Oxygen will be made from Salty water on Mars#research
आगरालीक्स…भारतीय मूल के वैज्ञानिक ने मंगल पर खारे पानी में आक्सीजन और हाइड्रोजन बनाने को इलेक्ट्रोलाइजर सिस्टम बनाया है.
जलवायु असंतुलन से जूझ रही पृथ्वी के वैज्ञानिक लगातार चंद्रमा, मंगल और अन्य ग्रहों पर लम्बे समय तक मनुष्य के रहने के काबिल बनाने के उपायों की खोज कर रहे हैं. दूसरे ग्रहों पर मनुष्य के लिए सर्वाधिक जरूरी है पीने योग्य पानी और आक्सीजन. भारतीय मूल के वैज्ञानिक प्रो. विजय रमानी के नेतृत्व वाली अमेरिका की एक टीम ने एक ऐसा इलैक्ट्रोलाइजर सिस्टम विकसित किया है जो मंगल ग्रह पर खारे पानी से आक्सीजन और हाइड्रोजन को पैदा कर सकता है.
अहम है ये आविष्कार
भविष्य में मंगल ग्रह तथ सुदूर अंतरिक्ष की लम्बी यात्राओं के लिए यह आविष्कार बहुत महत्वपूर्ण है. शोधकर्ताओं के अनुसार चूंकि मंगल ग्रह बहुत ही ठंडा है. इसलिए जो पानी जमा हुआ नहीं है वह निश्चित तौर पर नमक से भरपूर होगा, जिसकी वजह उसका जमाव बिन्दु तापमान हो गया होगा. वरना इतने ठंडे हालात में तरल पानी का मिलना असंभव है.
पानी से नमक हटाना जरूरी
शोधकर्ता कहते हैं कि नमक मिश्रित पानी में से आक्सीजनऔर हाइड्रोजन ईंधन निकालने के लिए नमक को पानी से हटाना जरूरी है. यह मंगल के खतरनाक वातावरण में एक बहुत ही जटिल और महंगी प्रक्रिया है, क्योंकि आमतौर पर इलैक्ट्रोलिसिस में शुद्ध पानी की जरूरत होती है. जिससे सिस्टम की कीमत बढ जाती है.
धरती पर भी कारगर है सिस्टम
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विजय रमानी के नेतृत्व वाली टीम ने मंगल के 36 डिग्री सेल्सियस के सिम्यूलेशन वायुमंडल में इस नए सिस्टम का परीक्षण किया. प्रो. रमानी ने बताया कि हमारा मंगल का ब्राइन इलैक्ट्रोलाइजर मंगल और अन्य अंतरिक्ष अभियानों के लिए आमूल परिवर्तन कर देगा. यह तकनीक पृथ्वी पर भी बहुत कारगर होगी. यह तकनीक महासागरों को आक्सीजन और हाइड्रोजन का एक सक्षम स्रोत बना देगा.
अब तक की खोज
नासा के फोनिक्स मग्र्स लैंडर ने मंगल ग्रह की बर्फ के पानी और उसकी भाप को छूकर उसका स्वाद सन् 2008 में ही चख लिया था. उसके बाद यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ने वहां क जमीन के नीचे मौजूद तालाबों का पता लगाया था, जो अब भी तरल अवस्था में है. इसी कारण मंगल ग्रह के पानी में मैग्नीशियम परक्लोरेट नमक की मौजूदगी है.