Agra News: Artificial Intelligence will become a boon for heart patients, treatment will be easy…#agranews
आगरालीक्स…हार्ट अटैक के केस बढ़े हैं लेकिन उपचार भी हो रहा आसान. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बनेगी वरदान. 35 साल की उम्र के बाद हर साल जरूर कराएं ये जांच…नेशनल कांफ्रेंस कार्डियोलॉजी आगरा लाइव 4.0 में हृदय रोग विशेषज्ञों ने
मेडिकल फील्ड में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक बड़ी क्रांति है। इसके द्वारा रोग के लक्षणों और जांचों के आधार पर एक चिकित्सक की तरह हृदय रोग का उपचार बताया जा सकता है। रिमोट मॉनिटरिंग के जरिए दूर बैठकर भी मरीज पर निगाह रखी जा सकती है। यहां तक कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोग पनपने से पहले ही मरीज को आगाह कर सकती है.. ये विचार फरीदाबाद से आए डॉ. गजिन्दर गोयल ने रविवार को होटल क्लार्कशिराज में आयोजित दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस कार्डियोलॉजी आगरा लाइव 4.0 के समापन पर व्यक्त किए। वे ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन हार्ट फेल्योर’ विषय पर अपने विचार साझा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एआई की मदद से इमरजेंसी की स्थिति में रक्तचाप और पल्स रेट आदि को मॉनिटर करके हॉस्पिटल जाने की जरूरत है या नहीं, बताया जा सकता है। साथ ही, नये अनुसंधान करने, नई दवाइयां और वैक्सीन आदि बनाने के कार्य में भी एआई बहुत उपयोगी साबित होगी। मरीजों की बेहतर देखभाल, शीघ्र जांच और शीघ्र इलाज में इससे मदद मिलेगी। समय पूर्व मृत्यु और आकस्मिक मृत्यु कम होगी। युवाओं को हृदयाघात से बचाने में भी मदद मिलेगी।
मैक्स हॉस्पिटल, साकेत, दिल्ली से आए पद्मश्री डॉ. बलवीर सिंह ने कहा कि दूरबीन विधि से अब आर्टरी के अंदर झांका जा सकता है। इससे स्टंट डालने में एक्यूरेसी बढ़ी है। मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डॉ. विवेका कुमार ने कहा कि हार्ट का बाल्व अगर बहुत ज्यादा सिकुड़ जाए या लीक करे तो बगैर ओपन हार्ट सर्जरी के अब “टावी” के द्वारा बदला जा सकता है। फोर्टिस एस्कॉर्ट, नई दिल्ली के डॉ. निशीत चंद्रा ने कोरोनरी इमेजिंग विषय पर बोलते हुए कहा कि कोरोनरी इमेजिंग एंजियोग्राफी से बेहतर है। इसमें मृत्यु दर कम हो जाती है। एंजियोप्लास्टी का प्रोसीजर और सुरक्षित हो जाता है। कोरोनरी इमेजिंग के द्वारा हृदय की धमनियों के अंदर प्रवेश करके ब्लॉकेज के चित्र उतारे जाते हैं। हार्ट अटैक का सही कारण पता लग जाता है। स्टंट की जरूरत और जरूरत के अनुसार साइज का भी पता लग जाता है। आगरा के डॉ. सौरभ नागर ने हाइपरटेंशन विषय पर बोलते हुए कहा कि उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। आजकल यह 25 फीसदी युवाओं में पाया जाने लगा है। इसका उपचार नहीं होगा तो भविष्य में किडनी रोग, हृदयाघात और ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है।
पलमोनरी हाइपरटेंशन विषय पर बोलते हुए मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली की डॉ. सुश्री मुनीष तोमर ने कहा कि हृदय को स्वस्थ रखना है तो फेफड़ों को भी स्वस्थ रखना जरूरी है। शरीर में कहीं भी दिक्कत हो तो नजरअंदाज ना करें। केजी मेडिकल कॉलेज लखनऊ के कार्डियोलॉजी विभाग से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. वीएस नारायण ने ‘हृदय के लिए एक्स-रे’ विषय पर बोलते हुए कहा कि डॉक्टर्स को चाहिए कि वह हर मरीज का सीधे ईको नहीं करवाएं। हृदय रोग का पता लगाने के लिए एक्स-रे और ईसीजी मूलभूत आधार हैं, इन्हें अपनाएं। उन्होंने कहा कि जो बच्चे नीले पैदा होते हैं या रोने के बाद नीले पड़ जाते हैं या जिनके दिल में छेद होता है। साथ ही फेफड़ों की नस सूखी होती है, वह जन्मजात हृदय रोगी होते हैं। उनका पता सादा एक्सरे से भी लगाया जा सकता है।
फोर्टिस एस्कॉर्ट, दिल्ली के डॉ. नीरज अवस्थी ने कहा कि बहुत से लोगों में जन्मजात हृदय रोग होता है लेकिन इसके लक्षण थोड़ा बड़े होने पर ही प्रकट होते हैं। इसलिए जरूरी है कि अगर आपकी उम्र 35 वर्ष से अधिक है तो साल में एक बार अवश्य ईको कार्डियोग्राफी करवाएं। अगर आपको थोड़ा सा भी काम करने पर पसीना आता है तो इसका मतलब है कि हृदय पर लोड पड़ रहा है। थोड़ा चलने पर ही सांस फूलने और पसीने आने पर हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें। आयोजन सचिव और आगरा के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुवीर गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि नेशनल कांफ्रेंस से मिला अनुभव और ज्ञान देश भर के हृदय रोग विशेषज्ञों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस ज्ञान का लाभ आने वाले समय में लाखों मरीजों को मिलेगा। नई दिल्ली के डॉ. सुभाष चंद्रा और बांदा के डॉ. अति हर्ष अग्रवाल ने भी सारगर्भित विचार साझा किए। विभिन्न तकनीकी सत्रों में डॉ. शरद पालीवाल, डॉ. विजय खुराना, डॉ. सचिन गोयल, डॉ. एके गुप्ता, डॉ. नागेंद्र सिंह चौहान, डॉ. संजय सक्सेना और डॉ. अरविंद जैन चेयरपर्सन रहे। डॉ. वीएन कौशल और डॉ. सुवीर गुप्ता ने संचालन किया। समाजसेवी वीरेंद्र गुप्ता भी इस दौरान विशेष रूप से उपस्थित रहे।