आगरालीक्स ….आगरा में डॉक्टरों की कार्यशाला में सामने आया है कि आईसीयू और एंबुलेंस मरीजों की जान बचाने के बजाय जान लेने का काम कर रहे हैं।शनिवार से होटल भावना क्लार्क में शुरू हुई इंडियन कॉलेज ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन द्वारा आगरा ट्रॉमा क्रिटिकल केयर कांफ्रेंस के तहत दो दिवसीय कोर्स में डॉक्टरों के साथ ही नर्सेज को भी प्रशिक्षण दिया गया।
सचिव डॉ मनीष मुंजाल ने कहा कि एक्सीडेंट के बाद मरीज को हॉस्पिटल तक पहुंचाना, गंभीर मरीजों को एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल और जांच के लिए ले जाने पर ध्यान न देने से जान जा रही है। इसके लिए अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया में ही ट्रांसपोर्ट मेडिसिन सोसायटी हैं। साल 2017 में इंडियन ट्रांसपोर्ट मेडिसिन सोसायटी अस्तित्व में आ जाएगी और भारत चौथा देश होगा।
इंडियन ट्रांसपोर्ट मेडिसिन सोसायटी के माध्यम से भारत में गंभीर मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में जान जाने का खतरा नहीं रहेगा। इसके लिए गाइड लाइन तैयार की गई हैं। डॉ कुंदन मित्तल, रोहतक ने देश भर की एंबुलेंस और आईसीयू पर स्टडी की है, उनका कहना है कि देश में एंबुलेंस और आईसीयू की स्थिति अच्छी नहीं है, यूपी और बिहार में हालत खराब है। आईसीयू नाम के लिए बने हुए हैं, एंबुलेंस में कोई स्टाफ नहीं होता है, दिखाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर रख दिया जाता हैऔर नीली बत्ती लगा दी जाती है। लेकिन ऑक्सीजन लगाना और मरीज को कितनी ऑक्सीजन, किस तरीके से दी जानी है यह पता ही नहीं है। ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ रनवीर त्यागी ने बताया कि सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन, अमेरिका द्वारा 93 देशों में यह कोर्स हर साल कराया जा रहा है, भारत में 20 कोर्स कराए गए हैं, इसमें से एक कोर्स आगरा में है। इसमें 100 चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। इन्हें डमी पर गंभीर मरीज की बीमारी का पता करना और इलाज की ट्रेनिंग दी गई। साइंटिफिक सेक्रेटरी डॉ दीप्तिमाला अग्रवाल ने बताया कि मरीज की तबीयत बिगड रही है, यह उसके स्किन के कलर और पेशाब की मात्रा को देखर लगाया जा सकता है। इस दौरान चेयरपर्सन डॉ सुभाष चंद्र गुप्ता, सचिव डॉ राकेश त्यागी, यूपी सोसायटी के अध्यक्ष डॉ ललित सिंह, सचिव डॉ आदित्य नाथ शुक्ला आदि मौजूद रहे।
नर्सेज को डमी पर दी गई ट्रेनिंग, 40 फीसद नर्सेज की कमी
आईसीयू में अधिक से अधिक दो मरीज पर एक नर्स होनी चाहिए। अधिक गम्भीर मामले में एक मरीज पर एक नर्स होनी चाहिए। लेकिन हमारे यहां एक हॉस्पिटल में एक या दो नर्स होती है। देश में 40 फीसद नर्सेज की कमी है, वहीं जो नर्स काम कर रही हैं, उन्हें क्रिटिकल केयर की ट्रेनिंग नहीं दी गई है। नर्सेज को डॉक्टरों की टीम ने डमी पर ट्रेनिंग दी, उन्हें बताया गया कि मरीज की तबीयत बिगडने पर किस तरह से मैनेजमेंट किया जाए, जिससे डॉक्टर के आने से मरीज की जान बचाई जा सके। डॉ जितेंद्र, डॉ विवेक, कैप्टन श्रीलता, कर्नल पॉली ने नर्सेज को ट्रेनिंग दी।
ये हैं लक्षण
बेहोश होना
सांस लेने में दिक्कत, सांस फूलना
पल्स रेट कम होना
पेशाब न आना
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