Agra News: Radha Swami followers painted in colors of bhajan-worship, service, satsang, Guru-devotion on Holi in Dayalbagh
आगरालीक्स…दयालबाग़ में होली का अलग ही रूप. भजन-बन्दगी, सेवा, सतसंग, गुरु-भक्ति के रंग में रंगे राधा स्वामी अनुयायी…
फागुन की ऋतु आयी सखी।
मिल सतगुरु खेलो री होरी।।
होली पर्व की राधा स्वामी मत में विशेष महत्ता है। वर्ष के सबसे बढ़कर आनन्द और विलास भरे फागुन मास में भक्तजन अपने परम हितकारी सन्त सतगुरु के सन्निकट बैठकर नवीन रस, आनन्द व विलास प्राप्त करते हैं। राधा स्वामी मत में सदैव से ही ऐसा होता आ रहा है। ऐसे समय में मालिक की भजन-बन्दगी, सेवा, सतसंग, गुरु-भक्ति का रंग मिले तो परम आनन्द एवं परमसुख प्राप्त हो सकता है।
आज मैं गुरु संग खेलूँगी होरी।
भाग जगे गुरु सतगुरु पाये। मन बिच हरख बढ़ो री।।
पिछले लगभग दो दशक से तो दयालबाग़ राधा स्वामी सतसंग के अनुयायिओं के लिए होली का पर्व बहुत ही उल्लास एवं उमंग लेकर आता है क्योंकि दयालबाग़ राधा स्वामी सतसंग के आठवें वक्त संत सतगुरू परम पूजनीय प्रो॰ प्रेम सरन सतसंगी साहब का अवतरण (जन्म दिवस) होली के पावन दिन ही हुआ था। पिछले दो दशक से सम्पूर्ण सतसंग जगत होली का पर्व बहुत ही भक्तिपूर्ण वातावरण में मालिक के चरण कमलों में आरती, वन्दना के साथ सेवा करते हुए, खुरमा (शक्करपारा) एवं गुजिया का प्रसाद ग्रहण कर, अपने भाग्य सराहते हुए उल्लास एवं उत्साह से मना रहे हैं।
धन धन भाग मेरे अब जागे।
राधास्वामी मोहि निज दान दियो री।।
दयालबाग़ सतसंग में होली का पर्व (दिन) सदैव से ही आध्यात्मिक रूप एवं भक्तिभाव से मनाया जाता रहा है। इस बार तो फागुन मास वातावरण में अपनी अनूठी छटा बिखेर रहा है। दयालबाग़ में प्रतिदिन प्रातः एवं सायं परम पुरुष पूरन धनी हुज़ूर स्वामी जी महाराज की पावन समाध सप्तरंगी प्रकाश में बहुत ही आलौकिक रूप से प्रकाशवान होती है। पावन समाध के साथ-साथ दयालबाग़ के वातावरण में भी सप्तरंगी प्रकाश उदीप्तीमान हो जाता है, जिससे सम्पूर्ण वातावरण रूहानियत से भर जाता है। यहाँ सप्तरंगी फव्वारे भी अपनी नयनाभिराम व मनमोहक छवि दर्शाते हैं। इससे भी बढ़कर जब परम पूजनीय हुज़ूर पैदल भ्रमण करते हुए समस्त भक्तजनों को अपनी आलौकिक दिव्य दृष्टि से भाव-विभोर करते जाते हैं जिससे समस्त भक्तजन अपने को धन्य मानते हैं। विभिन्न टोलियों द्वारा पवित्र पोथियों से शब्द पाठ, रूहानी कव्वालियाँ, संस्कृत, अंग्रेजी एवं बोलचाल की हिन्दी भाषाओं में, इस मंजर समा बांध देती हैं।
इस रूहानी वातावरण में परम पूज्य हुज़ूर सतसंगी साहब के सानिध्य में संतसु(परमैन) बच्चों का उत्साह एवं उल्लास देखते ही बनता है। दोनों समय (प्रातः एवं सायं) संतसु(परमैन) समूह के बच्चे परम पूज्य हुज़ूर सतसंगी साहब की उपस्थिति में विभिन्न प्रकार की क्रीडाएं, खेलकूद, योग, लोकनृत्य, जिमनास्टिक्स एवं पिरामिड इत्यादि का मनोहारी प्रदर्शन करते हैं।
जब घूमने वाले सिंहासन ;त्मअवसअपदह ब्ींपतध्ेजववसद्ध पर विराजित होकर परम पूज्य हुज़ूर सतसंगी साहब, सप्तरंगी प्रकाश में उपस्थित भक्तजनों पर, चारों ओर घूमते हुए अपनी दिव्य दृष्टि डालते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है कि देवों के देव (कुल मालिक हुज़ूर रा-धा-स्व-आ-मी दयाल) का नूर एवं जलाल देखने के लिए समस्त देव लोक पृथ्वी पर (दयालबाग़ में) उतर आया हो।
धूम मची अब धरन गगन में।
राधास्वामी खेलत फाग अधर में।।
इस आयोजन में भाग लेने के लिए इस बार देश विदेश से लगभग 8000 सतसंगी दयालबाग़ आ रहे हैं तथा आगरा शहर के सतसंगियों की संख्या मिलाकर आयोजन में भाग लेने वालों की संख्या लगभग 20000 हो जायेगी। इस बार 2 दिनों के लिए लिए शब्द पाठ, रूहानी कव्वालियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, संतसु(परमैन) बच्चों द्वारा प्रदर्शन तथा विभिन्न यूनिटों द्वारा कियोस्क इत्यादि कार्यक्रमों का आयोजन बहुत ही उल्लास एवं उमंग से किया जा रहा है। इन दिनों दयालबाग़ का सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक एवं भक्ति रस में डूबा रहेगा। बाहर से आये सतसंगी भाई बहनों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था के लिए लंगर सेवा का आयोजन किया गया है। जलपान के लिए कई कैन्टीन भी संचालित होंगी। सब कार्य सतसंगी सेवादारों द्वारा स्वयं ही किया जा रहा है। होली पर्व पर प्रत्येक सतसंगी जन, बच्चे, युवा, स्त्री-पुरुष एवं वृद्ध पूर्ण उल्लास से गुरू के चरणों में सेवा, आरती, भजन-बन्दगी कर परम आनन्द की प्राप्ति के लिए आतुर हैं।
क्या सोय रही उठ जाग सखी।
आज गुरु संग खेलो री होरी।।