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Shri Krishna Janmashtami Vrat Vidhi, Janma Muhurta, Chappan Bhog, do this remedy to get full benefit of worship
आगरालीक्स… श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में किन चीजों का उपयोग करें, जिससे पूजा का शत-प्रतिशत लाभ मिले। प्रभु को छप्पन भोग, व्रत विधि, जन्म मुहूर्त समेत विविध जानकारी।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा-व्रत का है अलग महत्व
श्रीगुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार के ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदय रंजन शर्मा बताते है श्री कृष्णा जन्माष्टमी की पूजा और व्रत का अपना ही एक अलग महत्व है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना जाता है। जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा में किन वस्तुओं का उपयोग करना ही चाहिए।
जन्माष्टमी पूजा में इन वस्तुओं का रखें विशेष ध्यान
🌻 1. आसन
🍁 भगवान कृष्ण की मूर्ति को स्थापित करने के लिए एक सुंदर आसन का प्रयोग करना चाहिए। आसन लाल, पीले या कैसरिया जैसे रंगों का होना चाहिए, जिस पर बेल-बूटों से सजावट की हुई हो।
🌻 2. पाद्य
🍁जिस पात्र में भगवान के चरणों को धोया जाता है, उसे पाद्य कहते है। भगवान कृष्ण के चरणों को धोने के लिए सोने, चांदी या तांबे के किसी पात्र में शुद्ध पानी भरकर, उसमें फूलों की पंखुड़ियां डालना चाहिए।
🌻 3. मधुपर्क या पंचामृत
🍁 पंचामृत भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय वस्तुओं में से एक मानी जाती है। पंचामृत शहद, घी, दही, दूध और शकर- इन पांचों को मिलाकर तैयार करना चाहिए। फिर शुद्ध पात्र में उसका भोग भगवान को लगाएं।
🌻 4. अनुलेपन
🍁 पूजा में उपयोग में आने वाले दूर्वा, कुंकुम, चावल, अबीर, सुगंधित फूल और शुद्ध जल को अनुलेपन कहा जाता है। इन सबके साथ-साथ पूजा में चंदन और कस्तूरी का भी प्रयोग करना चाहिए।
🌻 5. आचमनीय
🍁 आचमन के लिए प्रयोग में आने वाला जल आचमनीय कहलाता है। इसे सुगंधित वस्तुओं और फूलों के तैयार करना चाहिए।
🌻 6. स्नानीय
🍁 भगवान कृष्ण के स्नान के लिए प्रयोग में आने वाली वस्तुओं को स्नानीय कहा जाता है। भगवान के स्नान के लिए आंवले का चूर्ण उपयोग में लेना चाहिए।
🌻 7. पुष्प
🍁 भगवान कृष्ण की पूजा में सुगंधित और ताजे फूलों का बहुत महत्व माना जाता है। इसलिए शुद्ध और ताजे फूलों का ही प्रयोग करना चाहिए
🌻 8. नैवेद्य
🍁 भगवान को प्रसाद में चढ़ाई जाने वाली वस्तुओं को नैवेद्य कहा जाता है। जन्माष्टमी की पूजा के लिए बनाए जा रहें नैवेद्य में शकर, मिश्री, ताजी मिठाइयां, ताजे फल, लड्डू, खीर, गुड़, शहद, ताजा दही आदि जैसे अन्य मीठे पदार्थों को शामिल करना चाहिए
🌻 9. धूप
🍁विभिन्न पेड़ों के अच्छे गोंद तथा अन्य सुगंधित पदाथों से बनी धूप भगवान कृष्ण को बहुत प्रिय मानी जाती है। जन्माष्टमी की पूजा में शुद्धधूप का प्रयोग करना चाहिए
🌻 10. दीप
🍁 पूजा में चांदी, तांबे या मिट्टी के बने दीए में घी या तेल डालकर भगवान की आरती अगरबत्ती की जगह इसी दीपक से करनी चाहिए
क्यों चढ़ाया जाता है श्रीकृष्ण को 56 भोग
🌲 तब 7 दिन भूखे रहे थे भगवान, इसलिए अब लगाया जाता है 56 पकवानों का भोग
💥 बाल रूप में भगवान कृष्ण दिन में आठ बार (अष्ट पहर) भोजन करते थे। मां यशोदा उन्हें तरह-तरह के पकवान बनाकर खिलाती थीं। यह बात तब कि यह जब इंद्र के प्रकोप से सारे ब्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार सात दिन तक उन्होंने अन्न जल ग्रहण नहीं किया था
