आगरालीक्स…महाकुंभ को छोड़कर चले गए आईआईटीयन बाबा अभय सिंह. मिलने वालों की लग रही थी भीड़, माता पिता भी तलाशते हुए आश्रम पहुंचे लेकिन नहीं मिले…
प्रयागराज महाकुंभ में चर्चित आईआईटीयन बाबा अभय सिंह ने महाकुंभ छोड़ दिया है और वो किसी अन्यत्र जगह चले गए हैं जहां किसी को कोई पता नहीं है. आश्रम के संतों को भी नहीं पता कि वह कहां चले गए हैं. इधर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे बाबा अभय सिंह से मिलने के लिए रोजाना सैकड़ों लोगों की भीड़ जुट रही थी, वहीं गुरुवार रात को उन्हें तलाशते हुए उनके माता पिता भी जूना अखाड़े के 16 मड़ी आश्रम पहुंचे लेकिन तब तक वो जा चुके थे.
आश्रम के कुछ संतों का कहना है कि लगातार मीडिया वालों के आने और लोगों की भीड़ जुटने से उनमे मानसिक तनाव बढ़ रहा था. कई बातों विवाद भी पैदा कर रही थी जिसके कारण उन्होंने आश्रम छोड़ने का फैसला किया. उनका मोबाइल नंबर भी बंद जा रहा है. हरियाणा के झज्जर के रहने वाले इनके पिता कर्ण सिंह एडवोकेट हैं और वो झज्जर बार एसोसिएशन के प्रधान भी रह चुके हैं.
ऐसे हुए सोशल मीडिया पर वायरल
सोशल मीडिया पर एक टीवी चैनल द्वारा लिए गए इनके साक्षात्कार के बाद वायरल हो रहा है. साक्षात्कार में बाबा ने अपनी जिंदगी के कई दिलचस्प पहलुओं को उजागर किया और बताया कि कैसे उन्होंने आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग करने के बाद फोटोग्राफी में कॅरियर बनाया और इसके बावजूद संन्यास लेने का फैसला किया.
संन्यासी बाबा अभय सिंह ने बताया कि वह आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल कर चुके हैं. आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्था से शिक्षा हासिल करने के बाद उनके पास जीवन में सफलता पाने के तमाम रास्ते थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने संन्यास लेने काएकदम अलग और दिलचस्प निर्णय लिया. आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद अभय सिंह ने अपनी रुचियों का पीछा करना शुरू किया और फोटोग्राफी के क्षेत्र में कदम रखा. उन्होंने फिल्म 3 इडियट्स के किरदार की तरह इंजीनियरिंग के बाद एक अलग दिशा में कदम रखा. फोटोग्राफी में अपना करियर बनाने के लिए उन्होंने कई वर्षों तक कड़ी मेहनत की और आटर्स में मास्टर डिग्री भी हासिल की. इस दौरान अभय ने एक साल तक फिजिक्स की कोचिंग भी दी और फोटोग्राफी की दुनिया में अपना नाम बनाने की कोशिश की.
मानसिक संतुष्टि के लिए चुना संन्यास
फोटोग्राफी में भी सफलता हासिल करने के बाद उन्होंने महसूस किया कि बाहरी सफलता, पैसे और मान्यता से आत्मिक शांति नहीं मिली. इस अनुभव के बाद उनहोंने जीवन में गहरी खोज शुरू की और संन्यास लेने का निर्णय लिया. अभय सिंह का मानना है कि संन्यास, जीवन की सर्वोत्तम अवस्था है. उन्होंने कहा कि ज्ञान के पीछे चलते जाओ, चलते जाओ, कहां तक जाओगे. अंत में यही समझ आ जाएगी कि वही सबसे अच्छा है. इसके बाद उन्होंने अपने जीवन को आंतरिक शांति और आत्मज्ञान की प्राप्ति की दिशा में समर्पित कर दिया.
अभय सिंह ने कहा कि वह हरियाणा के हैं लेकिन उनहोंने कई अलग—अलग शहरों में अपना जीवन बिताया. संन्यास लेने के बाद अब वह समाज के कल्याण और व्यक्तिगत विकास के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने अपनी जीवन यात्रा में सीखा है कि बाहरी सफलता केवल दिखावा होती है, असली सुख और शंति भीतर से ही आती है.