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Pitra Paksha from September 20, know the best time to perform Shradh
आगरालीक्स(18th September 2021 )… श्राद्ध पक्ष 20 सितंबर से. जानिए कब है कौन सी तिथि और सर्वोत्त्म समय.
छह अक्तूबर तक हैं श्राद्ध पक्ष
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदय रंजन शर्मा ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दिन 20 सितंबर सोमवार से अश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या 06 अक्टूबर दिन बुधवार तक श्राद्ध पक्ष रहेगा। श्राद्ध पक्ष पितरों को याद करके उनके प्रति श्रद्धा भाव प्रदर्शित करने और नई पीढ़ी को प्राचीन वैदिक और पौराणिक संस्कृति से अवगत कराने का पुण्य पर्व है। यही नहीं पितरों का श्राद्ध करने से जन्म कुंडली में व्याप्त पितृदोष से हमेशा के लिए छुटकारा मिलता है। जिस मनुष्य को अपने माता—पिता की मृत्यु—तिथि ज्ञात न हो तो वह पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन विधिपूर्वक श्राद्ध कर सकता है। प्रत्येक माह में आने वाली अमावस्या तिथि को दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके जल द्वारा तर्पण किया जा सकता है। इससे पितर तृप्त और संतुष्ट होते हैं।
दिखावा या आडंबर नहीं करें
पापों की मुक्ति के लिए भी श्राद्ध कर्म करना श्रेष्ठ माना गया है। जो मनुष्य अपने पूर्वजों का श्राद्ध श्रद्धा पूर्वक नहीं करता या बेमन से करता है, उसके द्वारा की गई पूजा को भगवान भी स्वीकार नहीं करते हैं। श्राद्ध करते समय किसी भी प्रकार का दिखावा या आडंबर नहीं करना चाहिए।
दान करना सर्वश्रेष्ठ
व्यक्ति को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही श्राद्ध में दान आदि करना उचित है। धन के अभाव में घर में निर्मित खाद्य पदार्थ को अग्निदेव को समर्पित करके जल से तर्पण करते हुए गौ माता को खिलाकर भी श्राद्ध कर्म पूरा किया जा सकता है।
मध्याह्न समय ही सर्वोत्तम
पितृ कार्य के लिए दोपहर का समय सर्वोत्तम समय समझा जाता है क्योंकि पितरों के लिए मध्याह्न दोपहर ही भोजन का सर्वोत्तम समय है। पूर्वाह्न में, सायंकाल, रात्रि, चतुर्दशी तिथि और परिवार में किसी सदस्य या स्वयं के जन्मदिन के दिन श्राद्ध कभी नहीं करना चाहिए। ब्राह्मण भोजन से पहले पंचवली यानी गाय, कुत्ता, कौआ ,देवता और चीटियों के लिए भोजन सामग्री पत्ते या दोंने में अवश्य निकालें। जिस घर में पितरों का श्राद्ध होता है, उनके सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं।
इस वर्ष श्राद्ध की तिथियां
पूर्णिमा सोमवार यानी 20 सितंबर 2021 को प्रातः 05:28 से प्रारंभ हो रही है। श्राद्ध मध्यान्ह का विषय है। अतः पूर्णिमा का श्राद्ध 20 सितंबर को ही माना जाएगा।
प्रतिपदा श्राद्ध 21 सितंबर
द्वितीया श्राद्ध22/23 सितंबर
तृतीय श्राद्ध 24 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध 25 सितंबर
पंचमी श्राद्ध 26 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध 27 सितंबर
सप्तमी श्राद्ध 28 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध29 सितंबर
मातृ नवमी 30 सितंबर
दशमी श्राद्ध 01अक्टूबर
एकादशी श्राद्ध 02अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध 03 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध 04 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध 05 अक्टूबर शस्त्र आदि से मृत व्यक्तियों का
पितृ विसर्जन 06 अक्टूबर, सर्वपितृ अज्ञात तिथि वालों का श्राद्ध