आगरालीक्स…आगरा में जुटे देश- दुनिया के जाने-माने सैकड़ों आर्किटेक्ट्स..इनोवेटिव इंटीरियर की सजी तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी
आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन आगरा द्वारा शुक्रवार को फतेहाबाद रोड स्थित होटल जेपी पैलेस में “कल के लिए वास्तु: चुनौतियां और अवसर” विषय पर तीन दिवसीय इंटरनेशनल आर्किटेक्ट्स कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ किया गया। साथ ही, भवन निर्माण से जुड़े उत्पादों, तकनीक और इंटीरियर से संबंधित 80 स्टॉल्स के साथ तीन दिवसीय भव्य अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया गया। प्रदर्शनी में पहले ही दिन आगरा और आसपास से हजारों विजिटर्स का सुबह से देर रात तक तांता लगा रहा।
उद्घाटन सत्र में दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आर्किटेक्ट चरणजीत शाह ने मुख्य वक्ता के रूप में देश भर से आए आर्किटेक्ट्स, भवन निर्माण से जुड़े प्रोफेशनल्स और वास्तु के युवा विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि नवीन भारत और समृद्ध भारत के निर्माण में आर्किटेक्ट्स के साथ-साथ नागरिकों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। आर्किटेक्ट्स को चाहिए कि वे भवन के डिजाइंस इस तरह बनाएं कि उसमें स्थानीय संस्कृति और विरासत का समावेश हो। हर खास-ओ-आम को सुख, सुकून और मानसिक शांति मिले। वह शहर और पर्यावरण के हित में हो। जल, वायु और ध्वनि तीनों महत्वपूर्ण बेसिक एलिमेंट्स कम से कम डिस्टर्ब हों।
उन्होंने कहा कि आगरा, जयपुर और दिल्ली के त्रिकोण में भारतीय संस्कृति और वास्तु कला के विविध आयाम उपलब्ध हैं। इनसे हम लोग झीलों, स्टेपवेल और बावली बनाकर शुद्ध वर्षा जल को संरक्षण करना सीख सकते हैं ताकि पानी की समस्या का समाधान हो सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिए वास्तुविदों के साथ नागरिकों को भी जागरूक होना होगा। भारत को फिर विश्व गुरु बनाने के लिए भगवान कृष्ण की गीता का सूत्र अपनाकर हर भारतीय को अर्जुन जैसा कर्मयोगी शिष्य बनना होगा। पौधारोपण पर ध्यान देना होगा। हर ग्रहणी को प्लास्टिक, मेटल, सूखा कूड़ा और गीले कूड़े को अलग-अलग करके रखना होगा ताकि इनका शासन- प्रशासन द्वारा एनर्जी उत्पादन में प्रयोग किया जा सके।
कौंसिल ऑफ़ आर्किटेक्चर के प्रेसिडेंट अभय विनायक पुरोहित ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि शाइनिंग इंडिया के लिए 40 लाख आर्किटेक्ट्स की जरूरत है, जबकि मात्र 1.6 लाख ही आर्किटेक्ट्स उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव की रचनात्मक क्षमताओं का विकल्प कभी साबित नहीं हो सकता क्योंकि सृजनात्मक और कलात्मक क्षमताओं के विकास के लिए मानवीय मस्तिष्क के दाएं और बाएं भाग का संतुलित होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नई तकनीक के रूप में एआई का उपयोग करके आर्किटेक्ट्स क्रिएटिव डिजाइंस को विस्तार प्रदान कर सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि जाने-माने आर्किटेक्ट क्रिस्टोफर बैनेगर ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता के बाद भारत की वैश्विक शक्ति और लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। ऐसे में आर्किटेक्ट्स को भी इस वैश्विक अवसर का लाभ उठाते हुए निरंतर शहरीकरण की ओर अग्रसर नए भारत में अपनी सोच, डिजाइंस और स्थापत्य कला के माध्यम से नकारात्मक भावनाओं को भारत की सीमाओं से बाहर फेंक देना चाहिए।
