Agra Corona Impact : TeleMedicine, Video OPD best option for Doctors & Patient in Agra
आगरालीक्स… आगरा में आईएमए की जूम मीटिंग में डॉक्टरों ने कहा कि डॉक्टर के क्लीनिक और हॉस्पिटल में जाए बिना वीडियो कॉल और टेलीमेडिसिन से उचित इलाज संभव है, कोरोना बीटा श्रेणी का वायरस है। इसका अभी इलाज नहीं है, यह कब तक रहेगा यह भी नहीं कह सकते हैं।
गुरुवार को आगरा में आईएमए ने जूम मीटिंग की। डॉ केके विश्वानी, करोना संक्रमण के के संदर्भ में टेली मेडिसिन के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि डॉक्टर के क्लिनिक पर जाए बिना टेंली मेडिसिन में वीडियो कॉल द्वारा उचित उपचार सम्भव है।हमें घर रहकर लगातार अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के उपाय करते रहना चाहिए। करोना वायरस बीटा श्रेणी का वाइरस है जिसके ख़िलाफ़ जंग जारी है।
डॉ राजीव जैन ने कहा कि करोना के समय अलग अलग आयु वर्ग के बच्चों की देखभाल अलग प्रकार से होनी चाहिए। करोना संक्रमण जन्म से लेकर किसी भी आयु वर्ग के बच्चों को हो सकता है।सौभाग्य से हमारे यहाँ इसका प्रकोप बच्चों में कम है।
सचिव डॉ संजय चतुर्वेदी ने मीटिंग का संचालन किया। मीटिंग में सवाल पूछे गए, आईएमए के अध्यक्ष डॉ रवि पचौरी ने अकिया कि बचाव के उपायों में ढिलाई नहीं बरतनी है।
जूम मीटिंग में प्रशनकाल में पूछे गए प्रशन :-
१- प्रॉय: हमारे बुजुर्ग जो स्टेबल क्रॉनिक बीमारियों के साथ रह रहे हैं एक अनजान भय ग्रस्त है।भय मुक्त होने के लिये क्या उपाय करे ?
भय मुक्त होने का कारगर उपाय है उससे अपना ध्यान हटाना। स्वयं को व्यस्त रखें, अपनी पुरानी हाबीज़ को पुनः प्रारंभ करें, प्राणायाम व योग को समय दें।घर के युवाओं से चर्चा कर अपने अनुभव साझा करने का सुअवसर बनाए।बीमारी से बचने के नियमो का पालन करते रहें ।
२- यदि परिवार में एक संक्रमित निकल आए तो बाक़ी सदस्य क्या करे मार्गदर्शन कीजिए ?
संक्रमित सदस्य तो आइसोलेशन वार्ड में चले जाएंगे ।अन्य सदस्य भी स्वयं को घर पर ही आइसोलेट कर लें।इस वाइरस का इंक्युबेशन समय एक सप्ताह है यदि इस अंतराल में किसी सदस्य में कुछ लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करके उसका सदुपयोग किया जा सकता है।
३- करोना काल में बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं व यूज़ आफ गेजेट्स के एक मात्र माध्यम से बाहरी दुनिया से जुड़े है जो उसके सोशल/इमोशनल डवलपमेंट में भी सहायक है।इसे कम करने से कुछ समय बाद क्या दूसरे इशूज़ नहीं आयेंगे ?
बड़े हुए स्क्रीन टाइम के फ़ायदे और नुक़सान दोनों ही है।इसमें बैलेन्स होना चाहिए। माता-पिता की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है।बच्चों को कहानियां सुनानी चाहीये, उन्हें इनडोर खेल अपने साथ खिलाने चाहिए।उन्हें अपनी पढ़ाई की किताबों के साथ साथ ऐसी पुस्तकें पढ़ने के लिए देनी चाहिए जिससे उनका समाज से जुड़ाव हो सके।पूजा पाठ में उनकी सहभागिता होनी चाहिए। गैजेटस का उपयोग नहीं दूरउपयोग हो रहा है जिससे आँखों पर दुष्प्रभाव व चिड़चिड़ापन बढ़ने की शिकायतें आने लगी है।इनका उपयोग केवल अनिवार्य कार्यों के लिए ही किया जाए।
४- घर पर बाहर से आने वाले पार्सल इत्यादि एवं सब्ज़ी व फल कैसे सेनेटाइस करे ?
यदि पार्सल अत्यावश्यक नहीं है तो उसे 24 घंटे के लिए बाहर अलग पड़ा रहने दें
तत्त्पश्चात उसके बाहरी आवरण या कार्डबोर्ड को बाहर ही छोड़ दें और अंदर का आवरण यदि प्लास्टिक का हो तो उसे साबुन से धो लें और अपने हाथों को भी सेनेटाईज कर ले ।सब्ज़ी और फलों को कुछ समय नमक वाले गर्म पानी में रखने के बाद फ़्लोइंग पानी में नल के नीचे रगड़ कर धो लें।थोड़ी देर धूप में सुखा लें और पकाकर प्रयोग में लाए।
५- अब कुछ सेलून खुल गए हैं तो क्या बाहर बाल कटवाने जाना सुरक्षित है ?
ध्यान रखें कि वहाँ वेटिंग में फ़िज़िकल डिस्टन्सिंग का पालन हो व एक ही सेलून एप्रॉन बार बार प्रयोग न किया जा रहा हो। मास्क का प्रयोग आपके तथा बारबर दोनों के लिए अनिवार्य है।अच्छा हो यदि आप अपना टोवेल/एप्रन साथ लेकर जायँ ।
६- आजकल सोशल मीडिया पर प्रचलित प्रिवेंटिव अथवा दूसरी दवाएँ लेना कितना उचित है ?
बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा लेना ख़तरनाक हो सकता है।सोशल मीडिया पर सुझाई कुछ बातें आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहयोग कर सकती है लेकिन काढ़ा पीकर यदि आप समझें कि आप सुपरमैन हो गए तो वो उचित नहीं होगा ।
डॉ पंकज नगयाच,मीडिया प्रभारी ने बताया की समाज से संवाद का ये अनूठा प्रयास निरंतर चलता रहेगा।