Tuesday , 18 March 2025
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Agra News: Supreme Court handed over the petition to the Road Safety Committee regarding the accident on Agra-Lucknow Expressway…#agranews

आगरालीक्स…आगरा—लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हर रोज हो रहे एक्सीडेंट और मौतें. सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा समिति को सौंपी याचिका…आगरा के अधिवक्ता ने कहा— एक्सप्रेसवे का हो सड़क सुरक्षा ऑडिट

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एक के बाद एक हो रहे भयावह सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों को बचाने और विभिन्न उपायों को अपनाने के लिए दायर की गयी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट रोड सुरक्षा समिति को सौंप दिया है। यह आदेेश न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं न्यायमूर्ति उज्जवल भुआन की बेंच द्वारा पारित किया गया जिसमें उन्होंने कहा कि इस न्यायालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय मनोहर सपरे की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है जिसके द्वारा इस याचिका के सभी पहलूओं का परीक्षण किया जायेगा। यह याचिका युवा उद्यमी व सामाजिक कार्यकर्ता हेमन्त जैन द्वारा दायर की गयी थी और न्यायालय के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन द्वारा बात सशक्त रूप से रखी गयी। अधिवक्ता जैन ने बताया कि 302 किलोमीटर लम्बे आगरा-लखनऊ एक्प्रेसवे को सुरक्षित बनाने के लिए याचिका में अनेक मांग की गयीं जो अब सुप्रीम कोर्ट सड़क सुरक्षा समिति द्वारा विचार की जायेंगी जिसके क्रम में परीक्षण उपरान्त कमेटी आवश्यक निदेश जारी करेगी।

एक्सप्रेसवे का हो सड़क सुरक्षा ऑडिट
याचिका में यह कहा गया कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का सड़क सुरक्षा ऑडिट वर्ष 2019 में सेन्ट्रल रोड रिसर्च इन्स्टीटयूट नई दिल्ली (सीआरआरआई) द्वारा किया गया था जिसमें उल्लेख किया गया था कि नवम्बर 2017 से फरवरी 2019 के मध्य 1871 हादसे इस एक्सप्रेसवे पर हुये जिसमें 118 लोगों की मौत हो गयी, 406 लोग गम्भीर रूप से घायल हो गये और 1517 लोग घायल हो गये थे। 2019 की ऑडिट रिपोर्ट के उपरान्त अब इस एक्सप्रेसवे पर वाहनों की संख्या एवं हादसों की संख्या दोनो ही काफी बढ़ गयी हैं इसलिए देश की किसी अग्रणी संस्था जैसे आईआईटी दिल्ली या सीआरआरआई द्वारा सड़क सुरक्षा ऑडिट कराया जाये ताकि इस एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों के कारण प्रकाश में आ सकें। इण्डियन रोड कांग्रेस द्वारा रोड सेफ्टी ऑडिट का मेनुअल अगस्त 2019 में बनाया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश दिनांक 30 नवम्बर 2017 में रोड सेफ्टी ऑडिट की आवश्यकता पर बल दिया था।

यूपीडा के अभिलेखों ममें नहीं उपलब्ध है सूचना
याचिका में यह बात भी उठायी गयी कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 135(1) में उ0प्र0 क्रेश जांच योजना 2023 बनायी गयी है जिसके अनुसार आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों के सम्बन्ध में जांच नहीं हो रही है जो कि आवश्यक है। मुम्बई-पुणे एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों की जांच की गयी और सुधार किये गये तो वहां 58.3 प्रतिशत हादसों में होने वाली मौतों की कमी आ गयी। अधिवक्ता जैन को उप्र एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीड़ा) से सूचना अधिकार के अन्तर्गत सूचना अभी हाल में 11 मार्च 2025 को प्राप्त हुई है जिसमें यूपीड़ा ने अवगत कराया है कि उप्र क्रेश जांच योजना 2023 के अन्तर्गत “यूपीड़ा के अभिलेखों में कोई आख्या/सूचना उपलब्ध नहीं है”।

