आगरालीक्स….प्लास्टिक कितनी खतरनाक, आगरा में डॉक्टरों ने बताया कि गर्भ में भी घुस रहा प्लास्टिक. गर्भ में पल रहे बच्चे और गर्भवती के लिए भी हानिकारक
प्लास्टिक प्रदूषण पर काम कर रही जनरल सर्जन डॉ. मीता कुलश्रेष्ठ ने कहा प्लास्टिक की खूबियां आज हमारे लिए अभिशाप बन गए हैं। कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियां के लिए जिम्मेदार प्लास्टिक को आज हम खा रहे हैं, पी रहे हैं। माइक्रो और नेनो प्लास्टिक के रूप में किसी न किसी तरह हर रोज प्लास्टिक अपने अंदर ले रहे हैं। हमारे फेफड़ों, रक्त, त्वचा और शरीर के हर हिस्से में पहुंच चुका है। फीटस, मदर मिल्क में भी प्लासिट्क धुल गया है। लोगों में हार्मोन संतुलन और बच्चे के डीएनए तक को बदल रहा है फीटस में मौजूद माइक्रो प्लास्टिक। 30-35 की उम्र में मीनोपॉज होने का भी मुख्य कारण हार्मोनल असंतुलन है, जिसकी मुख्य वजह माइक्रो प्लास्टिक है। जिस फीटस में माइक्रो प्लास्टिक होगी उनमें अस्थमा या अन्य बच्चे का मानसिक विकास प्रभावित होता है। सावधानी के तौर पर सब्जियां अधिक खाएं, बाजार जाते समय अपना थैला और पीने का पानी साथ लेकर चले। प्लास्टिक बोतल में पानी और चाय का प्रयोग न करें। समुंद्री नमक के बजाय डेले वाला नमक प्रयोग करें। सिन्थेटिक कपड़ों के बजाय कॉटन, सिल्क और लेनिन के कपड़ों के प्रयोग करें। नॉनस्टिक कुकवेयर के प्रयोग से बचें। घर में खाने का सामान विशेषकर खट्टी व ऑयली चीजें प्लास्टिक के बर्तन में न रखें।
उपहार में दें सर्वाइकल कैंसर का वैक्सीन, सामाजिक संगठन आगे आएं
9-15 वर्ष के बीच अपनी बेटियों को सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन अवश्य लगवाएं। कम उम्र में सिर्फ दो डोज से काम चल जाता है और ज्यादा असरदार भी रहती है। 15-26 वर्ष के बीच तीन डोज लगवानी पड़ती हैं। सभी कैंसर में सिर्फ सर्वाइकल कैंसर ही है जिसकी बैक्सीन उपलब्ध है। सम्भव है जल्दी ही सरकारी अस्पतालों में भी इसकी सुविधा उपलब्ध हो। परन्तु तब तक कुछ दिन पिज्जा पर खर्च करने के बजाय वैक्सीन लगवाएं। घर में कामवाली को उपहार देने के बजाय उसे वैक्सीन लगवाएं। जन्मदिन पर उपहार में दे वैक्सीन। सामाजिक संगठनों को भी सर्वाइकल बैक्सीनेशन के लिए शिविर लगवाने में आगे आने चाहिए। यह बात आज यूपीकॉन-2025 आयोजन समिति की अध्यक्ष डॉ. सरोज सिंह पब्लिक फोरम कार्यक्रम में दी।
यूपीकॉन-2025 में आज पब्लिक फोरम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों की 200 से अधिक महिलाओं ने भाग दिया। विशेषज्ञों द्वारा शहर की महिलाओं का स्वास्थ के प्रति जागरूक रहने के टिप्स दिए गए। गर्भधारण से पहले से लेकर प्रसव तक और एनीमिया, सर्वाइकल, ब्रेस्ट कैंसर, इनफेक्शन के लक्षण से लेकर बचाव तक की जानकारी उपलब्ध कराई गई। यूपीकॉन-2025 आयोजन समिति की सचिव डॉ. रिचा सिंह ने कहा कि गर्भधारण से पहले भी सावधानी व केयर की जरूरत होती है। अन्यथा जटिलताएं बढ़ सकती हैं। गर्भधारण के समय थॉयरायड, शुगर, एनीमिया, ब्लडप्रेशर, मोटापा जैसी समस्याएं जटिलताओं को बढ़ा सकती है। यदि आप इन समस्यों के पीड़ित हैं तो गर्भधारण होने पर दवाओं व जीवनशैली में बदलाव का विशेष खयाल रखना चाहिए। मुख्य अतिथि एफमेक के अध्यक्ष पूरन डाबर ने कहा कि जागरूकता ही स्वस्थ रहने का सबसे बेहतर तरीका है। स्वास्थ्य के प्रति भ्रांतियों से भी लोगों को बचना चाहिए। महिलाओं ने विशेषज्ञों से अपने सवाल भी किए।

संचालन डॉ. आरती मनोज ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से एके सिंह, डॉ. विशाल चौहान, डॉ. नरेन्द्र मल्होत्रा, डॉ. जयदीप मल्होत्रा, आयोजन समिति की डॉ. शिखा सिंह, डॉ. निधि गुप्ता, डॉ. मोहिता पैंगोरिया, सीमा सिंह, डॉ. पूनम यादव, डॉ. रचना अग्रवाल, डॉ. मीनल जैन, डॉ. उर्वशी, डॉ. अनु पाठक, डॉ. अभिलाषा यादव, डॉ. आकांक्षा गुप्ता, डॉ. रुचिका गर्ग, डॉ. सुमन, डॉ. सविता त्यागी, नीलम सिंह, नमिता शिरोमणी, दिव्या यादव, आशा, संगीता, सुमन आदि उपस्थित थीं।
समापन समारोह में आयोजन समिति के सदस्यों को किया सम्मानित
एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री व प्रसूति रोग विभाग व एओजीएस द्वारा आयोजित 36वां यूपीकॉन 2025 के समापन समारोह में आयोजन समिति के सदस्यों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित का गया। पद्मश्री डॉ. उषा शर्मा ने सफल कार्यशाला की सराहना करते हुए कहा हमारा उद्देश्य देश की हर महिला को बेहतर स्वास्थ प्रदान करना है। कार्यशाला से न सिर्फ डॉक्टरों को बल्कि देश व समाज को भी लाभ होगा। आयोजन समिति की अध्यक्ष डॉ. सरोज सिंह ने कहा कि सभी सदस्यों ने मिलकर आयोजन को सजाया और संवारा, इसके लिए बहुत बहुत बधाई। आयोजन समिति की सचिव डॉ. रिचा सिंह ने बताया कि कार्यशाला में देश भर से 800 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। लगभग 200 रिसर्च पेपर व पोस्टर प्रस्तुत किए गए।