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Agra Gastro Center : Endoscopic Ultrasound help in Diagnosis says Senior Gastroenterologist Dr. Dinesh Garg #agra
आगरालीक्स… पेट की बीमारी का कई बार सीटी स्कैन, एमआरआई से भी पता नहीं चलता है, इन बीमारियों की डायग्नोसिस के लिए हाईब्रिड तकनीक के बारे में बता रहे हैं सीनियर गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. दिनेश गर्ग.
आगरा में आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर पेट, आंत एवं लिवर रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। आगरा व आस—पास के जिलों से मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। यहां न सिर्फ एक ही छत के नीचे उपचार की सभी सुविधाएं मौजूद हैं बल्कि वे सुविधाएं और संसाधन भी विकसित किए गए हैं जिनसे मरीजों को किसी भी दूसरे राज्य या शहर में जाने की आवश्यकता नहीं है। इसी क्रम में आज हम सीनियर गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. दिनेश गर्ग से एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड के बारे में जानेंगे
डॉ. दिनेश गर्ग बताते हैं कि उत्तर भारत के गिने—चुने अस्पतालों में ही आज एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड की सुविधा है। आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर इस क्षेत्र में यह सुविधा रखने वाला केंद्र है। डॉ. गर्ग ने बताया कि एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड एक प्रकार की हाइब्रिड टेक्नोलॉजी है, जिसमें एंडोस्कोपी एवं अल्ट्रासाउंड का मेल है। एक मशीन में एंडोस्कोप के टिप के उपर एक पूरी अल्ट्रासाउंड मशीन को लगा दिया जाता है। और उसका साइज उंगली के पोर के बराबर होता है। इसके फायदे ये हैं कि बहुत सी ऐसी बीमारियां जिनका पता सामान्य अल्ट्रासाउंड, एंडोस्कोपी, सीटी और एमआरआई से भी नहीं लग पाता उसमें एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड काम आता है। खास तौर पर पेनक्रियाज की कुछ बीमारियां, कुछ प्रकार के कैंसर, छाती में होने वाली कुछ गांठें, जिसमें आप इस तकनीक के जरिए सैंपल भी ले सकते हैं और बहुत सी बीमारियों का इस प्रक्रिया के दौरान तत्काल उपचार भी किया जा सकता है। यह सुविधा आगरा में हमारे यहां उपलब्ध है विश्व की नई तकनीक ओलंपस कंपनी की एमई थ्री मशीन है जो शायद उत्तर भारत में बहुत कम ही सेंटर्स पर है। इस मशीन के उपयोग से जांच और उपचार करने के लिए एक्सपीरियंस चिकित्सक हैं।
एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड
एक तरह से एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड एक ऐसी अल्ट्रासाउंड प्रक्रिया है जिसमें अल्ट्रासाउंड क्षमता वाले एक विशेष एंडोस्कोप का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग जठरांत्र संबंधी मार्ग के अस्तर के साथ साथ छाती और पेट के आंतरिक अंगों के मूल्यांकन के लिए किया जाता है। एंडोस्कोपिक विजन भी ले सकते हैं और इसके साथ ही एंडोस्कोपी में जो नहीं नजर आ रहा हो, खाने की नली, पेट के पीछे जो अंगे हैं उन्हें बहुत अच्छे से देख सकते हैं। इसे हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं। पहला डायग्नोस्टिक यानि बीमारी के बारे में पता लगाना और दूसरा थैरेपेटिक यानि तत्काल उसका इलाज कर देना।
जहां तक डायग्नोस्टिक एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड का सवाल है। अगर हम फूड पाइप की बात करें तो फूड पाइप की इंटरनल लेयर्स के अंदर होने वाले ट्यूमर्स, कैंसर्स, स्टमक में आएं तो कई तहर के ट्यूमर्स, माइक्रोलिथ्स यानि गॉल ब्लैडर स्टोन कई बार तीन मिलीमीटर से छोटे स्टोन अल्ट्रासाउंड में नहीं दिख रहे होते, पेट में लगातार दर्द का यदि कोई कारण नहीं पता चल रहा है तो माइक्रोलिथ्स का पता लगाया जा सकता है जिसका असली उपचार गॉल ब्लैडर का आॅपरेशन होता है। बाइल डक्ट में स्टोन को सटीक तरीके से देख सकते हैं। पेनक्रियाज और गॉल् ब्लैडर में होने वाले ट्यूमर्स का सटीक पता लगा सकते हैं। खास बात यह है कि इस जांच के जरिए सैंपल भी लिया जा सकता है।