क्रेश जांच योजना के तहत हों नियमित जांचे
यूपीड़ा ने यह भी बताया कि ऐसी सड़क दुर्घटनाओं की जांच का किया जाना अनिवार्य है जहां 3 या 3 से अधिक मृत्यु हुई हों जिसके लिये जिले में एक सड़क दुर्घटना जांच समिति का गठन करना प्रस्तावित है जिसमें निर्दिष्ट प्रारूप में विस्तृत दुर्घटना जांच रिपोर्ट तैयार हो और दुर्घटना की फोटो लेकर जांच के निष्कर्ष दिये जायें। यूपीड़ा के अनुसार योजना अन्तर्गत कार्यवाही जनपद स्तर से अपेक्षित है। अधिवक्ता जैन ने इस पर टिप्पणीं करते हुए कहा कि यूपीड़ा द्वारा इस एक्सप्रेसवे को बनाया गया है और इसका रख-रखाव किया जा रहा है व टोल लिया जा रहा है ऐसी स्थिति में सड़क सुरक्षा के सम्बन्ध में यूपीड़ा को नोडल एजेन्सी के रूप में कार्य करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्रेश जांच योजना के अन्तर्गत जांचें नियमित रूप से हों जिनकी आख्या यूपीड़ा अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करे और उनके प्रकाश में आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाये जायें। यह बात अब सुप्रीम कोर्ट सड़क सुरक्षा समिति के समक्ष उठायी जायेगी।

मीडियन पर क्रेश बैरियर लगाये जायें
याचिका में यह बात भी उठायी गयी कि यमुना एक्सप्रेसवे की तर्ज पर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के सेन्ट्रल मीडियन पर क्रेश बैरियर लगाये जायें ताकि मीडियन को क्रॉस करके वाहन दूसरी ओर न पहुंचे। इस सम्बन्ध में सड़क परिवहन व हाईवे मंत्रालय द्वारा 01 जनवरी 2020 को गाईडलाइन भी जारी की गयी हैं।

एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों का विवरण एकत्र करें
याचिका में यह मुद्दा भी उठाया गया कि यूपीड़ा को जब पूछा जाता है कि आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर कितने हादसे हुये और उनमें कितनी मौतें हुयीं तो वह अपनी अज्ञानता प्रकट की और उसका जवाब था कि यह एक्सप्रेसवे 10 जनपदों से गुजरता है वहां के पुलिस प्रशासन से यह जानकारी प्राप्त की जाये। अधिवक्ता जैन ने कहा कि यूपीड़ा का यह कहना उचित नहीं है अपितु यूपीड़ा को हादसों का विवरण एकत्र किया जाना चाहिए ताकि हादसों की वजह सामने आ सकें। इस एक्सप्रेसवे की प्रबन्ध व्यवस्था के साथ सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना यूपीड़ा का प्रथम दायित्व है। याचिका में वाहन चालकों के मध्य गति सीमा, ट्रैफिक नियम और सुरक्षा प्रोटोकॉल के सम्बन्ध में भी समय-समय पर अभियान चलाकर जागरूकता उत्पन्न की जाये।

“आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की सड़क सुरक्षा एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि बार-बार हो रहे हादसों में कई निर्दोष लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले को उसकी सड़क सुरक्षा समिति को संदर्भित करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे इस मुद्दे की विशेषज्ञों द्वारा गहन जांच संभव होगी। मैं समिति के समक्ष इस एक्सप्रेसवे की सभी महत्वपूर्ण समस्याओं को सशक्त रूप से प्रस्तुत करूंगा ताकि यह मार्ग वास्तव में सुरक्षित और विश्वसनीय बनाया जा सके। हमारा लक्ष्य केवल खामियों को उजागर करना नहीं, बल्कि ठोस और स्थायी समाधान सुनिश्चित करना है, जिससे भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके और सड़क सुरक्षा के उच्चतम मानकों को अपनाया जाए।”
हेमन्त जैन, याचिका दायर करने वाले

“सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले को सड़क सुरक्षा समिति को सौंपना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जो एक्सप्रेसवे की सुरक्षा के प्रति जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगा। यह समिति न केवल बढ़ते सड़क हादसों की गहन समीक्षा करेगी, बल्कि यह भी जांचेगी कि क्या आवश्यक क्रैश जांच की गई थी और यदि नहीं, तो क्यों। इस जांच से दुर्घटनाओं के वास्तविक कारण सामने आएंगे और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जा सकेंगे। सड़क सुरक्षा एक सामूहिक जिम्मेदारी है, और ऐसे में यूपीीडा को, एक प्रमुख एजेंसी के रूप में, अपनी भूमिका को सक्रिय रूप से निभाते हुए नियमित ऑडिट करना चाहिए, दुर्घटनाओं का डाटा प्रकाशित करना चाहिए और अनिवार्य सुरक्षा उपाय लागू करने चाहिए। यह पहल न केवल इस एक्सप्रेसवे के लिए बल्कि पूरे देश में एक्सप्रेसवे प्रबंधन के लिए एक मिसाल कायम कर सकती है और अनगिनत जीवन बचाने में सहायक होगी।”
केसी जैन (वरिष्ठ अधिवक्ता)

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