🍁 आठवें दिन जब बारिश थम गई, तब कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को अपने-अपने घर जाने को कहा और गोवर्धन पर्वत को जमीन पर रख दिया। इन सात दिनों तक भगवान कृष्ण भूख रहे थे।
⭐मां यशोदा के साथ ही सभी ब्रजवासियों को यह जरा भी अच्छा नहीं लगा कि दिन में आठ बार भोजन करने वाले हमारा कन्हैया पूरे सात दिन भूखा रहा।
🏵 इसके बाद पूरे गांव वालों ने सातों दिन के आठ प्रहर के हिसाब से पकवान बनाए और भगवान को भोग लगाया। तब से 56 भोग की प्रथा चली आ रही है।
💥 श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि
🌺 इस व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारणा से व्रत की पूर्ति होती है
🌟 इस व्रत को करने वाले को चाहिए कि व्रत से एक दिन पूर्व (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करें। रात्रि को स्त्री संग से वंचित रहें और सभी ओर से मन और इंद्रियों को काबू में रखें
🌸 उपवास वाले दिन प्रातः स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठें।
⭐ मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए ‘सूतिकागृह’ नियत करें। तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हो। इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें।
🌷श्रीकृष्ण का जन्म मुहूर्त
🔥इस वर्ष जन्म कराने का मुहूर्त रात्रि में 10:54 से 12:47 के मध्य है। जन्म कराने के शुभ समय में भगवान के प्रकट होने की भावना करके रात्रि 12 बजे खीरे के अंदर लड्डूगोपाल की मूर्ति रखकर श्री कृष्ण का जन्म कराएं जन्म के बाद लड्डूगोपाल को स्नान वस्त्रादि कराकर आरती करें। उनकी विधि विधान से पूजा करें। पूजन में देवकी, वसुदेव, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा, और लक्ष्मी- इन सबका क्रमश: नाम जरूर लेना चाहिए।
🍁पुष्पाञ्जलि अर्पित करने के बाद नवजात श्रीकृष्ण का पूजन करें चन्द्रमा का पूजन करें फिर शंख में जल, फल, कुश, कुसुम और गन्ध डालकर दोनों घुटने जमीन में लगाएं औरचन्द्रमा को अर्घ्य देंचंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अंत में पिसे भुने हुए धनिये की पंजीरी का प्रसाद वितरण कर भजन-कीर्तन, स्त्रोत-पाठादि करते हुए व्यतीत करें। उसके बाद दूसरे दिन पूर्वाह्न मे पुन: स्नानादि करके जिस तिथि या नक्षत्रादि के योग में व्रत किया हो, उसका अन्त होने पर पारणा करें। यदि अभीष्ट तिथि या नक्षत्रादि के समाप्त होने में विलम्ब हो तो जल पीकर पारणा की पूर्ति करें।
🌻 यह व्रत रात्रि बारह बजे के बाद ही खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता। फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फ़ी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है।
⭐श्री कृष्ण जी की आरती
🌷 नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
ब्रज में आनंद भयो जय यशोदा लाल की
नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
हे आनंद उमंग भयो जय हो नन्द लाल की
गोकुल में आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
जय यशोदा लाल की जय हो नन्द लाल की
हाथी, घोड़ा, पालकी जय कन्हैया लाल की
जय हो नन्द लाल की जय यशोदा लाल की
हाथी, घोड़ा, पालकी जय कन्हैया लाल की
हे आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की
हे कोटि ब्रह्माण्ड के अधिपति लाल की
हाथी, घोड़ा, पालकी जय कन्हैया लाल की
हे गौऐं चराने आये जय हो पशुपाल की
नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
आनंद से बोलो सब जय हो ब्रज लाल की
हाथी, घोड़ा, पालकी जय कन्हैया लाल की
जय हो ब्रज लाल की
पावन प्रतिपाल की
हे नन्द के आनंद भयो
जय हो नन्द लाल की