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Agra News: CME on diagnosis and management of Dengue held at SNMC, Agra…#agranews
आगरालीक्स…डेंगू में नहीं खाने चाहिए ये दो दवाएं. केवल यह दवा और यह जांच ही है भरोसेमंद. एसएनएमसी में डेंगू के निदान और प्रबंधन पर हुई सीएमई
आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजिकल विभाग द्वारा आज डेंगू के निदान एवं प्रबंधन के विषय पर एक सीएमई का आयोजन शैक्षिक खंड के लैक्चर थियेटर—03 में किया गया. इस सीएमई का आयोजन विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर गोयल द्वारा किया गया. विभाग की सहायक आचार्य डॉ. आरती अग्रवाल द्वारा डेंगू वायरस के अवलोकन पर एक व्याख्सयान दिया गया जिसमें डेंगू वायरस के आंकड़ों पर प्रकाश डाला गया साथ ही डेंगू वायरस की आकृति एवं संरचना के बारे में बताया गया. डॉ. विकास कुमार द्वारा डेंगू वायरस के प्रयोगशाला निदान के दृष्टिकोण पर व्याख्यान दिया गया जिसमें डेंगू वायरस की लैब डायग्नोसिस पर प्रकाश डाला गया. डेंगू इन्फेक्शन मैनेजमेंट पर वयस्कों के लिए मेडिसिन विभाग के डॉ. मनीष बंसल तो वहीं बच्चों के लिए बाल रोग विभाग के डॉ. पंकज कुमार ने व्याख्यान दिए. रक्त घटकों की भूमिका पर सहायक आचार्य डॉ. यंतेंद्र मोहन ने व्याख्यान दिया.
इस सीएमई में यह बताया गया कि डेंगू के निदान के लिए डेंगू एनएस 01 एवं आईजीएम एंटीबॉडी एलिसा जांच ही भरोसेमंद है. रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट पर भरोसा नहीं करना चाहिए. डेंगू मरीज के इलाज में दवाओं से अधिक निगरानी पर जोर देना चाहिए जिससे खून बहने की प्रवृत्ति उत्पन्न न हो पाए. डेंगू में दवा के तौर पर पैरासीटाामॉल का उपयोग किया जा सकता है, परंतु एस्प्रिन एवं ब्रूफिन दवा का सेवन कभी नहीं करना चाहिए. हर डेंगू मरीज को खून चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती है. विशेष परिस्थितियों में ही प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है. माइक्रोबायोलौजी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं आचार्य डॉ. अंकुर गोयल द्वारा धन्यवाद दिया गया.
इस कार्यक्रम में डॉ. टीपी सिंह, डॉ. बलबीर सिंह, डॉ. मृदुल चतुर्वेदी, डॉ. राजेश्वर दयाल, डॉ. नीरज यादव, डॉ. रामक्षितिज शर्मा, डॉ. कामना सिंह, डॉ. दिव्या श्रीवास्तव, डॉ. रिचा गुप्ता, डॉ. प्रज्ञा शाक्य, डॉ. सीमा गुप्ता, डॉ. प्रीति भारद्वाज, डॉ. सुरेंद्र मोहन प्रजापति, नीरज कुमार, क्लीनिकल विभाग के रेजीडेंट डॉक्टर्स एवं मेडिकल छात्र शामिल रहे. प्रधानाचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं समय—समय पर होती रहेंगी, जिससे कि विशेषज्ञ चिकित्सक एवं पशिक्षु चिकित्सक समय—समय पर नवीन चिकित्सा पद्धति के बारे में अपडेट होते रहें.