Two wives divided their husbands, filed a settlement letter in the court…#upnews
आगरालीक्स…अजब—गजब. दो पत्नियों में बंटा पति. पति भी राजी और दोनों पत्नियां भी राजी. पर सप्ताह में 7 दिन तो कैसे दोनों पत्नियों ने साथ रहने का निकाला रास्ता…कोरोना ने भी निभाया अहम रोल
यूपी में दो पत्नियां और एक पति के बीच बंटवारे का अजब—गजब मामला सामने आया है, जिसमें कोरोना ने अहम रोल निभाया है. रिश्तों की यह अजब—गजब कहानी लखनऊ से आई है. इसमें दो पत्नियों के बीच पति के बंटबारे का समझौता किया गया है. उन्होंने कोर्ट में समझौते का पत्र भी दिया और बंटवारे को लेकर अपने पूरे नियम कायदे भी बताए. समझौते में दोनेां पत्नियां भी राजी हैं और उनका पति भी.
जानिए क्या है मामला
समझौता का यह मामला पारिवारिक न्यायालय लखनऊ तक पहुंचा है. वादी—प्रतिवादी पलटे और उन्होंने समझौता पत्र के साथ अदालत में मुकदमा वापस लेने की अर्जी लगाई जिसमें सुलह ये हुई कि तीन दिन पति एक पत्नी के साथ रहेगा और चार दिन दूसरी पत्नी के साथ रहेगा. चाहें तो तीज त्योहार पर आपस में मिलते रहेंगे और भविष्य में कोई भी किसी पर मुकदमा दर्ज नहीं करेगा.

शहर के पॉश इलाके में रहने वाले एक युवक की शादी 2009 में माता—पिता की मर्जी से हुई जिससे दो बच्चे भी हुए. लेकिन 2016 में दोनों पति—पत्नी अलग ओ गए और युवक ने एक अन्य युवती के साथ लव मैरिज कर ली. युवक ने अदालत में पहली पत्नी से तलाक का मुकदमा दायर कर दिया. युवक के दूसरी पत्नी से भी एक संतान हो गई. तलाक का यह मामला वर्ष 2018 में दाखिल हुआ, लेकिन कोरोना आने के बाद इनकी सुनवाई लगातार टलती रही. कोरोना ने इनको समय दिया और इन्होंने आपस में एक समझौता किया और राजी हो गए.
समझौता पत्र के मुताबिक बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को युवक अपनी पहली पत्नी के साथ रहेगा तो वहीं सप्ताह के शेष चार दिन दूसरी पत्नी के साथ रहने पर सहमति बनी. ये भी तय हुआ कि तीज त्योहार, अपवाद या किसी अन्य अवसर पर वो किसी एक पत्नी के साथ मौजूद रह सकता है, जिस पर किसी को आपत्ति नहीं होगी. दोनों पत्नियों का चल अचल संपत्ति पर समान हक होगा. इसके अलावा 15 हजार रुपये भरण पोषण के लिए पहली पत्नी को पति देगा. इन सब शर्तों का एक समझौता पत्र बनाया गया और यह पत्र व हलफनामा कोर्ट में दाखिल किया गया. दोनेां पक्ष दायर वाद को वापस लेने पर राजी हो गए.
28 मार्च को कोर्ट ने वाद निरस्त करने का फैसला सुनाया. इसमें कहा गया कि वादी अपना वाद वापस लेना चाहते हैं, जिस कारण वाद निरस्त किया जाता है.