आगरालीक्स…मरीज को होल ब्लड न चढ़ाकर वही कंपोनेंट चढ़ाना चाहिए, जिसकी उसे वास्तव में जरूरत है…रेनबो में सेफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर हुआ मंथन.
ब्लड चढ़ाते समय बरतें सावधानी
तमाम बीमारियों और आपरेशन में ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ जाती है. ऐसे में महत्वपूर्ण है कि ब्लड चढ़ने का प्राॅसेस ठीक तरीके से पूरा हो और उसमें पूरी तरह से सावधानी बरती जाए. यह जानकारी रेनबो आरोग्यम की आईसीयू प्रभारी एवं क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डा. पायल सक्सेना ने दी. रेनबो हाॅस्पिटल में नर्सिंग एंड पैरामेडिकल स्टाॅफ के लिए सेफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर कार्यशाला आयोजित की गई.
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प्रशिक्षित स्टाफ की निगरानी में चढ़ाएं ब्लड
कार्यशाला को डा. पायल सक्सेना ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मरीज को होल ब्लड न चढ़ाकर वही कंपोनेंट चढ़ाना चाहिए, जिसकी उसे वास्तव में जरूरत है. इससे संक्रमण को खतरा नहीं होता और खून की बर्बादी भी रोकी जा सकती है. स्वास्थ्य कर्मियों से उन्होंने कहा कि मरीज को ब्लड डाॅक्टर और प्रशिक्षित स्टाॅफ की निगरानी में ही चढ़ाना चाहिए. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान नजर बनाए रखनी चाहिए कि कहीं कोई रिएक्शन तो नहीं हो रहा. रिएक्शन नजर आने पर तुरंत ब्लड ट्रांसफ्यूजन को रोक दें. बैकअप में वे सभी दवाएं होनी चाहिए, जिसकी जरूरत आपको पड़ सकती है. मरीज को ब्लड चढ़ाने की इस चार घंटे की प्रक्रिया के दौरान आपके पास सीपीआर का पूरा बैकअप भी होना चाहिए, क्योंकि बेहद गंभीर मामलों में हालात नियंत्रित किए जा सकें.
इस तरह की कार्यशालाएं जरूरी
अस्पताल कीं प्रमुख डा. जयदीप मल्होत्रा ने इस तरह की कार्यशालाओं को जरूरी बताया. कहा कि रेनबो हाॅस्पिटल में समय-समय पर यह कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं. अस्पताल के निदेशक डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने प्रसव के दौरान पड़ने वाली रक्त की जरूरत और उसे चढ़ाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया. मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डा. राजीव लोचन शर्मा ने महत्वपूर्ण जानकारी दी. सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले नर्सिंग स्टाॅफ का चुनाव किया गया. इसमें आईसीयू स्टार आॅफ द मंथ का खिताब शिवम गोला के नाम रहा. इस दौरान डा. मनप्रीत शर्मा, डा. शैमी बंसल, डा. राहुल गुप्ता आदि मौजूद थे.