हलवा या आटा, दक्षिणा, गेहूं, जौ, चना की बालियां, एक कच्चा पापड़ रख लें ।
-घर के पास जहां होली जलती हो वहां जाकर पहले ठण्डी होली का पूजन करें । गूलरी की माला होली पर चढ़ा दें । कच्चा सूत होली के चारों ओर लपेट कर बचा घर ले आवें।
– थोड़ा जल डाल दें और दीपक जला दें ।
– पूरी, हलवा या आटा व दक्षिणा वहां ब्राह्मण को दे दें ।
– जब होली जले तब बालियां और पापड़ होली की ज्वाला में भून लें ।
– होली की तीन परिक्रमा करें व जल का अर्घ्य दें ।
– भुने हुए ‘होलों’ को घर आकर प्रसाद रूप में ग्रहण करें ।
घर में होली की पूजन विधि
यदि घर में होली जलाते हों तो पहले साफ जगह पर ईंटों या मिट्टी से चौकोर वेदीनुमा बना लें और आटे का चौक पूर कर थोड़ा गुलाल छिड़क दें । उसमें प्रह्लाद के प्रतीक रूप एक डण्डा गाढ़ दें और चारों तरफ गूलरी की माला व उपले लगा दें । जब पूजन का समय हो तब मोहल्ले की होली में से थोड़ी सी अग्नि लाकर घर की होली जलाएं ।अग्नि लगाते ही डण्डा को निकाल लें क्योंकि वह भक्त प्रह्लाद का रूप माना जाता है। सभी लोग होली का पूजन करें। परिक्रमा लगाएं जल छोड़कर अर्घ्य दें व बालियां और पापड़ होली की ज्वाला में भून लें।
-होली पूजन के बाद पूजन की थाली से सभी लोग टीका लगाएं। बड़ों के पांव छूकर आशीर्वाद लें ।
-दूसरे दिन होली की भस्म को अपने मस्तक पर लगाने से सभी दोषों की शान्ति होती है ।
-होलिका दहन करने से सारे अनिष्ट दूर हो जाते हैं । ऐसा माना जाता है कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन जो मनुष्य सच्चे मन से हिंडोले में झूलते हुए बालकृष्ण के दर्शन करता है, वह निश्चय ही वैकुण्ठ में वास करता है ।
होली की ज्वाला में गेहूं, जौ भूनने का कारण
फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा नवीन धान्य (जौ, गेहूं, चने) को यज्ञ रूपी भगवान को समर्पित करने का दिन है । इस पर्व को ‘नवान्नेष्टि यज्ञ पर्व’ (नयी फसल के अनाज को सेवन करने के लिए किया गया यज्ञ) भी कहा जाता है । होली के अवसर पर नवीन धान्य (जौ, गेहं, चने) की खेतियां पक कर तैयार हो जाती हैं । हिन्दू धर्म में खेत से आए नवीन अन्न को यज्ञ में हवन करके प्रसाद लेने की परम्परा है । उस अन्न को ‘होला’ कहते हैं ।
होली का स्थापना एवं पूजन हेतु शुभ मुहूर्त
विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार प्रातः 06:31 से दोपहर 08:05मिनट तक शुभ का बहुत ही बेहतरीन चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध रहेंगा इसके बाद सुबह 11:01से दोपहर 03:31 तक बेहद शुभ समय माना जाएगा जिनमें चौराहे या गली मोहल्लों की होली का स्थापना हेतु एवं पूजा पाठ हेतु अति सुंदर महूर्त कहे जा सकते हैं। घरेलू लोगों के लिए पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय दोपहर 01:39 से 03:31कहा जा सकता है इस समय “चर, लाभ,अमृत”के तीन विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे
होलिका दहन का शुभ समय एवं शुभ मुहूर्त-
होलिका दहन के लिए सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त साँय 06:43मिनट से रात 10:15 बजे तक उपलब्ध रहेंगे इसी समय में “शुभ,अमृत एंव चर”की चौघड़िया मुहूर्त चल रही होंगी जो होलिका दहन के लिए सर्वोत्तम कही जा सकती हैं इस समय में सामूहिक चौराहों व गली-मोहल्लों की होलिका दहन करना शुभ रहेगा, इस सबके अलावा रात 04:30सेप्रात:06:20तक” शुभ, अमृत”के दोचौघड़िया मुहूर्त उपलब्ध होंगे जो घरों की होलिका दहन के लिए सर्वश्रेष्ठ कहे जा सकते हैं