Three days from today of the month of Vaishakh, very holy and auspicious, renewable virtue is attained
आगरालीक्स… वैशाख माह की की अंतिम तीन तिथियां 13, 14 और 15 मई बेहद पवित्र और शुभकारक हैं। अक्षय पुण्य की प्राप्ति देती हैं।
“पुष्करिणी” में स्नान से मिलता है फल

श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक यह तिथियां त्रियोदशी से पूर्णिमा तक हैं। इनका नाम “पुष्करिणी” हैं, वे सब पापों का क्षय करने वाली हैं, जो संपूर्ण वैशाख मास में स्नान करने में असमर्थ हैं, वह यदि इन तीन तिथियों में भी स्नान करें तो वैशाख मास का पूरा फल पा लेता है।
“वैशाख मास की ये तीन शुभ तिथियां मनुष्यों के पापों का नाश करने वाली तथा उन्हें पुत्र-पौत्रादि फल देने वाली हों।
-महीने भर नियम निभाने में असमर्थ मानव यदि उक्त तीन दिन भी कामनाओं का संयम कर सके तो उतने से ही पूर्ण फल को पाकर भगवान विष्णु के धाम में आनन्द का अनुभव करता है।”
-वैशाख मास में अन्तिम तीन दिन गीता का पाठ करने से उसे प्रतिदिन अश्वमेघ-यज्ञ का फल मिलता है। जो उक्त तीनों दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करता है उसके पुण्य फल का वर्णन करने में इस भूलोक तथा स्वर्गलोक में कौन समर्थ है? पूर्णिमा को सहस्त्रनामों के द्वारा भगवान मधुसूदन को दूध से नहलाकर मनुष्य पापहीन वैकुण्ठ धाम में जाता है।
-वैशाख मास में प्रतिदिन भागवत के आधे या चौथाई श्लोक का पाठ करने वाला मनुष्य ब्रह्मभाव को प्राप्त होता है। जो वैशाख के अंतिम तीन दिनों में भागवत शास्त्र का श्रवण करता है, वह जल से कमल के पत्ते की भाँति कभी पापों से लिप्त नहीं होता।
– उक्त तीनों दिनों के सेवन से कितने ही मनुष्यों ने देवत्व प्राप्त कर लिया, कितने ही सिद्ध हो गए और कितने ही मनुष्यों ने ब्रह्मत्व प्राप्त कर लिया। ब्रह्मज्ञान से मुक्ति होती है।
-वैशाख मास के उत्तम माहात्म्य का पूरा-पूरा वर्णन रोग-शोक से रहित जगदीश्वर भगवान नारायण के सिवा दूसरा कौन कर सकता है।
-इस दिन वस्त्र, आभूषण, गौ, भूमि, तिल और सुवर्न आदि से भगवान की पूजा और वन्दना करने से सभी सुखों की प्राप्ति औऱ मोक्ष प्राप्त होता है।