Marriage-Divorce = Marriage ( A True Story )… उस दिन निगाहें उसे चोरी चुपके देख रहीं थी, उसकी मुस्कुराहट से शरीर में सिरहन उठती, कदम आगे बढते, उसका पीछा करते करते वरमाला का समय आ गया, हॉल में भीड थी लेकिन उसके दमकते हुस्न के आगे कोई टिकता न था, एक पल के लिए निगाहें हटी और वह गायब हो गई। अजीब से बेचैनी होने लगी, उससे अलग रहने के बाद भी महसूस नहीं हुआ था जो उसके आंखों से ओझल होने से घबराहट थी, वे आवाज दे रहे थे लेकिन कान में उसके हॉल से जाने की आवाज थी और आंखों में उसके दिखाई न देने का दर्द। मैं हॉल से बाहर निकला, कुछ लोग खाना खा रहे थे, एक कोने में वह दिखाई दी, टेबल पर बेटे के मुंह में निबाला दे रही थी, उसे देख ऐसा लगा कि दुनिया की खुशी मिल गई। कदम वहीं ठहर गए, जुबान पर जैसे ताला लग गया। कुछ बोलता, वह बोली आपके लिए प्लेट लगा दूं। नहीं नहीं, सब फैमिली फोटो के लिए इंतजार कर रहे हैं, अंदर चलो …
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