आगरालीक्स… आगरा में डॉक्टरों ने बतााय कि नौकरी में ज्यादा देर खडे रहने और पैर लटकार बैठने से आ रही सूजन घातक हो सकती है। इसे आम समस्या समझा जाता है लेकिन यह पैरों की शिराओं (खून को वापस हृदय में पहुंचानें वाली रक्त नलिकाएं) में ब्लॉकेज के कारण होता है। ये शिराएं फट भी सकती हैं। जिससे पैरों में पट्टी से न भरने वाले घाव बन जाते हैं। रविवार को होटल कोर्टियाड बाई मेरियएट में इंडियन रेडियोलॉजीकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन यूपी चैप्टर की कार्यशाला में दूसरे दिन अत्याधुनिक तकनीकी पर चर्चा की गई।
कार्यशाला में डॉ टीएसएस बेदी, दिल्ली ने बताया कि 15 साल के बच्चों से लेकर 30 से 40 साल के युवाओं में पैरों में सूजन की समस्या आम है। इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है, रात को पैरों में सूजन आती है और सुबह जगने पर सूजन चली जाती है। क्योंकि दिनभर खड़े रहकर काम करने से रक्त पैरों की शिराओं में जमा होने लगता है। दबाव बढ़ने से शिराएं फट सकती हैं और यह घाव सिर्फ पट्टी करने से ठीक नहीं होते। यह पैरों की धमनियों में ब्लॉकेज, अनुवांशिक, पैर लटकाए रहने और कुछ एन्जाइम के कारण होता है। कलर डॉप्लर से पैरों की शिराओं की ब्लॉकेज का सही पता चल सकता है। ऐसे केस में पहले जिस शिरा में ब्लॉकेज है उसे निकाल दिया जाता था लेकिन इसमें असहनीय दर्द होता था। मगर, अब जिस शिरा में ब्लॉकेज है उसे लेजर से ब्लॉक कर दिया जाता है। इसके बाद पैरों में सूजन नहीं आती है। एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ भूपेंद्र आहूजा ने बताया कि लार ग्रंथि में स्टोन की समस्या भी बढी है, इससे खाना खाने में गले में दर्द होता है, पहले यह स्टोन पता नहीं चल पाता था। मगर, अब लार ग्रंथि के दो एमएम के स्टोन का भी पता लगाया जा सकता है। हॉंगकॉंग से आए डॉ अनिल आहूजा ने बताया कि थायरॉयड ग्लैंड में टयूमर को प्रारंभिक अवस्था में ही निकलवा लेना चाहिए, जिन क्षेत्रों में आयोडीन की कमी नहीं हैं। वहां आयोडीन युक्त नमक खाने की जरूरत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि अच्छा रेडियोलॉजिस्ट है तो वह अल्ट्रासाउंड अच्छी क्वालिटी का करता है, जिससे एमआरआई और सीटी स्कैन की जरूरत खत्म हो जाती है। सभी वक्ताओं को कार्यशाला के समन्वयक डॉ. भूपेन्द्र आहूजा ने स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।