‘नेचर कम्यूनिकेशंस’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, यह सफलता लुसाने स्थित स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने हासिल की। फाब्रीजियो कारबोन के नेतृत्व वाली शोधकर्ताओं की टीम ने इलेक्ट्रॉन के जरिये यह कारनामा कर दिखाया।
विज्ञानियों ने धातु के एक अतिसूक्ष्म तार (नैनोवायर) पर लेजर प्रकाश (लाइट एंप्लीफिकेशन बाई सिमुलेटेड एमीशन ऑफ रेडिएशन) प्रवाहित किया, जिससे उसमें मौजूद आवेशित कणों को अतिरिक्त ऊर्जा मिली और वह कंपन करने लगा। साथ ही, सूक्ष्म तार में प्रकाश दो दिशाओं में संचरित होने लगा। प्रकाश की इन दो विपरीत दिशाओं में प्रवाहित होने वाली तरंगें मिलान बिंदु पर स्थिर प्रतीत हो रही थीं। विज्ञानियों ने स्थिर तरंगों का चित्र उतारने के लिए नैनोवायर के पास से इलेक्ट्रॉन को प्रवाहित किया।
सूक्ष्म तार में प्रवाहित प्रकाश के संपर्क में आने पर या तो उनकी गति बढ़ गई या फिर धीमी हो गई। कारबोन की टीम ने अल्ट्राफास्ट (तीव्रतम) माइक्रोस्कोप के जरिये प्रकाश की गति में परिवर्तन वाले स्थान का चित्र लेने में सफलता हासिल की। इस घटना ने जहां प्रकाश के तरंग की प्रकृति को दिखाया, वहीं कण के तौर पर भी उसके व्यवहार को सामने लाने में सफलता मिली।
विज्ञानियों ने बताया कि स्थिर तरंगों के पास से गुजरने पर इलेक्ट्रॉन ने प्रकाश के कण फोटॉन को टक्कर दी। इससे इलेक्ट्रॉन की गति में परिवर्तन दर्ज किया गया। यह बदलाव इलेक्ट्रॉन और फोटॉन के बीच एनर्जी पैकेट्स (क्वांटा) के आदान-प्रदान के तौर पर सामने आया, जो प्रकाश के व्यवहार को कण के तौर पर दिखाता है। इससे क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में क्रांति आने की संभावना है।
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