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Agra News: Construction of the roof of the Concourse of Agra Fort Underground Metro Station started…#agranews

आगरालीक्स…आगरा फोर्ट अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन के कॉनकोर्स की छत का निर्माण शुरू. टॉप डाउन प्रणाली के तहत किया जा रहा निर्माण. जानिए कैसे होता है अंडरग्राउंड स्टेशन का निर्माण

उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने आगरा फोर्ट मेट्रो स्टेशन पर कॉनकोर्स की छत के निर्माण कार्य का शुभारंभ किया। प्रबंध निदेशक सुशील कुमार एवं निदेशक (कार्य एवं संरचना) संजय मिश्रा ने नारियल तोड़ कर निर्माण कार्य का शुभारंभ किया। इस दौरान आगरा मेट्रो के परियोजना निदेशक अरविंद कुमार राय सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि आगरा मेट्रो के सभी भूमिगत मेट्रो स्टेशनों का निर्माण टॉप डाउन प्रणाली के तहत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि टॉप डाउन प्रणाली में सबसे पहले स्टेशन की रूफ स्लैब (प्रथम छत) का निर्माण किया जाता है, इसके बाद कॉन्कोर्स स्लैब एवं बेस स्लैब की कास्टिंग की जाती है। इस प्रणाली में छत की कास्टिंग के लिए शटरिंग का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि भूमि को समतल कर शटरिंग की तरह प्रयोग किया जाता है, जिससे समय की बचत के साथ ही लागत भी कम आती है। बता दें कि पारंपरिक तौर पर भूमिगत स्टेशन का निर्माण नींव से छत (नीचे से ऊपर) की ओर किया जाता है। इस प्रणाली में स्टेशन की आकार के अनुसार खुदाई कर सबसे पहले बेस स्लैब का निर्माण कर किया जाता है। इसके बाद कॉनकोर्स व अंत में रूफ स्लैब का निर्माण किया जाता है। वहीं, टॉप डाउन प्रणाली में रूफ से बेस की ओर निर्माण किया जाता है।

कैसे होता है भूमिगत स्टेशन का निर्माण
भूमिगत स्टेशन के निर्माण के लिए सबसे पहले स्टेशन परिसर हेतु चिन्हित भूमि पर अलग-अलग जगहों से बोरिंग कर मिट्टी के नमूने लिए जाते है। इन नमूनों की जांच के बाद स्टेशन बॉक्स (स्टेशन परिसर का कुल क्षेत्रफल) की मार्किंग की जाती है। इसके बाद स्टेशन परिसर की डॉयफ्राम वाल (बाउंड्री वॉल) के निर्माण के लिए गाइडवॉल बनाई जाती है। गाइड वॉल का प्रयोग डी वॉल को सही दिशा देने के लिए किया जाता है, डी वॉल के निर्माण के बाद इसे हटा दिया जाता है।
गाइड वॉल के निर्माण के बाद एक खास मशीन से डी वॉल की खुदाई की जाती है। खुदाई पूरी होने का बाद उस जगह में सरियों का जाल (केज) डाला जाता। इसके बाद कॉन्क्रीट डाल कर डायफ्राम वॉल का निर्माण किया जाता है। टॉप डाउन प्रणाली के तहत एक बार जब स्टेशन परिसर की डायफ्राम वाल का निर्माण पूरा हो जाता है, तो फिर ऊपर से नीचे की ओर निर्माण कार्य प्रारंभ होते हैं।

टॉप डाउन प्रणाली में सबसे पहले प्रथम छत (रूफ स्लैब) का निर्माण किया जाता है। इस दौरान प्रथम छत (रूफ स्लैब) में कई जगहों को खुला छोड़ा जाता है, जहां से स्लैब निर्माण के बाद मशीनों के जरिए कॉनकोर्स तल तक मिट्टी की खुदाई शुरू की जाती है। इसके बाद भूमि को समतल कर कॉन्कोर्स तल की स्लैब की कास्टिंग की जाती है। इसके बाद कॉनकोर्स लेवल की तरह खाली जगहों से बेस लेवल की खुदाई की जाती है। अंत में भूमि समतल कर बेस स्लैब का निर्माण किया जाता है। बेस स्लैब पर ही प्लेटफॉर्म के निर्माण सहित ट्रैक आदि का काम किया जाता है।

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