Maneesha Case Agra : Maa Shrangar Hospital owner sentenced 10 year rigorous imprisonment in Agra
आगरालीक्स….. आगरा में हास्पिटल संचालक को गर्भवती को जिंदा लाश बना देने और मौत हो जाने के मामले में 10 साल का सश्रम कारावास और सजा सुनाई गई है। आगरा में संचालित झोलाछाप हास्पिटलों के रुह कंपा देने वाले मामले में कोर्ट का फैसला।
आगरा में मार्च 2011 में एत्मादपुर निवासी भूरी सिंह ने अपनी गर्भवती पत्नी मनीषा को ट्रांस यमुना कॉलोनी स्थित मां शृंगार अस्पताल में भर्ती कराया था। हास्पिटल संचालक डॉ. केपी सिंह जो खुद को डाक्टर बता रहा था उसने 2500 रुपये लिए और गर्भपात करा दिया। गर्भपात के दौरान मनीषा के अंदरुमी अंदरुनी अंगों को नष्ट कर दिया, आंतें तक बाहर आ गईं, जिंदा लाश बनी मनीषा को गंभीर हालत में एसएन में भर्ती कराया। तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अजय अग्रवाल की देखरेख में मनीषा का इलाज हुआ लेकिन डॉक्टर उसकी जान नहीं बचा सके।
10 साल की सश्रम कारावास
इस मामले में भूरी सिंह ने एत्माद्दौला थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। ट्रांस यमुना के डॉक्टरों ने मनीषा को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन छेड़ा, इसके बाद मीडिया में मामला छा गया। कई महिला संगठन भी आगे आए। मुकदमे के विचारण के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता रूपेश गोस्वामी ने वादी सहित छह गवाह अदालत में पेश किए। साक्ष्यों के आधार पर अपर जिला जज रनवीर सिंह ने अस्पताल संचालक केपी सिंह को लेकर 10 वर्ष सश्रम कारावास और 41000 जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपित एक अन्य चिकित्सक राजेन्द्र सिंह को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी करने के आदेश किए।