आगरालीक्स (11th October 2021 Agra News)… नवरात्रि में दुर्गाष्टमी और महानवमी पूजन का महत्व क्या होता है. इस पूजा को करने वाले भक्तों को क्या-क्या लाभ व उन्नति प्राप्त होती हैं. जानिए
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि आदि शक्ति जगदंबा की परम कृपा प्राप्त करने को सम्पूर्ण भारत वर्ष में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तथा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को श्रद्धा, भक्ति व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जिसे वसंत व शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि में दुर्गाष्टमी व महानवमी पूजन का बड़ा महत्व है। यह अष्टमी व नवमी की कल्याणप्रद, शुभ बेला श्रद्धालु भक्तजनों को मनोवांछित फल देकर नौ दिनों तक लगातार चलने वाले व्रत व पूजन महोत्सव के सम्पन्न होने के संकेत देती है।
मां की आराधना परम कल्याणकारी
उन्होंने बताया कि मां दुर्गा की आराधना से व्यक्ति एक सद्गृहस्थ जीवन के अनेक शुभ लक्षणों धन, ऐश्वर्य, पत्नी, पुत्र, पौत्र व स्वास्थ्य से युक्त हो जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष को भी सहज ही प्राप्त कर लेता है। बीमारी, महामारी, बाढ़, सूखा, प्राकृतिक उपद्रव व शत्रु से घिरे हुए किसी राज्य, देश व सम्पूर्ण विश्व के लिए भी मां भगवती की आराधना परम कल्याणकारी है। इस पूजा में पवित्रता, नियम व संयम तथा ब्रह्मचर्य का विशेष महत्व है। पूजा के समय घर व देवालय को तोरण व विविध प्रकार के मांगलिक पत्र, पुष्पों से सजाना चाहिए तथा स्थापित समस्त देवी-देवताओं का आवाह्न उनके ‘नाम मंत्रो’ द्वारा कर षोडषोपचार पूजा करनी चाहिए जो विशेष फलदायनी है।
भविष्ण पुराण में है वर्णन
भविष्य पुराण के उत्तर-पूर्व में महानवमी व दुर्गाष्टमी पूजन के विषय में भगवान श्रीकृष्ण से धर्मराज युधिष्ठिर का संवाद मिलता है। जिसमें नवमी व दुर्गाष्टमी पूजन का स्पष्ट उल्लेख है। यह पूजन प्रत्येक युगों, सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग तथा कल्पों व मन्वन्तरों आदि में भी प्रचलित था। मां भगवती सम्पूर्ण जगत् में परमशक्ति अनन्ता, सर्वव्यापिनी, भावगम्या, आद्या आदि नाम से विख्यात हैं। जिन्हें माया, कात्यायिनी, काली, दुर्गा, चामुण्डा, सर्वमंगला, शंकरप्रिया, जगत जननी, जगदम्बा, भवानी आदि अनेक रूपों में देव, दानव, राक्षस, गन्धर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मनुष्य आदि अष्टमी व नवमी को पूजते हैं।
अष्टमी की पूजा से मिट जाते हैं सब दुख
मां भगवती का पूजन अष्टमी व नवमी को करने से कष्ट, दुख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। यह तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है। अनेक प्रकार के मंत्रोंपचार से विधि प्रकार पूजा करते हुए भगवती से सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति, विजय, आरोग्यता की कामना करनी चाहिए।
ये है अष्टमी तिथि का महत्व
नवरात्रि के आठवें दिन की देवी मां महागौरी हैं। परम कृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से सम्पूर्ण विश्व में विख्यात हुई। भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है। अर्थात् शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं। मां की शास्त्रीय पद्धति से पूजा करने वाले सभी रोगों से मुक्त हो जाते हैं और धन वैभव सम्पन्न होते हैं।
नवमी तिथि का महत्व
नौवें दिन की दुर्गा सिद्धिदात्री हैं। यह दिन मां सिद्धिदात्री दुर्गा की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। मां भगवती ने नौवें दिन देवताओं और भक्तों के सभी वांछित मनोरथों को सिद्ध कर दिया, जिससे मां सिद्धिदात्री के रूप में सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त हुई। परम करूणामयी सिद्धिदात्री की अर्चना व पूजा से भक्तों के सभी कार्य सिद्ध होते हैं। बाधाएं समाप्त होती हैं एवं सुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है।