तकनीकी सत्र में मुंबई से पधारे आर्किटेक्ट दंपति केतन जावड़ेकर और कविता जावड़ेकर ने आर्किटेक्ट्स के स्टूडेंट्स के साथ एक्सपेरिमेंटल वर्कशॉप में बैक टू बेसिक्स यानी “मूल की ओर लौटें” विषय पर इंटरेक्ट करते हुए समझाया कि रोजमर्रा की जिंदगी में सामान्य दृश्य को एक आर्किटेक्ट के रूप में विशेष दृष्टि के साथ देखकर उनका इस्तेमाल अपनी डिजाइंस में ‘आउट ऑफ़ द बॉक्स’ की सोच के साथ करना चाहिये। ध्यान रहे कि हमारी क्रिएशन केवल ख्याली पुलाव न हो। उस ख्याल को वास्तविक रूप में धरातल पर भी साकार किया जा सके, ऐसी व्यावहारिक सोच हमें अपनानी चाहिए। साथ ही, हमारी सोच, वाणी और ड्राइंग यानी डिजाइन में एकरूपता होनी चाहिए।
औरोविल की आर्किटेक्ट तेजस्विनी मिस्त्री कपूर ने ओरोविल में सस्टेनेबल प्रेक्टिस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि वेस्ट को भी ‘वेस्ट’ न जाने दें। ‘वेस्ट’ का री-यूज करें। ओरोविल की तरह आगरा और अन्य जगहों पर भी सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दें। एक शहर की परिकल्पना करते समय आर्किटेक्ट को शहर के साथ खाली सार्वजनिक स्थानों पर छोटे-छोटे पार्क, ग्रीनरी और पौधे लगाकर प्रकृति का समावेश करना होगा।
लखनऊ से आए आर्किटेक्ट गौरव गुप्ता ने ‘सस्टेनेबल आर्किटेक्चर इन हॉस्पिटैलिटी’ विषय पर बोलते हुए आगरा को ध्यान में रखकर कहा कि आर्किटेक्ट्स ग्राहकों की जेब, जरूरत और शहर के हित के साथ विरासत को ध्यान में रखते हुए इस तरह के डिजाइंस बनाएं कि आगरा में ‘यूरोप’ नहीं ब्रज की खुशबू का प्रसार हो और उसमें सुलहकुल और इतिहास की आत्मा नजर आए।
इससे पूर्व आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन आगरा के प्रेसिडेंट समीर गुप्ता विभव ने स्वागत उद्बोधन दिया और आर्किटेक्चर लैगेसी के लिए आर्किटेक्ट स्वर्गीय पीएल शर्मा जी को याद करते हुए उनके सुपुत्र आर्किटेक्ट स्वर्गीय वीपीशर्मा जी का भी भावपूर्ण स्मरण किया। इस दौरान मंच पर सचिव अमित जुनेजा, उपाध्यक्ष येशवीर सिंह, संरक्षक सुनील चतुर्वेदी, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटीरियर डिजाइन (यूपी चैप्टर) के अध्यक्ष विशाल जैन और संदीप सारस्वत भी मौजूद रहे।
कौंसिल ऑफ़ आर्किटेक्चर के पूर्व अध्यक्ष विजय गर्ग और सुप्रसिद्ध आर्किटेक्ट चरणजीत शाह ने संयुक्त रूप से फीता काटकर अब तक की सबसे बड़ी ऐतिहासिक बिल्डिंग मटेरियल प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। सिद्धार्थ शर्मा, अनुराग खंडेलवाल, अमित बघेल, आकाश गोयल, अजय शर्मा, अवंतिका शर्मा, अनुभव दीक्षित, प्रीतम सिंह, अनुज सारस्वत और जसप्रीत सिंह ने सभी का स्वागत किया।
रिमोट से चलने वाला पंखा रहा आकर्षण का केंद्र
प्रदर्शनी में हर स्टॉल पर भवन निर्माण और स्थापत्य कला से जुड़े उत्पाद, नई तकनीकें और इनोवेटिव इंटीरियर विजिटर्स को आकर्षित कर रही थी।
शिवा एंटरप्राइजेज के स्टॉल पर रिमोट से चलने वाले विशेष लाइटिंग करने वाले आठ ब्लेड के कलरफुल पंखे “कूल फैन्स” खासे आकर्षण का केंद्र रहे। यहां पुनीत गर्ग ने बताया कि इन पंखों में नॉर्मल पंखे के मुकाबले बहुत कम बिजली की खपत होती है। यह ऐसी की तरह फाइव स्टार रेटिंग वाले हैं।
होम डेकोर के स्टाल “राज” पर घर की साज-सज्जा और खूबसूरती के यूनिक डेकोरेटिव आइटम्स बुद्ध, बतख का जोड़ा, हाथी का जोड़ा और घोड़े भी सबको आकर्षित करते रहे। इंटीरियर डिजाइनर और वास्तु कंसलटेंट रजनी जुनेजा ने हर विजिटर को घर खूबसूरत बनाने के सामान दिखाए।
शनिवार को भी प्रदर्शनी के साथ-साथ तकनीकी सत्र रहेंगे जारी..
सचिव अमित जुनेजा ने बताया कि तीन दिवसीय कांफ्रेंस के दूसरे दिन शनिवार को भी सुबह 9:00 बजे से रात 9:00 बजे तक प्रदर्शनी और सुबह 11:00 बजे से शाम तक तकनीकी सत्र जारी रहेंगे।