आगरालीक्स…आयुर्वेद में सर्दियों में देसी घी के सेवन को सेहत के लिए लाभकारी माना गया है। देसी घी के भाव पांच सौ से सात सौ रुपये। आपको है कितना पसंद…
आयुर्वेद में देसी घी का सेवन माना गया है लाभकारी
भारत में देसी घी का महत्व सदैव से रहा है। आयुर्वेद में तो इसे अमृत तुल्य माना गया है। सर्दियों में इसके सेवन को सेहत के लिए लाभकारी माना गया है। भारत में देसी घी का उल्लेख ग्रंथों में भी है लेकिन तेल का उपयोग कम रहा है। तेल का ज़िक्र सिर्फ़ मालिश के लिए ही आता है।
देसी घी से यह होते हैं फायदे
देसी घी को याददाश्त सुधारने में मददगार माना जाता है। साथ घी में ब्यूटाइरेट होता है, जो शरीर की सूजन को दूर करता है। विटामिन-ए की मौजूदगी इसे खास बनाती है, जिन्हें लैक्टोज इनटॉलरेंस है यानी जिन्हें दूध ठीक से नहीं पचता या पी नहीं पाते, वे घी हजम कर सकते हैं।
ब्रज में देसी घी का रहा है महत्व, हाथरस का था नाम
ब्रज में देसी का अपना अलग महत्व रहा है। आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़ में देसी घी का बड़े पैमाने पर कारोबार होता है। एक समय हाथरस का देसी घी बहुत प्रसिद्ध हो गया था लेकिन अब इसमें कमी आ गई है। ब्रांड्रेड कंपनियों के साथ दुकानदार भी देसी घी बिक्री करते हैं। आगरा में देसी घी 500 रुपये प्रतिकिलो से सात सौ रुपये किलो तक के भाव में मिल रहा है।
रिफाइंड, वनस्पति तेलों का प्रचलन बढ़ा
ब्रज में देसी घी प्रचलन में तो है लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आया है और देसी की घी जगह वनस्पति तेल, सरसों के तेल के साथ नारियल के तेल का प्रचलन भी बढ़ा है।
इन लोगों के लिए है परहेज
स्वास्थ्य संबंधी कारणों से घी-तेल के सेवन में कमी भी आई है। हृदय और मधुमेह के रोगियों के लिए चिकनाई के सेवन से परहेज बताया गया है, जिससे लोग तली-भुनी और चिकनाई की चीजों का इस्तेमाल कम करते हैं।