Agra’s Businessman Wife dead body found Markandey Ghat in Kashi
50 Girls free from Nari Niketan Mathura
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नारी निकेतन मथुरा में निरुद्ध 50 वयस्क लड़कियों को शीघ्र छोड़ने का आदेश दिया है। इन लड़कियों को कोर्ट में पेश किया गया था। चिकित्सा जांच व अन्य साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने पाया कि लड़कियां बालिग हो चुकी हैं तथा मानसिक रूप से स्वस्थ हैं। ऐसे में इनकी मर्जी के विपरीत इन्हें नारी निकेतन में नहीं रखा जा सकता। जब इन्हें नारी निकेतन में लाया गया था तब वे नाबालिग थीं।
यह आदेश न्यायमूर्ति अमर सरन तथा न्यायमूर्ति रंजना पांड्या की खण्डपीठ ने अन्नो उर्फ अन्नी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वयस्क महिला को कानूनी हक है कि वह अपनी मर्जी से जहां चाहे रह सकती है। ऐसे मामलों में अदालत का कोई सरोकार नहीं होता। अधिकारियों को स्वयं इस संबंध में निर्णय ले लेना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि महिला सुधार गृह या नारी निकेतन में महिलाओं के साथ जो बर्ताव होता है, उसे वहां रह रही लड़कियां ही बता सकती हैं। यह वैसे ही है जैसे जूता पहनने वाला ही जान सकता है कि उसके पैर में क्या परेशानी हो रही है।
यह लड़कियां किसी न किसी अपराधिक मामलों में नारी निकेतन में रखी गई थीं। इनमें से लगभग 50 लड़कियां बालिग हो चुकी हैं जिन्हें कोर्ट ने हाजिर करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने हाजिर लड़कियों का बारी-बारी से बयान भी दर्ज किया। उन्होंने अपनी मुक्ति की प्रार्थना की। कोर्ट ने निकेतन की अधीक्षिका को आदेश दिया कि लड़कियों को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करें। कोर्ट कार्यवाही में होने का आश्वासन लेकर इन्हें छोड़ा जाए। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ज्ञान देवी केस के फैसले को आधार मानते हुए कहा कि 18 वर्ष की आयु प्राप्त होते ही निरुद्ध लड़कियों को उनकी इच्छानुसार रहने का हक दिया जाए। इनके जीवन के मूल अधिकार को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।